ओडिसा के केओन्झार जिले के बर्बील-जोडा-गंदमर्दन खदान क्षेत्र के 10,000 से अधिक खदान मज़दूरों को नौकरी से निकाल दिया गया है। और 10,000 खदान मज़दूरों के सर पर नौकरी से निकाल दिये जाने की तलवार इस वक्त लटक रही है।
ओडिसा के केओन्झार जिले के बर्बील-जोडा-गंदमर्दन खदान क्षेत्र के 10,000 से अधिक खदान मज़दूरों को नौकरी से निकाल दिया गया है। और 10,000 खदान मज़दूरों के सर पर नौकरी से निकाल दिये जाने की तलवार इस वक्त लटक रही है।
यह क्षेत्र तमाम तरह के खनीज संसाधनों से समृद्ध है, जिसमें शामिल है कच्चा क्रामाइट, कच्चा लोहा, मैंगनीज, इत्यादि, जिनका बड़ी कंपनियां कई वर्षों से कानूनी और गैरकानूनी तरीके से शोषण करती आ रही हैं। पिछले कुछ महीने से जब से इस बात का पर्दाफाष हुआ है कि खदान माफिया द्वारा खनीज संसाधनों की लूट को सरकार नजरअंदाज कर रही है तो पूरे राज्य में बवाल खड़ा हो गया। राज्य सरकार ने गैरकानूनी तरीके से चलनेवाली खदानों के खिलाफ़ तहक़ीक़ात करने का आदेष दिया है। इसके साथ-साथ सरकार ने केवल क्योेनझ्ार जिले में 10 बड़ी खदानों को बंद करने का भी आदेष दिया है। इन खदानों के बंद हो जाने की वजह से लगभग 5000 ट्रांसपोर्ट मज़दूरों की भी रोजी-रोटी छीन गयी है।
मज़दूरों ने बताया कि जिन खदानों को बंद किया गया है उनके पास कानूनी परमिट मौजूद है, और उनका केवल नवीकरण करने की ज़रूरत थी। यह सुनिष्चित करने के बजाय कि इन खदानों को चलाने और परमिट नवीकरण करने में सही नियमों का पालन किया जाए, सरकार ने खदानों को ही बंद करने का आदेष दिया।
केओन्झार माइंस एंड फारेस्ट वर्कर्स यूनियन ने 8 से 11 दिसंबर को 4 दिन तक और फिर 19 दिसंबर, 2009 को जोडा में डेप्यूटी माइनींग डाइरेक्टर के दफ्तर के सामने धरना दिया। खदान मज़दूरों ने मांग रखी कि भ्रष्ट खदान मालिकों, माफिया और इस घोटाले से संबंधित अधिकारियों को सजा़ दी जाए और खनीज संसाधनों की लूट को रोकने और बंद खदानों को कानूनी तरीके से खोलने के लिए कदम उठाए जाएं।