संपादक महोदय,
10 जनवरी, 2010 को हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी की केन्द्रीय समिति द्वारा जारी बयान ‘इस उपनिवेशवादी प्रकार के गणतंत्र को बहुत देर तक बर्दाश्त कर लिया है! मजदूर वर्ग को हिन्दोस्तानी संघ का पुनर्गठन करना होगा!’ – यह माक्र्सवाद-लेनिनवाद के दृष्टिकोण में एक अहम योगदान है।
संपादक महोदय,
10 जनवरी, 2010 को हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी की केन्द्रीय समिति द्वारा जारी बयान ‘इस उपनिवेशवादी प्रकार के गणतंत्र को बहुत देर तक बर्दाश्त कर लिया है! मजदूर वर्ग को हिन्दोस्तानी संघ का पुनर्गठन करना होगा!’ – यह माक्र्सवाद-लेनिनवाद के दृष्टिकोण में एक अहम योगदान है।
इसमें वर्तमान हिन्दोस्तान के इतिहास और ज़मीनी हक़ीक़त को समझाया गया है और हिन्दोस्तानी संघ के विकास को सही संदर्भ में समझाया गया है। इसमें बताया गया है कि हिन्दोस्तानी संघ 1950 के संविधान पर
आधारित है। इसका निर्माता हिन्दोस्तानी पूंजीपति वर्ग है, जिसके हाथ में उपनिवेशवादी ताकत, ब्रिटेन ने जाते समय सत्ता सौंपी थी। यह सत्ता हस्तांतरण शान्तिपूर्वक नहीं हुआ बल्कि इसके साथ-साथ ऐसा भयानक खून-खराबा हुआ जो इतिहास में पहले कभी नहीं देखा गया था। इतिहास में पहली बार इतनी बड़ी संख्या में लोग अपना जन्म स्थान छोड़कर दूसरे देश में जाने को मज़बूर हुये। इस सब से पूंजीपतियों को फायदा हुआ जबकि लोगों को बहुत नुकसान हुआ।
इससे लाभ उठाकर पूंजीपतियों ने खुद को कई गुना अमीर बनाया है। साथ ही साथ, पूंजीपति वर्ग का द्वंद्ववादी विपरीत, मज़दूर वर्ग भी एकजुट हुआ है। मजदूर वर्ग की एकता का यह आधार है कि उसके पास अपने श्रम के अलावा और कुछ नहीं है, कि उसमें पूरे देश के पुरूष, स्त्री (और बच्चे) शामिल हैं। आज मजदूर वर्ग को आगे आकर हिन्दोस्तानी लोगों को इस दुर्दशा से बाहर निकालना होगा।
हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट गद़र पार्टी मज़दूर वर्ग का हिरावल दस्ता है, जो सबसे ताकतवर क्रान्तिकारी सिद्धान्त से लैस है। राज्य सत्ता, मज़दूर वर्ग की भूमिका तथा कम्युनिस्ट पार्टी की भूमिका पर विचार-विमर्श करके, हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट गद़र पार्टी मज़दूर वर्ग को अपने इस ऐतिहासिक काम में अगुवाई देने की तैयारी कर रही है। मज़दूर वर्ग को यह समझना होगा कि 1950 के संविधान की हक़ीक़त क्या है और कैसे इस संविधान के द्वारा मज़दूर वर्ग को पूंजीपति वर्ग का गुलाम बनाकर रखा गया है।
एस.नायर,
कोची