लोक राज संगठन ने आगामी समय के लिये कार्य निर्धारित किये

चुनी गयी नई सर्व हिन्द परिषद की पहली सभा 17 जनवरी 2010 को दिल्ली में की गयी। यह एक अहम सभा थी क्योंकि कई महत्वपूर्ण विषयों पर यहां विचार विमर्श किया गया और अहम निर्णय लिये गये।

कड़ाके की ठंड के बावजूद अच्छी संख्या में सदस्य मौजूद थे और उन्होंने निम्नलिखित चर्चाओं में सक्रियता से भाग लिया:

चुनी गयी नई सर्व हिन्द परिषद की पहली सभा 17 जनवरी 2010 को दिल्ली में की गयी। यह एक अहम सभा थी क्योंकि कई महत्वपूर्ण विषयों पर यहां विचार विमर्श किया गया और अहम निर्णय लिये गये।

कड़ाके की ठंड के बावजूद अच्छी संख्या में सदस्य मौजूद थे और उन्होंने निम्नलिखित चर्चाओं में सक्रियता से भाग लिया:

  1. सर्व हिन्द महासम्मेलन से अब तक के सर्व हिन्द परिषद के काम की रिपोर्ट व चर्चा
  2. संगठन का निर्माण

    • सदस्यता अभियान व चंदा इकट्ठा करना
    • क्षेत्रीय परिषदों को मज़बूत करना
    • क्षेत्रीय महासम्मेलन – इनकी योजना व महत्ता
    • क्षेत्रीय महासम्मेलन के आगे की कार्यवाई बतौर क्षेत्रीय सम्मेलन
  3. अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की शताब्दी – महत्ता एवं प्रस्ताव
  4. हिन्दोस्तानी गणतंत्र के 60 वर्ष – मुट्ठीभर सम्पत्तिवानों के राज के लिये नहीं, बल्कि लोक राज स्थापित करने के लिये, इस गणतंत्र के नवीकरण की ज़रूरत के मुद्दे पर हिन्दोस्तानी लोगों को चर्चा में शामिल करने का लोक राज संगठन का काम

    • लोगों के समूह की संप्रभुता, राज्यों का पुनर्गठन, आदि – हिन्दोस्तानी संघ का पुनर्गठन
    • जन प्रतिनिधित्व कानून – वास्तव में फैसले लेने में लोगों की निर्णायक भूमिका के लिये प्रत्यक्ष लोकतंत्र
    • कानून व न्यायव्यवस्था – बस्तीवादी विरासत को खत्म करके एक ऐसी कानून व न्यायव्यवस्था काप्रस्थापन करने की ज़रूरत, जिसमें कानून व न्याय तय करने की क्षमता लोगों में हो और लोग इस पर नियंत्रण रखें
  5. संसद में आने वाले विधेयक – इन पर लोक राज संगठन की प्रतिक्रिया

    • भूमि अधिग्रहण तथा राहत व पुनर्वास विधेयक
    • सांप्रदायिक हिंसा विधेयक
    • महिला आरक्षण विधेयक
  6. कार्य की योजना व प्रस्ताव

सचिव की रिपोर्ट को सर्व हिन्द परिषद के सदस्यों के योगदान से और भी संपूर्ण किया गया।

लोक राज संगठन के नवम्बर के महासम्मेलन से प्रोत्साहित होकर अलग-अलग इलाकों में जन सदस्यों की संख्या में वृद्धि की गयी।

7-8 नवम्बर 2009 के सर्व हिन्द महासम्मेलन के निर्णय के अनुसार महाराष्ट्र में 6 दिसम्बर 2009 को क्षेत्रीय सम्मेलन किया गया और एक नयी क्षेत्रीय परिषद को चुना गया। इस इलाके में नियमित तौर पर मीटिंगें की जा रही हैं।

राजस्थान व महाराष्ट्र में जन सदस्यता का अभियान जोर-शोर से किया गया। जिन भी क्षेत्रों में लोक राज संगठन सक्रिय है, वैसे ज्यादातर जगहों की परिषदों ने भी इस काम को उठाया।

विभिन्न इलाकों में महंगाई व शासकों के निर्दयी रुख़ के खिलाफ़ जन अभियान चलाये गये। इस मुद्दे पर बयान व पर्चे निकाले जाने का और उन्हें व्यापक तौर पर बांटने का निर्णय लिया गया।

महाराष्ट्र सरकार द्वारा शराब बनाने के लिये खाद्यान्नों के इस्तेमाल के बारे में निर्णय लिया गया कि इसका विश्लेषण करना व एक राजनीतिक ठिकाना तय करना ज़रूरी है ताकि सरकार की लोक-विरोधी योजना के खिलाफ़ लोगों की एकता बनायी जा सके।

समस्त रूप से, प्रस्ताव था कि सर्व हिन्द परिषद की 3 महीने बाद होने वाली अगली सभा तक अलग-अलग इलाकों में ज्यादा से ज्यादा नये सदस्य बनाये जायें और इसके लिये हर इलाके में निडरता से लक्ष्य तय किये जायें।

जिन इलाकों में नवम्बर 2009 के सर्व हिन्द महासम्मेलन के पश्चात क्षेत्रीय सम्मेलन नहीं हुये हैं, सर्व हिन्द परिषद ने उन इलाकों की परिषदों को बुलावा दिया कि वहां जल्दी से जल्दी फरवरी के अंत तक क्षेत्रीय सम्मेलन किये जायें। इन सम्मेलनों को आयोजित करते समय विस्तृत प्रचार किया जाना चाहिये व जन सदस्यता अभियान चलाना चाहिये। साथ ही आने वाले समय के लिये कार्य की योजना तय करनी चाहिये। सर्व हिंद परिषद का प्रस्ताव था कि हर 6 महिने में हर क्षेत्रीय परिषद को जन सदस्यता अभियान चला कर क्षेत्रीय सम्मेलन बुलाना चाहिये ताकि सदस्यों से नज़दीकी से जुड़ी संगठन की मज़बूत बुनियाद बनायी जा सके।

सचिव ने जोर दिया कि लोक राज संगठन की जन सदस्यता का काम, लोगों को उनके अधिकारों व हित की सुरक्षा के लिये संगठित करने के काम के साथ नज़दीकी से जुड़ा होना चाहिये। इसे लोगों के रोज़ाना के संघर्षों में भाग लेते हुये और लोगों की नब्ज को ठीक से समझ कर करना चाहिये। साथ-साथ हमें लोक राज को वास्तविक बनाने के लिये ज़रूरी पर्यायी संस्थानों के विषय पर विचार विमर्श आयोजित करना चाहिये।

दूसरा एक महत्वपूर्ण मुद्दा, जो उठाया गया और जिस पर चर्चा की गयी, वह था अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की शताब्दी मनाना। इस मुद्दे पर एक प्रस्तुति की गयी जिसमें लोक राज के लिये, लोक राज संगठन के झंडे तले महिलाओं को संगठित करने की अहमियत पर जोर दिया गया। आज हम देखते हैं कि मज़दूर वर्ग तथा ग्रामीण व शहरी गरीबों से आयी, बड़ी संख्या में, महिलायें व लड़कियां शिक्षा व प्रशिक्षण तथा उत्पादन व सेवाओं के काम कर रही हैं। हमें नयी पीढ़ी की इन मेहनतकश महिलाओं पर ध्यान देना होगा ताकि उन्हें महिला शोषण व अन्याय के खिलाफ़ आंदोलन के लिये लामबंध किया जा सके – महिलाओं के संघर्ष को लोक राज के संघर्ष के साथ जोड़ा जा सके।

इस वर्ष के अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के लिये सर्व हिन्द परिषद ने अनेक प्रस्तावों पर चर्चा की। यह प्रस्ताव पारित किया गया कि इस वर्ष अलग-अलग क्षेत्रों की परिषदें अपने-अपने इलाकों में इस दिवस को मनाने की योजनायें बनायें।

हिन्दोस्तानी गणतंत्र के और इस गणतंत्र की परिभाषा देने वाले संविधान के 60वें वर्ष होने के नाते, यह एक उपयुक्त वक्त है जब इस गणतंत्र की विभिन्न त्रुटियों पर चर्चा करें। खास तौर पर हमें गणतंत्र के गठन के उन पहलुओं पर गौर करना चाहिये जिनकी वजह से लोगों को निर्णय लेने व अपने भविष्य की बागडोर अपने हाथों में लेने से वंचित रखा जाता है।

हमें किस प्रकार का संघ चाहिये है? क्या वह विभिन्न राष्ट्रों, राष्ट्रीयताओं व लोगों का स्वेच्छा से बना संघ नहीं होना चाहिये? वर्तमान संघ के गठन के विरोध में विभिन्न प्रदर्शनों, मांगों तथा केन्द्र सरकार व विभिन्न विपक्षी पार्टियोें द्वारा लोगों को भड़काने की भूमिका पर एक लघु प्रस्तुति के बाद ऐसी सोच थी कि क्षेत्रीय परिषदें उचित समय पर सम्मेलन आयोजित करें जिनमें साफ किया जाये कि इस मुद्दे को लोक राज कैसे निपटायेगा, और राष्ट्रों व लोगों के सामूहिक अधिकारों को वर्तमान राजनीतिक व आर्थिक दायरे में कैसे सुलझाना नामुमकिन है।

सर्व हिन्द परिषद ने गणतंत्र के एक और अहम पहलू – लोकतंत्र, पर भी चर्चा किया। लोक राज संगठन बतौर लोकतंत्र को और विस्तृत करने के लिये हमने लोगों का ध्यान खींचने का प्रयास किया है तथा खुद कोशिशें की हैं। लोगों को निर्णय लेने से वंचित करने वाली वर्तमान राजनीतिक प्रक्रिया की त्रुटियों के जवाब में हमने प्रत्यक्ष लोकतंत्र का झंडा उठाया है। जन प्रतिनिधित्व कानून में बदलाव लाने के अलग-अलग प्रस्तावों के जरिये केन्द्र सरकार कोशिश कर रही है कि राजनीतिक प्रक्रिया में लोगों की भूमिका को और भी कमजोर किया जाये। यह एक अच्छा मौका है जब जन प्रतिनिधित्व कानून के मुद्दे पर विभिन्न राजनीतिक ताकतों को चर्चा में लायें ताकि प्रत्यक्ष लोकतंत्र की मांग के इर्दगिर्द लोगों की एकता बनायी जा सके।

सर्व हिन्द परिषद ने कानूनी न्याय व्यवस्था पर गौर किया जो पूरी तरह से उपनिवेशवादी संस्थानों पर टिकी है और एकदम लोग-विरोधी है। यह एक अच्छा मौका है जब कानूनी न्यायव्यवस्था के मुद्दे पर विभिन्न राजनीतिक ताकतों को चर्चा में लाया जाये, कि कौन से सुधार जरूरी हैं जो लोक राज के लिये सहायक हैं।

संसद में प्रस्तावित विधेयकों, जिनमें भूमि अधिग्रहण तथा राहत व पुनर्वास विधेयक, सांप्रदायिक हिंसा विधेयक, महिला आरक्षण विधेयक आदि शामिल हैं, के बारे में लोक राज संगठन की सोच को और विस्तार से पेश करने का निर्णय लिया गया। और भी जो विधेयक संसद में पेश किये जाने वाले हैं, उन पर भी हमें नज़र रखनी है।

निम्नलिखित निर्णयों को दोहराते हुये सभा समाप्त की गयी।

  1. सदस्यता – हरेक क्षेत्रीय परिषद नये सदस्य बनाने के अपने लक्ष्य तय करे, उन्हें पूरा करने के कदम उठाये और अगली सर्व हिंद परिषद में रिपोर्ट दे।
  2. जहां अभी तक क्षेत्रीय सम्मेलन नहीं हुये हैं, वहां एक महीने में सम्मेलन आयोजित करके नयी परिषदें चुनें। 6 महिने के बाद फिर सभी सदस्यों का क्षेत्रीय सम्मेलन किया जाये। 15 मार्च से पहले-पहले सभी परिषदें सर्व हिंद परिषद को अपनी योजना की रिपोर्ट भेजें।
  3. साफ-साफ मागों के साथ, मंहगाई पर बयान/पर्चा निकाला जाये।
  4. अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस – मुंबई में 7 मार्च को सभा, दिल्ली में मार्च के अंत में सभा की जाये। संयुक्त कार्यक्रमों में भाग लेने का निर्णय अपनी-अपनी क्षेत्रीय परिषदों में लिया जाये।
  5. गणतंत्र के 60 वर्ष के बारे में – संघ का पुनर्गठन, जन प्रतिनिधित्व कानून, कानूनी न्यायव्यवस्था, आदि विषयों पर सभायें आयोजित करने की योजना का निर्णय क्षेत्रीय परिषद में विचार विमर्श के बाद की जाये।
  6. संसद में आने/पारित किये जाने वाले विधेयकों पर निगरानी।
  7. बजट के पूर्व सभी चर्चाओं व विचार विमर्शों पर निगरानी व बजट प्रस्तुति के समय हमारी दखलंदाजी की तैयारी करना।

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