जब हम हिन्दोस्तानी सैनिकीकरण पर नज़र ड़ालते हैं तब हमें याद रखना होगा कि हर तौर पर अमरीका सबसे बड़ी सैनिक शक्ति है। अमरीका के सैनिक दुनियां के कोने-कोने में तैनात हैं। अमरीका न केवल पारंपरिक व नाभिकीय, दोनों तरह के हथियारों में सबसे आगे है, उसका वार्षिक सैनिक खर्चा (51500 करोड़ अमरीकी डॉलर) उससे निचले स्तर के देशों (फ्रांस, चीन, ब्रिटेन, जर्मनी, जापान, रूस, इटली) से 9 से 12 गुना ज्यादा है। य
जब हम हिन्दोस्तानी सैनिकीकरण पर नज़र ड़ालते हैं तब हमें याद रखना होगा कि हर तौर पर अमरीका सबसे बड़ी सैनिक शक्ति है। अमरीका के सैनिक दुनियां के कोने-कोने में तैनात हैं। अमरीका न केवल पारंपरिक व नाभिकीय, दोनों तरह के हथियारों में सबसे आगे है, उसका वार्षिक सैनिक खर्चा (51500 करोड़ अमरीकी डॉलर) उससे निचले स्तर के देशों (फ्रांस, चीन, ब्रिटेन, जर्मनी, जापान, रूस, इटली) से 9 से 12 गुना ज्यादा है। यह खर्चा, सैनिक खर्चे में उससे निचले स्तर के देशों, यानि कि हिन्दोस्तान, साऊदी अरब व तुर्की के वार्षिक खर्चे का 16 गुना है।
अपनी बड़ी जनसंख्या, विशाल इलाके, फैलती अभिलाषा तथा तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के साथ, चीन व हिन्दोस्तान उभरती ताकतों के रूप में देखे जा रहे हैं जो दुनिया में अपनी भावी भूमिका के अनुसार हथियारों के भंडार बना रहे हैं।
2008 के आंकड़ों के अनुसार, वर्दी वाले पुरुषों व महिलाओं की संख्या में हिन्दोस्तान दुनिया में तीसरे नम्बर पर है। नीचे दी तालिका में संख्या के अनुसार सबसे बड़ी आठ सैनिक शक्तियों की सूची हैं।
कुछ नयी गतिविधियां
हिन्दोस्तानी वायुसेना ने 126 लड़ाकू जेटों की खरीदी के लिये 1000 करोड़ डालरों का टेंडर जारी किया है। इसके लिये रूस, अमरीका, फ्रांस, स्वीडन व अन्य कई देशों ने बोलियां लगाई हैं। हिन्दोस्तान की मांग है कि उसे पूरी तकनीक चाहिये। पूरी तकनीक के साथ रूस ने हिन्दोस्तान को उन्नत रेडार बनाने में मदद करने का प्रस्ताव दिया है। इससे, सबसे परिष्कृत सैनिक उपकरणों के उत्पादन में, हिन्दोस्तान सबसे विकसित देशों में गिना जाने लगेगा। बीते दिनों में हिन्दोस्तान ने हथियारों की खरीदी को, उनके घरेलू उत्पादन व मरम्मत की क्षमता विकसित करने की शर्त के साथ किया है ताकि आपूर्ति करने वाले देशों की दया का पात्र बन कर न रह जाये।
हिन्दोस्तानी नौसेना ने 900 करोड़ रु. में 6 तेजस हल्के लड़ाकू विमान खरीदने का आर्डर दिया है। नौसेना की योजना है कि उसके वायुयान वाहक युद्धपोतों से हल्के तथा मध्यम वजन वाले विमान उड़ाये जा सकें। हल्के लड़ाकू विमानों के साथ-साथ रूस से आर्डर किये मिग-29 के विमानों को शामिल किया जा रहा है जो वजन में भारी हैं। घरेलू वायुयान वाहक युद्धपोत (आई.ए.सी.) कोची में स्थित कोचीन युद्धपोत कारखाने में बनाये जा रहे हैं। इसमें दोनों तरह के विमानों की सुविधा का प्रबंध है। आई.ए.सी. को नौसेना की टुकड़ी में 2014 तक शामिल करने की उम्मीद है।
चीन की सरहद से लगी लद्दाख-न्योमा हवाई पट्टी को उन्नत किया जायेगा
हिन्दोस्तानी वायुसेना लद्दाख के न्योमा इलाके में पूरी तरह सम्पन्न बेस का निर्माण कर रही है जो चीन की सरहद के निकट है। इसको 2012 तक तैयार किया जायेगा। यह सैन्य संचालन केन्द्र चीन की सीमा से 23 कि.मी. की दूरी पर है।
मिग-29 दस्ते का अपग्रेड
2013 तक रूस हिन्दोस्तानी वायुसेना के 60 मिग-29 लड़ाकू विमानों को अपग्रेड करेगा, जिससे इन विमानों को और 15 वर्षों तक चलाया जा सकता है।
हिन्दोस्तानी थलसेना रक्षा अनुसंधान व विकास संस्था (डी.आर.डी.ओ.) के नाभिकीय, जैव तथा रसायन (एन.बी.सी.) हथियारों को पकड़ने वाली गाडि़यां शामिल करेगी
थलसेना ने डी.आर.डी.ओ. निर्मित, कम खर्च वाली गाड़ी को शामिल किया जिससे देश पर नाभिकीय, जैव तथा रसायन हमलों का पता लगाया जा सकता है। अब देश में निर्मित गाड़ी से देश की सीमा के अंदर नाभिकीय विकिरणों, रसायन व जैव कारिन्दों को पहचाना जा सकेगा।
थलसेना में नाग मिसाइल शामिल की जायेंगी
4 से 7 कि.मी. के दूरी पर हमला करने के लिये नाग हर मौसम के लिये उपयुक्त मिसाइल है।
दागने की प्रणाली
हिन्दोस्तानी सशस्त्र बल पारंपरिक व नाभिकीय हथियारों को दागने के लिये अपनी खुद की प्रणाली तैयार कर रहे हैं। इससे साफ दिखता है कि हिन्दोस्तान के पूंजीपति सिर्फ हथियारों के आयात पर निर्भर नहीं रहना चाहते बल्कि अपनी साम्राज्यवादी रणनीति के लिये लम्बे अरसे की योजना बना रहे हैं।
निम्नलिखित हिन्दोस्तान में विकसित मिसाइलों की सूची है जिनसे नाभिकीय बम डाले जा सकते हैं।
नाभिकीय पनडुब्बियां
हिन्दोस्तान की योजना नाभिकीय पनडुब्बियों की 20 तक की संख्या करने की है जिनमें नाभिकीय बम वाली मिसाइलों की क्षमता हो। अग्रिम तकनीक पोत योजना के तहत हिन्दोस्तान ने अभी तक एक ऐसी पनडुब्बी बना ली है तथा दो और बनाई जा रही हैं।
देश में विकसित की गयी दागने वाली प्रणाली का इस्तेमाल कर के हिन्दोस्तानी नौसेना के दूसरे पोत भी नाभिकीय व पारंपरिक मिसाइलों की क्षमता पा सकते हैं।
नाभिकीय क्षमता वाले विमान
हिन्दोस्तान के पास अब ऐसे विमान हैं जिनसे नाभिकीय व पारंपरिक मिसाइलें दागी जा सकती हैं। आयात किये विमानों के साथ साथ हिन्दोस्तान एयरोनाॅटिक्स लिमटेड द्वारा उत्पादित तेजस विमान में नाभिकीय हथियार लगाये जा सकते हैं।
प्रक्षेपी मिसाइल सुरक्षा
हिन्दोस्तान में पृथ्वी हवाई सुरक्षा (पी.ए.डी.) नामक एक सक्रीय प्रक्षेपी मिसाइल की योजना है। दो नयी प्रक्षेपी मिसाइल विकसित की जा रही हैं जो आई.आर.बी.एम. / आई.सी.बी.एम. से हवा में ही भिड़ सकते हैं। ऐसी तेज मिसाइलें (ए.डी.-1 व ए.डी.-2) 5000 कि.मी. तक के दायरे में प्रक्षेपी मिसाइलों से हवा में भिड़ने के लिये विकसित की जा रही हैं।
हिन्द महासागर का इलाका-कुछ हाल की गतिविधियां
2007 में हिन्दोस्तान की नया खबरी चैकी मेडागास्कर में शुरु की गयी। इस निगरानी की प्रणाली से दक्षिण-पश्चिम हिन्द महासागर में हो रही सैन्य हलचल के बारे में सूचना मिलती है। निगरानी की प्रणाली को कोची व मुंबई की नौसेना के दक्षिणी व पश्चिमी उच्च कमानों से जोड़ा गया है। मेडागास्कर अफ्रीका के पूर्वी तट पर स्थित बड़ा टापू है। हिन्द महासागर की सीमा पर स्थित बढ़ती संख्या में अफ्रीका के वैसे देश हैं जिनके साथ हिन्दोस्तान नौसैनिक व दूसरे संबंध बना रहा है। 2003 में हुये अफ्रीकी संघ के शिखर सम्मेलन और उसके अगले वर्ष हुये विश्व आर्थिक फोरम के शिखर सम्मेलन के समय हिन्दोस्तानी नौसेना ने मोज़ाम्बीक की समुद्री सुरक्षा की जिम्मेदारी ली थी।
हिन्दोस्तान के मोरीशस के साथ 1974 से ही नौसैनिक संबंध हैं। मोरीशस हिन्दोस्तान व मेडागास्कर की बीच में स्थित है। ऐसी भी खबर है कि मोरीशस ने अपना आलगेला टापू हिन्दोस्तान को लम्बे अरसे की लीज़ पर देने का प्रस्ताव प्रस्तुत किया है। यह टापू मोरीशस से 1100 कि.मी. व हिन्दोस्तान से 3000 कि.मी. दूर हैं।
अफ्रीका के दक्षिण-पश्चिमी तट पर स्थित मोज़ाम्बीक के साथ हिन्दोस्तान ने तटीय निगरानी का समझौता किया है। साथ ही साथ, हिन्दोस्तान उन्हें सैन्य गाडि़यां, हवाई जहाज तथा पोतों को असेम्बल करने व मरम्मत करने के उपकरण दे रहा है तथा उनके तकनीतिज्ञों का प्रशिक्षण भी कर रहा है।
चीन |
2,255,000 |
अमेरिका |
1,385,122 |
हिन्दोस्तान |
1,325,000 |
रूस |
1,245,000 |
उत्तरी कोरिया |
1,170,000 |
दक्षिण कोरिया |
687,000 |
पाकिस्तान |
650,000 |
ईरान |
545,000 |
हिन्दोस्तानी नाभिकीय क्षमता वाली मिसाइलें
नाम |
वर्ग |
दूरी क्षमता |
वजन क्षमता |
स्थिति |
अग्नि-1 |
एस.आर.बी.एम. |
850,कि.मी. |
1,000,कि.ग्रा. |
तैयार |
अग्नि-2 |
एम.आर.बी.एम. |
2,500,कि.मी. |
500,कि.ग्रा.-1,000,कि.ग्रा. |
तैयार |
अग्नि-3 |
आई.सी.बी.एम. |
3,500,कि.मी. – 5,500,कि.मी. |
2,490,कि.ग्रा. |
तैयार |
अग्नि-5 |
आई.सी.बी.एम. |
5,000,कि.मी. – 6,000,कि.मी. |
3,000,कि.ग्रा. |
विकास जारी है |
अग्नि-3एस. एल. |
आई.सी.बी.एम. |
5,200,कि.मी. – 11,600,कि.मी. |
700,कि.ग्रा.-1,400,कि.ग्रा. |
विकास जारी है |
आकाश |
सतह से हवा में |
30,कि.मी. |
60,कि.ग्रा. |
तैयार |
अस्त्र |
हवा से हवा में |
80 कि.मी. सीधी 15 कि.मी. पीछा करते हुये |
? |
तैयार |
ब्राह्मोस-1 |
पराध्वनिक क्रूज मिसाइल |
290,कि.मी. |
300,कि.ग्रा. |
तैयार |
ब्राह्मोस-2 |
पराध्वनिक क्रूज मिसाइल |
? |
? |
विकास जारी है |
धनुष |
एस.आर.बी.एम. |
350,कि.मी. |
500,कि.ग्रा. |
तैयार |
निर्भव |
अवध्वनिक क्रूज मिसाइल |
1,000,कि.मी. |
? |
विकास जारी है |
पी-70 अमेटिस्ट |
पोत विनाशक मिसाइल |
65,कि.मी. |
530,कि.ग्रा. |
तैयार |
च्पी-270 मोस्कित |
पराध्वनिक क्रूज मिसाइल |
120,कि.मी. |
320,कि.ग्रा. |
तैयार |
पोपाई |
ए.एस.एम. |
78,कि.मी. |
340,कि.ग्रा. |
तैयार |
पृथ्वी-1 |
एस.आर.बी.एम. |
150,कि.मी. |
1,000,कि.ग्रा. |
तैयार |
पृथ्वी-2 |
एस.आर.बी.एम. |
250,कि.मी. |
500,कि.ग्रा. |
तैयार |
पृथ्वी-3 |
एस.आर.बी.एम. |
350,कि.मी. |
500,कि.ग्रा. |
तैयार |
सागरिका |
एस.एल.बी.एम. |
700,कि.मी.-2,200,कि.मी. |
150,कि.ग्रा.-1,000,कि.ग्रा. |
तैयार |
शौर्य |
टी.बी.एम. |
700,कि.मी.-2,200,कि.मी. |
150,कि.ग्रा.-1,000,कि.ग्रा. |
तैयार |
सूर्य-1 |
आई.सी.बी.एम. |
9,000,कि.मी.-12,000,कि.मी. |
3,000,कि.ग्रा. |
जानकारी उपलब्ध नहीं |
सूर्य-2 |
आई.सी.बी.एम. |
20,000,कि.मी. |
? |
जानकारी उपलब्ध नहीं |