1 जनवरी, 2010 क्यूबा की क्रांति की सालगिरह है जिसमें क्यूबा में फासीवादी हुकूमशाही का खात्मा हुआ। 51 साल पहले 8 जनवरी, 1959 को क्यूबा के लोगों के आत्मनिर्धारण के लिए संघर्ष की जीत हुई जब उन्होंने बातिस्ता हुकूमशाही का तख्ता पलट किया; क्यूबा के लोगों ने खुद अपना भविष्य तय करने का हक़ हासिल किया।
1 जनवरी, 2010 क्यूबा की क्रांति की सालगिरह है जिसमें क्यूबा में फासीवादी हुकूमशाही का खात्मा हुआ। 51 साल पहले 8 जनवरी, 1959 को क्यूबा के लोगों के आत्मनिर्धारण के लिए संघर्ष की जीत हुई जब उन्होंने बातिस्ता हुकूमशाही का तख्ता पलट किया; क्यूबा के लोगों ने खुद अपना भविष्य तय करने का हक़ हासिल किया।
क्यूबा की क्रांति ने अमरीकी साम्राज्यवादी राज्य के लिए एक बहुत बड़ी चोट दी थी, जो दक्षिण और मध्य अमरीका को अपना अहाता समझता रहा है जिस पर नियंत्रण करके लूट मचाई जा सकती है। 20वीं शताब्दी की शुरुआत से जब से अपना साम्राज्यवादी प्रसार शुरु किया था, तब से अमरीका का यह रवैया रहा है। क्यूबा के मामले में जनवरी 1959 तक अमरीकी पूंजी ने क्यूबा की आर्थिक व्यवस्था और खनिज संसाधनों पर अपना वर्चस्व जमाया था। क्यूबा की 12 लाख हेक्टेयर जमीन, जो कि उत्पादक क्षेत्र का एक चौथाई हिस्सा थी, इस पर अमरीका का नियंत्रण था, अधिकांश चीनी उद्योग, निकिल उत्पादन, तेल रिफायनरी, बिजली और टेलिफोन सेवाओं और बैंकों पर अमरीका का कब्जा था। इसके अलावा, क्यूबा का 70 प्रतिशत का आयात और निर्यात अमरीकी बाजार के नियंत्रण में था। बातिस्ता शासन, जिसका क्यूबा की क्रांति ने तख्ता पलट किया, ने अमरीकी सेना के पूरे समर्थन के साथ अपना फासीवादी और लोक-विरोधी राज बनाये रखा था। अंत में 1959 में क्यूबा के लोगों ने बडे बहादुर और खूनी संघर्ष के बाद बातिस्ता हुकुमशाही का तख्ता पलट किया और एक आज़ाद गणतंत्र की स्थापना की।
लेकिन क्यूबा गणतंत्र का अमरीकी साम्राज्यवादी आक्रमण के खिलाफ़ संघर्ष जारी है। अमरीकी साम्राज्यवाद तमाम तरीकों से यह कोशिश कर रहा है कि किसी तरह से क्यूबा में तख्ता पलट हो और अमरीकी सरमायदारों के हितों की रखवाली हो। इसके लिए वह तमाम कोशिश कर रहा है – फौजी आक्रमण, आर्थिक और राजनीतिक तौर से क्यूबा को अलग करना इत्यादि।
तमाम तरह के फौजी संस्थानों और कार्यवाहियों के जटिल जाल के जरिये अमरीकी साम्राज्यवाद लातिन अमरीका और कैरिबीयन देशों में अपनी फौजी मौजूदगी बनाए हुए है। हाल ही के वर्षों में लातिन अमरीका में अमरीकी फौजी अवें और फौजी समर्थन के लिए समझौतों में भारी बढ़ोतरी हुई है। अमरीका ने कई देशों के साथ एक दस वर्षीय समझौता किया है, जिसके तहत कई फौजी हवाई अड्डों का पुनर्निर्माण किया जा रहा है। इसके अलावा तमाम अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के असूलों और देशों की प्रभुसत्ताा का उल्लंघन करते हुए अमरीका ने क्यूबा के क्षेत्र में गुटानामों समुद्री अड्डे पर अपना कब्जा जमाया है और आज उसे एक भयानक कारागार की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है। 20वीं शताब्दी की शुरुआत में अमरीका ने इस अड्डे को जबर्दस्ती करके किराए पर लिया था और अब अमरीकी सरकार इसे लौटाने से इंकार कर रही है।
अक्तूबर 1960 से क्यूबा पर अमरीका द्वारा व्यापारिक, आर्थिक और वित्ताीय नाकेबन्दी थोपी गई है। जब क्यूबा ने अपने देश में अमरीकी नागरिकों और कंपनियों की ज़ायदाद जब्त की तब से अमरीका ने नाकेबन्दी शुरु की। शुरुआत की आंशिक नाकेबंदी को फरवरी 1962 में मजबूत करके पूर्ण नाकेबन्दी कर दी गयी। पिछले तमाम राष्ट्रपतियों के कार्यकाल में 50 वर्ष से यह नाकेबंदी जारी है। इसमें कभी-कभार कुछ अमरीकी व्यापारी हितों के दबाव के चलते कुछ ढील दी जाती है, जो क्यूबा से व्यापार करने में फायदा होने की संभावना देखते हैं। अमरीकी नाकेबंदी के चलते क्यूबा अमरीका या किसी अमरीकी कंपनी से दवाइयां, चिकित्सा औजार और तकनीक नहीं हासिल कर सकता। स्कूलों, अस्पतालों और बच्चों के लिये सुविधा केंद्रों के लिए पौष्टिक आहार आयात करने में असमर्थ होने की वजह से क्यूबा के लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
पिछले 50 वर्षों में सभी अमरीकी सरकारों ने दुनियाभर के लोगों के विरोध के बावजूद, क्यूबा की अर्थव्यवस्था और लोगों के खिलाफ़ आर्थिक नाकेबंदी जारी रखी है। 1992 से लगातार हर वर्ष संयुक्त राष्ट्र संघ की सर्वसामान्य सभा ने इस नाकेबंदी की निंदा की है और इसे अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया है। हाल ही में, 28 अक्तूबर, 2009 को संयुक्त राष्ट्र ने 18वीं बार इसकी कड़ी निन्दा की।
इन दबावों के अलावा, अमरीकी सरकार वक्त-वक्त पर क्यूबा के नागरिकों और अमरीका में बसे क्यूबा मूल के लोगों के खिलाफ़ जासूसी के झूठे आरोप लगाकर उन्हें परेशान करती है। वह उन लोगों को परेशान करती है जो क्यूबा के खिलाफ़ अमरीका द्वारा चलाए जा रहे झूठे प्रचार को चुनौती देते हैं। हाल ही में, 1998 में अमरीकी गुप्तचर संस्था एफ.बी.आई. ने दक्षिण फ्लोरिडा में 5 नागरिकों को गिरफ्तार किया और 17 महीनों तक बिना किसी मुकदमें के सबको अलग-अलग जेलों में बंद रखा और यातनाएं दीं। आज तक उन्हें जेलों में बंद रखा गया है। यह पांच लोग निहत्थे थे और अमरीका में उन गुटों की तहक़ीक़ात करने आये थे, जिन्हें क्यूबा पर हमला करने के लिए धन दिया जा रहा था।
अमरीका ने लगातार क्यूबा और उसके नेताओं के खिलाफ़ हत्या की साज़िश और आतंकवादी हमले आयोजित किये हैं, जिससे देश में अस्थिरता लाई जा सके और ऐसा शासन लाया जा सके जो अमरीकी हितों की तरफदारी करेगा। यह सब अमरीकी सरकार की आक्रामक नीतियों का हिस्सा है, जिसकी दुनियाभर में निंदा हुई है। पिछले 50 वर्ष से ज्यादा समय से क्यूबा इस तरह के फौजी, आर्थिक और राजनीतिक दबाव का सामना करता आया है। क्यूबा के लोगों ने इस दबाव के सामने झुकने और साम्राज्यवादी हमलावर के सामने घुटने टेकने से इंकार किया है और बड़ी बहादुरी के साथ खुद अपनी राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक व्यवस्था तय करने के अपने अधिकार की हिफ़ाज़त की है।
क्यूबा का उदाहरण यह दिखाता है कि किस तरह से एक छोटा सा देश यदि तय करे और लोग उसके पीछे एकजुट हो तो, अमरीकी साम्राज्यवाद की दादागिरी का बहादुरी के साथ सामना कर सकता है। क्यूबा ने बड़ी बहादुरी से संयुक्त राष्ट्र और सभी अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर लोगों की प्रभुसत्ताऔर तमाम लोगों और राष्ट्रों के अधिकारों की हिफ़ाज़त में अपनी भूमिका रखी है, जो साम्राज्यवादी हमलों का शिकार हैं। तमाम अन्य लातिन अमरीकी देशों के लिए क्यूबा एक प्रेरणास्रोतहै और उसने अमरीकी साम्राज्यवाद के खिलाफ़ इस क्षेत्र के देशों की एकजुटता बनाने में अपना योगदान दिया है।