सिर्फ वही पार्टी कम्युनिस्ट हो सकती है जो श्रमजीवी वर्ग के अधिनायकत्व के लिये काम कर रही हो!
हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी के जीवन के 30वें वर्ष की शुरुआत मनाने के लिये 25 दिसम्बर, 2009 को दिल्ली में एक भव्य राजनीतिक व सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसके पश्चात, वर्तमान हालातों और हिन्दोस्तानी मजदूर वर्ग व कम्युनिस्टों के सामने, खास तौर पर कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी जो मजदूर वर्ग को सत्ताा में लाने के अपने काम के 30वें वर्ष में प्रवेश कर रही है, के सामने चुनौतियों पर चर्चा के लिये दो दिवसीय सम्मेलन किया गया।
सिर्फ वही पार्टी कम्युनिस्ट हो सकती है जो श्रमजीवी वर्ग के अधिनायकत्व के लिये काम कर रही हो!
हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी के जीवन के 30वें वर्ष की शुरुआत मनाने के लिये 25 दिसम्बर, 2009 को दिल्ली में एक भव्य राजनीतिक व सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसके पश्चात, वर्तमान हालातों और हिन्दोस्तानी मजदूर वर्ग व कम्युनिस्टों के सामने, खास तौर पर कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी जो मजदूर वर्ग को सत्ताा में लाने के अपने काम के 30वें वर्ष में प्रवेश कर रही है, के सामने चुनौतियों पर चर्चा के लिये दो दिवसीय सम्मेलन किया गया।
25 से 27 दिसम्बर को उत्सव, समारोह व सम्मेलन एक ऐसे समय पर किया गया जब पूंजीवाद प्राकृतिक व सामाजिक पर्यावरण के विनाश की ओर बढ़ रहा है और दुनिया भर में लोग इस संकट-ग्रस्त व्यवस्था का विकल्प ढूंढ रहे हैं। यह एक ऐसे समय पर हुआ है जब साम्राज्यवाद व कम्युनिज्म के अर्थ के बारे में ही सबसे ज्यादा अज्ञान व भ्रम फैला हुआ है।
हिन्दोस्तान में, मजदूर वर्ग पर विभिन्न पार्टियां बोझ बन कर बैठी हैं जो समाजवादी व कम्युनिज्म की तरफदारी का दावा तो करती हैं परन्तु अभ्यास में पूंजीपतियों के राज का समर्थन करती हैं। 25-27 दिसम्बर, 2009 के कार्यक्रम, हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी द्वारा अपने सदस्यों को, मजदूर वर्ग के आंदोलन को सफलता की तरफ ले जाने के लिये जरूरी सिध्दांत व कम्युनिस्ट विचारों से लैस करने के रास्ते में, एक अहम मीलपत्थर था।
25दिसम्बर को सभागृह खचा-खच भरा हुआ था। इस ऐतिहासिक समारोह में भाग लेने के लिये देश के हर कोने से और विदेशों से भी साथी शामिल थे।
पार्टी के महासचिव कामरेड लाल सिंह ने अपने स्वागत भाषण में बताया कि सिर्फ वही पार्टी कम्युनिस्ट हो सकती है जो मजदूर वर्ग का अधिनायकत्व स्थापित करने के लिये काम कर रही हो इस शीर्षक पर एक बहुत महत्वपूर्ण पेपर की प्रस्तुति की जायेगी। यह पेपर पार्टी की केंद्रीय समिति के सचिवालय की अगुवाई में, केंद्रीय समिति के सैध्दांतिक काम करने वाले समूह ने तैयार किया है। उन्होंने सभी सहभागियों को इस पेपर का गंभीरता से अध्ययन करने के लिये और इसके मुख्य संदेश पर चर्चा करने का बुलावा दिया। उन्होंने कहा, ''हम नहीं चाहते कि साथी पेपर की सिर्फ सराहना ही करें। हम चाहते हैं कि हर सहभागी वर्तमान परिस्थिति व मजदूर वर्ग का अधिनायकत्व स्थापित करने के मार्ग पर अग्रसर होने के बारे में अपने मत प्रकट करें।''
पेपर का मुख्य निचोड़ था कि एक कम्युनिस्ट की परिभाषा ही है कि उसका लक्ष्य श्रमजीवी वर्ग का अधिनायकत्व,
यानि कि मजदूर वर्ग, के नेतृत्व में मेहनतकशों का राज स्थापित करना है। कोई भी पार्टी जिसका राजनीतिक लक्ष्य कुछ और ही है, वह कम्युनिस्ट नहीं है। वह माक्र्सवादी या लेनिनवादी नहीं है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह अपने आपको माक्र्सवादी या कम्युनिस्ट या समाजवादी क्यों न कहती हो। अगर उनका लक्ष्य या कामकाज का नतीजा मजदूर वर्ग का अधिनायकत्व स्थापित करना नहीं है तो वह पूंजीपति वर्ग के राज को बरकरार रखने में और पूंजीवाद को जीवित रखने में ही सहायता कर रही है।
पेपर में माक्र्सवाद के मूलभूत निष्कर्ष पर जोर दिया गया, कि आधुनिक काल में सिर्फ दो प्रकार के ही राज्य हो सकते हैं। या तो एक राज्य पूंजीवाद को जारी रखकर पूंजीपतियों का हित रक्षण करता है, या फिर वह एक ऐसा राज्य हो सकता है जो पूंजीवाद को दफना कर और समाजवाद का निर्माण करके मजदूर वर्ग का हित रक्षण करता हो। इन दोनों के सिवाय और कुछ संभव नहीं है। जो इन दोनों के बीच में कुछ होने का दावा करते हैं वे वास्तव में पूंजीपतियों को पूंजीवाद को बरकरार रखने में ही मदद कर रहे हैं। चीन व पश्चिम बंगाल के अनुभव यही दिखाते हैं।
मजदूर वर्ग के राज और कम्युनिस्ट पार्टी के राज की संकल्पनाओं के बीच पेपर में साफ अंतर दिखाया गया। यह स्पष्ट किया गया कि वर्ग का राज होना चाहिये जबकि पार्टी को नेतृत्व देना चाहिये। सोवियत संघ के उत्थान व पतन का विश्लेषण करते हुये यह समझाया गया कि वहां मजदूर वर्ग के राज को पार्टी राज में बदल दिया गया था जो पूंजीपतियों के राज का ही एक स्वरूप है।
अपने आप को कम्युनिस्ट कहने वाली कई कम्युनिस्ट पार्टियां मजदूरों, किसानों, महिलाओं व नौजवानों को मजदूर वर्ग के राज के लक्ष्य से विपरीत लक्ष्य के लिये संगठित कर रही हैं। अपने देश के मजदूर वर्ग के बीच जो अज्ञान व झूठी चेतना फैलाई गयी है उसको हटाना हमारा कम्युनिस्ट कर्तव्य है। कम्युनिज्म और झूठे कम्युनिज्म के बीच में विभाजन की साफ लकीर खींचने की जरूरत है। तभी मजदूर वर्ग को हम क्रांतिकारी पथ पर नेतृत्व दे सकते हैं। तभी हम कम्युनिस्ट आंदोलन से पूंजीवादी विचारधारा के हर स्वरूप को निकालने के आधार पर, कम्युनिस्टों को एकजुट कर सकते हैं। 25 दिसम्बर को प्रस्तुत किये पेपर के संदेशों में यह सबसे महत्वपूर्ण संदेश था।
26 दिसम्बर की कार्यवाही सहभागियों को अलग-अलग भाषाओं में पेपर की प्रतियां देने से शुरु की गयी। सबको इसका अध्ययन करने का समय दिया गया । इसके बाद चर्चा शुरु की गयी जिसकी अध्यक्षता कामरेड लाल सिंह ने की। 30 से भी अधिक सहभागियों ने उस दिन चर्चा में अपने विचार रखे।
27 दिसम्बर के दिन हिन्दोस्तान की क्रांति के मार्गदर्शक सिध्दांत पर प्रस्तुति की गयी जिसमें वैज्ञानिक समाजवाद, मजदूरों, किसानों, महिलाओं व नौजवानों को देश का हुक्मरान बनाने और हिन्दोस्तान की धरती पर समाजवाद की स्थापना का समावेश था। क्रांति के जरिये पूंजीवादी व्यवस्था व ब्रिटिश संसदीय लोकतंत्र सहित, पूरी बस्तीवादी विरासत को उखाड़ फैकना जरूरी है। प्रस्तुति के बाद प्रश्नोत्तार का सत्र था। अनेक साथियों ने बिना किसी बंदिश के अपने विचार व प्रश्न रख कर सक्रियता से इसमें भाग लिया।
समापन वक्तव्य देते हुये, कॉमरेड लाल सिंह ने पिछले 29 वर्षों में हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी की स्थापना व सुदृढ़ बनाने के काम के बारे में बताया। उन्होंने समझाया कि कैसे हिन्दोस्तानी धरती पर अपने पैर जमाने का संघर्ष करने वाली छोटी सी ताकत से बढ़ कर आज हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी ने कम्युनिस्ट आंदोलन में एक रणनैतिक स्थान बनाया है – एक ऐसी पार्टी बतौर जिसने हमेशा मजदूरों व किसानों को देश का हुक्मरान बनने में सक्षम करने का कार्य किया है।
उन्होंने समझाया कि हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी के दरवाजे हर उस हिन्दोस्तानी के लिये खुले हैं जो श्रमजीवी वर्ग की क्रांति व समाजवाद के लिये काम करने का इच्छुक है। सभी नये सदस्यों पर वही अनुशासन लागू होता है; उसे पार्टी के बुनियादी संगठनों में से एक में काम करना पड़ता है। उन्होंने जोर दिया कि पार्टी का हर सदस्य उसके आचरण व काम के आधार पर परखा जाता है न कि उसके बोलने की काबिलियत के आधार पर। कम्युनिस्ट नेतृत्व के सार को समझाते हुये उन्होंने कहा कि नेता वही होता है जो दृढ़ता से पार्टी, इसकी लाईन व पार्टी संगठनों के सामूहिक निर्णयों की सुरक्षा करता है।
उत्सव, समारोह व दो दिन के सम्मेलन से सभी सदस्यों का हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी को बनाने व मजबूत करने का मजदूर वर्ग को हुक्मरान वर्ग बनाने के काम को आगे बढ़ाने का तथा उस लक्ष्य से दिशाभूल करने वाली सभी लाईनों का पर्दाफाश करने व हराने का संकल्प और भी दृढ़ हुआ।