इज़रायल द्वारा गाज़ा में फ़िलिस्तीनी लोगों के 15 महीने लम्बे जनसंहार में, जनवरी 2025 में अस्थायी रूप से युद्ध विराम लगने के साथ-साथ, इज़रायल के कब्ज़े वाले वेस्ट बैंक में सैन्य हमलों में तेज़ी आई है।
इज़रायली सेना ने वेस्ट बैंक में कई नए हमले किए हैं, जिनमें सैकड़ों लोग मारे गए हैं और हज़ारों लोग विस्थापित हुए हैं। पिछले महीने में ही अनुमानित 40,000 लोगों को उनके घरों से निकाल दिया गया है। बुलडोज़र से ज़रूरी बुनियादी ढांचों को नष्ट किया गया है। इज़रायली सेना ने टैंकों से शरणार्थी शिविरों में शरण लेने वाले फ़िलिस्तीनी लोगों पर हमला किया है। रिपोर्टों के अनुसार, 2005 में दूसरे इन्तेफादा, यानी इज़रायल द्वारा उनकी ज़मीन पर बलपूर्वक कब्ज़े और बेहद क्रूरता से उन्हें बेघरबार किये जाने के ख़िलाफ़ फ़िलिस्तीनी लोगों के विद्रोह, के अंत के बाद से वेस्ट बैंक में इज़रायली टैंकों का यह पहली बार इस्तेमाल किया जा रहा है।
वेस्ट बैंक पर इज़रायल द्वारा कोड नाम “ऑपरेशन आयरन वॉल” के साथ किये जा रहे वर्तमान हमले का कथित उद्देश्य, तीन सबसे बड़े शरणार्थी शिविरों – जेनिन, तुलकरम और नूर शम्स में “आतंकवादियों” को जड़ से उखाड़ना है। वास्तव में, इसका उद्देश्य फ़िलिस्तीनी लोगों को आतंकित करना और उन्हें अपनी ज़मीन से बाहर भगाना है।
इज़रायली बस्तियों का विस्तार और उनमें बसाये गए लोगों द्वारा की जा रही हिंसा में बढ़ोतरी
गाज़ा में फ़िलिस्तीनी लोगों पर इज़रायल के 15 महीने लंबे जनसंहारक युद्ध के दौरान भी, वेस्ट बैंक में फ़िलिस्तीनी लोगों पर इज़रायल द्वारा हमले तथा वहां बसे इज़रायलियों द्वारा क्रूर हिंसा लगभग रोज़ की घटना बन गयी थी। इज़रायली सैन्य हमलों के साथ-साथ, इज़रायली सैनिकों के संरक्षण में वहां बसे इज़रायलियों ने बार-बार उत्पात मचाया है, फ़िलिस्तीनी वाहनों और संपत्तियों में आग लगाई है, सैकड़ों फ़िलिस्तीनियों को मार डाला है और घायल किया है।
प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के नेतृत्व वाली इज़रायली सरकार लगातार इज़रायल के कब्ज़े वाले क्षेत्रों, वेस्ट बैंक और पूर्वी यरुशलम, में इज़रायली बस्तियों के अवैध निर्माण का विस्तार करती आ रही है। 2023 में, नेतन्याहू की सरकार ने क़ब्ज़े वाले वेस्ट बैंक क्षेत्र में दसों-हजारों नई आवास इकाइयों के निर्माण को मंजूरी दी थी। उसने एक क़ानून में संशोधन करके बसने वालों को उन चार बस्तियों में लौटने की अनुमति दी थी, जिन पर वे पहले क़ब्ज़ा किये हुए थे, लेकिन उस क़ब्ज़े के अवैध होने की वजह से बाद में उन्हें खाली करने के लिए मजबूर होना पड़ा था।
अंतर्राष्ट्रीय क़ानून के तहत अवैध
इज़रायल ने 1967 के युद्ध में जिन फ़िलिस्तीनी क्षेत्रों पर क़ब्ज़ा किया था – पूर्वी यरुशलम और वेस्ट बैंक, गोलान हाइट्स और गाज़ा पट्टी – उन्हें छोड़ने से इनकार कर दिया है, हालांकि संयुक्त राष्ट्र संघ के कई प्रस्तावों में इज़रायल को ऐसा करने को कहा गया है।
इज़रायल ने जिन फ़िलिस्तीनी क्षेत्रों पर क़ब्ज़ा कर रखा है, उन पर इज़रायली यहूदियों की बस्तियों को स्थापित करना व उनका विस्तार करना, यह फ़िलिस्तीनी लोगों के ख़िलाफ़ इज़रायली राज्य द्वारा किए गए सबसे गंभीर भड़काऊ हमलों में से एक है। यह संयुक्त राष्ट्र संघ के चौथे जिनेवा कन्वेंशन का सीधा उल्लंघन है, जो किसी क़ब्ज़ाकारी शक्ति को अपने द्वारा बलपूर्वक क़ब्ज़ा किये गए दूसरे देशों और लोगों के क्षेत्रों में अपनी आबादी को स्थानांतरित करने से रोकता है।
वर्तमान में, क़ब्ज़े वाले वेस्ट बैंक और पूर्वी यरुशलम में लगभग 250 ऐसी अवैध बस्तियां हैं, जिनमें 7.5 लाख से ज़्यादा लोग (इज़रायल की यहूदी आबादी का लगभग 10 प्रतिशत) रहते हैं। उन्हें इज़रायली राज्य द्वारा सशस्त्र सुरक्षा दी जाती है। इज़रायली सेना इन क़ब्ज़े वाले क्षेत्रों में इज़रायली बस्तियों के निर्माण और विस्तार की देखरेख करती है।
इन क़ब्ज़े वाले इलाकों में रहने वाले फ़िलिस्तीनी चारों तरफ इज़रायली बस्तियों से घिरे हुए हैं। उन्हें रोज़ाना इज़रायली सेना द्वारा क़ब्ज़े वाले इलाकों में स्थापित सैकड़ों चेकपॉइंट पर क्रूर, अपमानजनक तरह से की जाने वाली तलाशी का सामना करना पड़ता है। वे लगातार इज़रायली बस्तियों में बसने वालों के हमलों और अपनी ही ज़मीन से बाहर निकाल दिए जाने के ख़तरे के डर में रहते हैं।
7 अक्तूबर, 2023 से 31 दिसंबर, 2024 तक, क़ब्ज़े वाले वेस्ट बैंक में बसे इज़रायलियों द्वारा की गई हिंसा की कम से कम 1,860 घटनाएं दर्ज़ की गईं, यानि औसतन प्रतिदिन चार – मानवीय मामलों के समन्वय के लिए संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (ओसीएचए) के आंकड़ों के अनुसार। नब्लस, रामल्लाह और हेब्रोन के फ़िलिस्तीनी शरणार्थी शिविरों में रहने वाले फ़िलिस्तीनी लोग इन हमलों में सबसे ज्यादा पीड़ित हुए हैं। इस अवधि में वेस्ट बैंक में कम से कम 870 फ़िलिस्तीनी मारे गए हैं, जिनमें 177 बच्चे हैं, और 6,700 से अधिक घायल हुए हैं। 2,100 से अधिक घर और इमारतें ध्वस्त हो गई हैं, जिससे 6,700 से अधिक लोग विस्थापित हो गए हैं।
वेस्ट बैंक के क़स्बों और गांवों में रात में इज़रायली सेना के छापे एक नियमित घटना बन गए हैं, जिनमें इज़रायली सैनिक और इज़रायली बस्तियों के लोग फ़िलिस्तीनी पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को मारते, पीटते और आतंकित करते हैं।
रिपोर्टों के अनुसार, इस अवधि में बच्चों सहित कम से कम 13,500 फ़िलिस्तीनियों को इज़रायली सैनिकों द्वारा गिरफ़्तार किया गया है, और कम से कम 3,432 फ़िलिस्तीनियों को बिना किसी आरोप के इज़रायली सैन्य जेलों में बंद रखा गया है।
अमरीकी साम्राज्यवाद का पूर्ण समर्थन
इज़रायली राज्य दुनिया के लोगों की राय की परवाह किए बिना, फ़िलिस्तीनी क्षेत्र पर अपना क़ब्ज़ा और फ़िलिस्तीनी लोगों पर हमले जारी रखता है। वह ऐसा इसलिए कर पाता है क्योंकि उसे अमरीकी साम्राज्यवाद का पूरा समर्थन प्राप्त है। अमरीकी साम्राज्यवाद इज़रायल को हथियारों से लैस करने में पूरी मदद करता रहता है। अमरीका संयुक्त राष्ट्र संघ में इज़रायल की कार्रवाइयों का बचाव करने के लिए अपनी वीटो शक्ति का उपयोग करता है, जैसा कि उसने गाज़ा में इज़रायल के 15 महीने लंबे जनसंहारक युद्ध के दौरान बार-बार किया है।
अमरीका ने तेल समृद्ध पश्चिम एशियाई क्षेत्र पर अपना नियंत्रण और प्रभुत्व स्थापित करने के उद्देश्य से, इज़रायल को स्थापित किया है और उसे फ़िलिस्तीनी व अन्य अरब लोगों को निशाना बनाते हुए एक हथियार के रूप में मज़बूत करना निरंतर जारी रखा है।
अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने क़ब्ज़े वाले वेस्ट बैंक में फ़िलिस्तीनियों पर हिंसक हमले करने वाले संगठनों और व्यक्तियों के ख़िलाफ़ लगाये गए प्रतिबंध हटा दिए हैं। अमरीका की पिछली बाइडन सरकार को फरवरी 2024 में ये प्रतिबंध लगाने के लिए मजबूर होना पड़ा था, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय क़ानून का खुलेआम उल्लंघन करते हुए वेस्ट बैंक और पूर्वी यरुशलम के क़ब्ज़े वाले क्षेत्रों में इज़रायल द्वारा स्थापित बस्तियों के लिए अमरीकी समर्थन की दुनिया भर में निंदा की गई थी। अमरीकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने हाल ही में जो ऐलान किया है, कि गाज़ा से 20 लाख से अधिक फ़िलिस्तीनियों को जबरन निकाल कर वहां नस्लवादी सफ़ाया किया जायेगा और वहां पर अमरीकी नियंत्रण स्थापित किया जायेगा, उससे वेस्ट बैंक और अन्य क़ब्ज़े वाले क्षेत्रों में फ़िलिस्तीनी आबादी के बीच बहुत डर है कि उनके साथ भी ऐसा हश्र हो सकता है ।
अमरीकी साम्राज्यवाद के पूर्ण समर्थन के साथ, इज़रायल द्वारा फ़िलिस्तीनी लोगों के खि़लाफ़ किए गए अपराधों को कभी भी भुलाया या माफ़ नहीं किया जा सकता है। इज़रायली हमलों के ख़िलाफ़, अपनी मातृभूमि पर अपने अधिकार की हिफ़ाज़त में फ़िलिस्तीनी लोगों का संघर्ष, पूरी तरह से जायज़ है। इसे दुनिया के सभी स्वतंत्रता-पसंद लोगों का व्यापक समर्थन प्राप्त है।