स्मार्ट मीटर लगाने के खि़लाफ़ व्यापक विरोध प्रदर्शन

कामगार एकता कमेटी के संवाददाता की रिपोर्ट

2025 के जनवरी महीने में देश के कई हिस्सों में बिजली कर्मचारियों के संगठनों, अन्य कर्मचारी संगठनों और जन संगठनों ने प्रीपेड स्मार्ट मीटर (पी.एस.एम.) लगाने के कार्यक्रम का विरोध तेज़ कर दिया।

स्मार्ट मीटर लगाने का विरोध करते हुये नागपुर में प्रदर्शन

महाराष्ट्र राज्य बिजली कर्मचारी महासंघ, अधीनस्थ अभियंता संघ और महाराष्ट्र राज्य मगसवर्गीय विद्युत कर्मचारी संगठन सहित महाराष्ट्र के बिजली क्षेत्र के कर्मचारियों के संगठनों ने 30 जनवरी, 2025 को राज्यव्यापी आंदोलन किया। श्रमिक मुक्ति दल, कामगार एकता कमेटी, हमाल पंचायत, आंगनवाड़ी कर्मचारी संघ, श्रमिक जनता संघ, श्रमिक हक आंदोलन जैसे कई कर्मचारी संगठनों ने भी महाराष्ट्र सरकार की पी.एस.एम. लगाने की योजना की निंदा करते हुए, विभिन्न कार्रवाइयों में भाग लिया। महाराष्ट्र भर में कई जगहों जैसे ठाणे, नागपुर, पुणे, भंडारा, गढ़िंगलाज आदि में विभिन्न संगठनों ने एक साथ आकर प्रीपेड स्मार्ट मीटर विरोधी कृति समितियों का गठन किया है। एटक, सीटू, महाराष्ट्र राज्य किसान सभा, हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), शेतकरी कामगार पक्ष आदि की स्थानीय इकाइयां भी इन समितियों में शामिल हो गई हैं। इन समितियों ने अपने क्षेत्रों में प्रदर्शन और बैठकें आयोजित की हैं। शाहपुर और भिवंडी क्षेत्रों में ग्राम पंचायतों ने पी.एस.एम. की स्थापना के प्रति अपना पूर्ण विरोध व्यक्त करते हुए प्रस्ताव पारित किए।

पुडुचेरी के बिजली कर्मचारियों ने पी.एस.एम. की स्थापना को रोकने की मांग की। आंध्र प्रदेश में विद्युत विनियोगदारुला ऐक्यावेदी (बिजली उपभोक्ता संघ) ने आंध्र प्रदेश में पी.एस.एम. को रद्द करने की मांग की।

स्मार्ट मीटर लगाने का विरोध करते हुये पटना में प्रदर्शन

बिजली क्षेत्र के श्रमिकों के दोनों छत्र संगठन अर्थात नेशनल कोआर्डिनेशन कमेटी आफ इलेक्ट्रिसीटी इप्लाईज एंड इंजीनियर्स (एन.सी.सी.ओ.ई.ई.ई.) आल इंडिया फेडेरेशन आफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज़ (ए.आई.एफ.ई.ई.) ने पहले ही पी.एस.एम. कार्यक्रम का अपना पूर्ण विरोध घोषित कर दिया है। कई किसान संगठनों ने भी पी.एस.एम. का कड़ा विरोध किया है।

2024 के दौरान, 46 मज़दूरों, किसानों और जन संगठनों द्वारा सह-हस्ताक्षरित, “एकजुट होकर मज़दूर-विरोधी, जन-विरोधी स्मार्ट बिजली मीटर का विरोध करें” नामक पुस्तिका व्यापक रूप से वितरित की गई थी। इसने पी.एस.एम. को आगे बढ़ाने के पीछे सरकार और पूंजीपति वर्ग के असली इरादों को उजागर करने में प्रमुख भूमिका निभाई थी। 2024 में ही जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, पश्चिम बंगाल, असम, ओड़िशा, महाराष्ट्र, गुजरात, बिहार, उत्तर प्रदेश आदि कई राज्यों में लोगों ने पी.एस.एम. का विरोध किया। इस विरोध ने संसदीय और राज्य चुनावों के क़रीब होने के कारण पी.एस.एम. स्थापना को अस्थायी रूप से धीमा करने के लिए स्थानीय सरकारों को मजबूर किया। उदाहरण के लिए, महाराष्ट्र में तत्कालीन उपमुख्यमंत्री और बिजली मंत्री ने विधानसभा में वादा किया था कि सामान्य घरेलू उपभोक्ताओं और छोटे व्यापारिक प्रतिष्ठानों के लिए पी.एस.एम. स्थापित नहीं किए जाएंगे। हालांकि, 27 नवंबर को चुनाव परिणाम आते ही महाराष्ट्र सरकार ने पी.एस.एम. स्थापना अभियान को फिर से शुरू कर दिया है। कई अन्य राज्यों में भी यही स्थिति है।

पी.एस.एम. से निश्चित रूप से सभी उपभोक्ताओं के लिए शुल्क सूची में वृद्धि होगी, इसके अलावा उपभोक्ता पूरी तरह से निजी कंपनियों की दया पर होंगे, जो 60 से 96 महीने तक की बहुत लंबी अवधि के लिए पी.एस.एम. को बनाए रखने के लिए ज़िम्मेदार होंगी। पी.एस.एम. की स्थापना से बिजली क्षेत्र के हज़ारों कर्मचारी, स्थायी और अनुबंध कर्मचारी, बेरोज़गार हो जाएंगे।

पी.एस.एम. का विरोध करने वाले सभी लोग उपरोक्त मुद्दों को सही ढंग से उठा रहे हैं। वे मुख्य मुद्दे की ओर भी इशारा कर रहे हैं, कि पी.एस.एम. की स्थापना पहला बड़ा क़दम है और बिजली वितरण के तेज़ी से निजीकरण का अग्रदूत है। कई राज्यों में विभिन्न बड़े पूंजीपतियों ने पहले ही वितरण लाइसेंस प्राप्त करने में अपनी रुचि की खुले तौर पर घोषणा की है। उदाहरण के लिए, महाराष्ट्र में अदानी, टाटा, जिंदल आदि जैसे विभिन्न बड़े पूंजीवादी समूहों ने महाराष्ट्र के 16 प्रमुख शहरों में वितरण में अपनी रुचि दिखाई है।

पी.एस.एम. का विरोध करने वाले संगठन यह भी मांग उठा रहे हैं कि बिजली जैसी बुनियादी आवश्यकता को लाभ कमाने के स्रोत के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। बिना किसी अपवाद के सभी लोगों को उचित दामों पर और अच्छी गुणवत्ता वाली सभी बुनियादी ज़रूरतें मुहैया कराना किसी भी सरकार की बुनियादी ज़िम्मेदारियों में से एक है। पूंजीपति शासक वर्ग के शासन में, केंद्र और राज्यों में सरकार बनाने वाली पूंजीपतियों की सभी पार्टियां इस बुनियादी ज़िम्मेदारी को निभाने से इनकार कर रही हैं। मेहनतकश लोगों को ही मज़दूरों और किसानों का शासन स्थापित करके इस सिद्धांत को व्यवहार में लाना होगा।

बिजली उपभोक्ताओं के लड़ाकू मोर्चा ने स्मार्ट मीटर लगाने के काम को रोका

6 जनवरी, 2025 को महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले के गढ़िंगलज शहर में क़रीब 2,000 लोगों ने नारे लगाए और स्मार्ट मीटर लगाने की अनिवार्यता को रोकने की मांग को लेकर जुझारू प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन बिजली उपभोक्ता संघर्ष समिति, गढ़िंगलज संभाग (आजरा, भूदरगढ़, गढ़िंगलज, चांदगढ़) के बैनर तले आयोजित किया गया था। उल्लेखनीय है कि इस प्रदर्शन में चिपलून, कराड और इचलकरंजी के कार्यकर्ता भी शामिल हुए। श्रमिक मुक्ति दल, महाराष्ट्र राज्य बिजली कर्मचारी महासंघ और अन्य श्रमिक और किसान संगठन जैसे सर्व श्रमिक संगठन, बलिराज शेतकरी और स्वाभिमानी शेतकरी ने जुलूस में सक्रिय रूप से भाग लिया।

प्रदर्शनकारी उपभोक्ताओं ने मांग की कि आजरा, गढ़िंगलज, चांदगढ़ और भूदरगढ़ तालुकाओं में स्मार्ट प्रीपेड मीटर की आपूर्ति के लिए अदानी समूह को दिया गया अनुबंध तुरंत रद्द किया जाना चाहिए।

उन्होंने यह भी मांग की कि स्मार्ट मीटर के संबंध में अदानी समूह के साथ महाराष्ट्र सरकार के समझौते को क्षेत्र के हर गांव में प्रमुख स्थानों पर मराठी में प्रदर्शित किया जाना चाहिए। साथ ही, इस विषय पर तालुका स्तर पर जनसुनवाई आयोजित की जानी चाहिए।

उपभोक्ताओं ने कहा कि वे किसी भी स्मार्ट मीटर को स्थापित नहीं होने देंगे और विभिन्न बहानों के तहत जबरन स्थापना की कड़ी निंदा करते हैं। यह मानते हुए कि स्मार्ट मीटर डिस्कॉम के निजीकरण की ओर एक क़दम है, उन्होंने “महावितरण का निजीकरण बंद होना चाहिए!” के नारे लगाए। उपभोक्ताओं ने यह भी कहा कि स्मार्ट मीटर की शुरुआत से कई अनुबंधित और स्थायी बिजली कर्मचारियों की नौकरी ख़तरे में पड़ जाएगी।

प्रदर्शन में उठाई गई एक और मांग यह थी कि जो किसान 7.5-एचपी से कम के पंप के लिए बिजली कनेक्शन चाहते हैं, उन्हें सौर ऊर्जा कनेक्शन लागू किए बिना तुरंत ये कनेक्शन दिए जाने चाहिए।

प्रदर्शन करने वाले उपभोक्ताओं ने महावितरण के कार्यकारी अभियंता को अदानी एनर्जी सोल्यूशन्स को गढिंगलज डिवीजन में काम बंद करने का नोटिस भेजने के लिए मजबूर किया!

इससे उत्साहित होकर कोल्हापुर जैसे कई अन्य स्थानों पर उपभोक्ताओं और कार्यकर्ताओं ने महावितरण के परिसर में अडानी कंपनी को दिए गए स्थानीय कार्यालय को बंद करने के लिए मजबूर किया। 10 फरवरी को महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले में इससे भी बड़ा प्रदर्शन की योजना बनाई जा रही है।

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