फ़िलिस्तीनी-प्रतिरोध-आंदोलन- हमास और इज़रायल के बीच युद्ध विराम समझौता, 19 जनवरी, 2025 की सुबह से लागू हुआ।
पिछले पंद्रह महीनों से, अमरीकी साम्राज्यवाद के सैन्य और राजनीतिक समर्थन के बलबूते पर, इज़रायल ने फ़िलिस्तीनी लोगों के ख़िलाफ़ जनसंहारक युद्ध छेड़ रखा है। इस जनसंहारक-युद्ध के दौरान, इज़रायल ने फ़िलिस्तीनी लोगों के ख़िलाफ़, कभी भी माफ़ न किये जाने वाले अनेक अपराध किए हैं। गाज़ा पट्टी में रहने वाले लोगों में से, 50,000 से भी अधिक पुरुषों, महिलाओं और बच्चों का क़त्लेआम किया है। लाखों लोगों को गंभीर चोटें आई हैं। गाज़ा की अधिकांश आबादी को, जबरन उनके घरों से बेदखल कर बेघर कर दिया गया है। उन्हें भूखे मरने के लिए मजबूर किया गया है। उनके घरों, स्कूलों, अस्पतालों और पूजा-स्थलों को मलबे में तब्दील कर दिया गया है। इस जनसंहारक युद्ध के जवाब में, बेख़ौफ फ़िलिस्तीनी लोगों ने, एक राष्ट्र के रूप में अपने अस्तित्व की हिफ़ाज़त के लिए, अपना बहादुर संघर्ष जारी रखा है।
1948 में इज़रायल राज्य के अस्तित्व में आने के बाद से, फ़िलिस्तीनी लोगों के ख़िलाफ़ इज़रायल द्वारा शुरू किया गया यह नवीनतम युद्ध, इज़राइल द्वारा फ़िलिस्तीनी लोगों के ख़िलाफ़ छेड़े जाने वाले सबसे लंबे और सबसे क्रूर युद्धों में से एक है। इसका उद्देश्य, उन फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध-बलों को बर्बाद करना था जिन्होंने एक आज़ाद फ़िलिस्तीन को हासिल करने के लिए अपने संघर्ष को कभी भी नहीं छोड़ा। इज़रायल और उसके अमरीकी समर्थक अपने प्रयास में विफल रहे हैं। इज़रायल और अमरीका को, हमास के साथ जो संघर्ष-विराम समझौता करने के लिए मजबूर होना पड़ा है, वह इस विफलता का सबूत है।
पिछले पंद्रह महीनों में, अपने राष्ट्रीय अधिकारों के लिए जारी फ़िलिस्तीनी लोगों के बहादुर संघर्ष को पूरी मानवता का समर्थन मिला है। क़ब्जे़ वाले गाज़ा और पश्चिमी तट, लेबनान, यमन, इराक और ईरान में, प्रतिरोध-बलों ने अपने बहादुर हमलों से स्पष्ट दिखा दिया है कि आज़ाद फ़िलिस्तीन को हासिल करने के लिए उनके संघर्ष को कोई नहीं रोक सकता। पूरी दुनिया में – अमरीका, ब्रिटेन, कनाडा, जर्मनी, फ्रांस, स्पेन और दूसरे यूरोपीय देशों में, एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमरीका के देशों में, करोड़ों लोग बार-बार सड़कों पर उतरे हैं और इज़रायल के जनसंहारक युद्ध को ख़त्म करने की मांग करते आ रहे हैं। उन्होंने अमरीका और दूसरी सरकारों द्वारा, इज़रायल को हथियार दिए जाने की कड़ी निंदा की है। उन्होंने फ़िलिस्तीन पर क़ब्जे़ को ख़त्म करने की मांग की है।
युद्ध विराम समझौते में, शुरुआती छः सप्ताह का पहला चरण है, जिसके दौरान गाज़ा में फ़िलिस्तीनी-प्रतिरोध, 33 इज़रायलियों को रिहा करेगा, और इसके बदले में, इज़रायल, अपने यातना-गृहों में कैद 737 फ़िलिस्तीनी महिलाओं और बच्चों को रिहा करेगा। दूसरे चरण के दौरान, शेष इज़रायली बंदियों को रिहा किया जाएगा। अंतिम चरण में, गाज़ा के पुनर्निर्माण पर ध्यान केंद्रित किये जाने की उम्मीद है।
युद्ध विराम के बाद, इज़रायल को गाज़ा में अपने राजकीय-आतंक के शासन को समाप्त करने के लिए मजबूर होना पड़ा है। लाखों लोग जो अपने घरों से जबरन बेघर कर दिये गये थे, वे उन खंडहरों की ओर लौटने लगे हैं जो कभी उनके घर हुआ करते थे। इज़रायल की जेलों से रिहा किए गए फ़िलिस्तीनी कैदियों का पहला जत्था, जिनमें अधिकांश महिलाएं और बच्चे हैं, उनका लोगों द्वारा ज़ोरदार स्वागत किया गया।
इस दर्दनाक हक़ीक़त पर भी ग़ौर करने की ज़रूरत है कि इज़रायल, अपने कब़्जे़ वाले वेस्ट बैंक में, फ़िलिस्तीनी लोगों की ज़मीनों पर जबरन क़ब्ज़ा करने की अपनी योजना को जारी रखे हुए है। इज़रायली सेना ने, वेस्ट बैंक में, अपने आतंक का राज का़यम कर रखा है, विभिन्न शरणार्थी शिविरों में लोगों का क़त्लेआम जारी है और इज़रायली सेना, लोगों को उनकी अपनी ज़मीनों से खदेड़ कर उन्हें बेघर कर रही है। नई निर्वाचित ट्रम्प सरकार ने घोषणा की है कि वह इज़रायल को और हथियार मुहैया कराएगी। उसने वेस्ट बैंक में फ़िलिस्तीनी लोगों की ज़मीनों पर जबरन क़ब्ज़ा करने वाले, इज़रायली बसने वालों पर लगे प्रतिबंध हटा दिए हैं। वेस्ट बैंक में प्रतिरोध-सेनानी, इज़रायली क़ब्ज़े वाली सेना के हमलों का बहादुरी से मुक़ाबला कर रहे हैं।
पिछले पंद्रह महीनों में, फ़िलिस्तीनी लोगों ने पूरी दुनिया को अपने अदम्य साहस और अपने संघर्ष को जारी रखने के अपने दृढ़ संकल्प को स्पष्ट दिखाया है – अपनी मातृभूमि पर इज़रायली क़ब्जे़ को ख़त्म करने के लिए उनका बहादुर संघर्ष जारी रहेगा चाहे इसके लिए उन्हें कोई भी बलिदान क्यों न देना पड़े।
हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी, बहादुर फ़िलिस्तीनी लोगों और उनके न्यायपूर्ण संघर्ष को सलाम करती है। इस संघर्ष में, हिन्दोस्तान के लोग फ़िलिस्तीनी लोगों के साथ खड़े हैं।