पंजाब रोडवेज़ के मज़दूरों की हड़ताल

मज़दूर एकता कमेटी के संवाददाता की रिपोर्ट

पंजाब में बस सेवा के 8000 कांट्रेक्ट और आउटसोर्स के मज़दूरों ने 6 जनवरी, 2025 से तीन दिवसीय हड़ताल की थी। इस हड़ताल में पंजाब रोडवेज, पीआरटीसी और पनबस के चालक, कंडेक्टर और अन्य कर्मचारी शामिल थे। परिवहन सेवा के स्थाई कर्मचारियों ने भी इन्हें समर्थन दिया।

इस हड़ताल के दौरान पंजाब रोडवेज, पनबस और पीआरटीसी के कांट्रेक्ट और आउटसोर्स मज़दूरों ने राज्य के सभी 27 बस डिपो पर धरना प्रदर्शन आयोजित किए।

मज़दूरों की मांगों में शामिल है – कांट्रेक्ट पर काम कर रहे चालकों और परिचालकों की नौकरी को नियमित किया जाये। नियमित और कांट्रेक्ट कर्मचारियों के बीच वेतन की असमानता को दूर किया जाये। परिवहन विभाग को ठेकेदारों के ज़रिये बसें न चलवाई जायें।

पंजाब में परिवहन सेवा के कर्मचारी पिछले करीब सात सालों से अपनी नौकरी को नियमित करने और वेतन वृद्धि की मांग कर रहे हैं। उनकी मांग रही है कि 5 प्रतिशत वार्षिक वेतन में वृद्धि हो, निलंबित कर्मचारियों की बहाली हो। निजी परिवहन माफियाओं के ख़िलाफ़़ कार्रवाई की जाये। किलोमीटर योजना के तहत निजी बसों को किराए पर लेना बंद किया जाये और इसके बजाय नई बसें खरीदी जाये।

Punjab_transport_workersएक जुलाई 2024 को पंजाब सरकार के संबंधित अधिकारियों के साथ पंजाब रोडवेज, पीआरटीसी, पनबस कर्मचारियों की एक मीटिंग हुई थी। इसके बाद उन्होंने अपनी मांगों को लेकर दिसंबर के महीने में सभी मंत्रियों को मांग पत्र भी सौंपे थे। इसके बावजूद उनकी मांगों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। अपनी मांगों पर कोई कार्यवाही न होने के कारण इन मज़दूरों को  हड़ताल शुरू करनी पड़ी।

इस समय पंजाब रोडवेज, पीआरटीसी और पनबस के हालात ये हैं कि इनका 90 प्रतिशत परिचालन कांट्रेक्ट और आउटसोर्स कर्मचारियों द्वारा किया जा रहा है। इस समय पंजाब रोडवेज़, पीआरटीसी और पनबस के पास 2 हज़ार कांट्रेक्ट कर्मचारी और क़रीब 6 हज़ार आउटसोर्स कर्मचारी हैं।

पंजाब में अभी तक आई सभी पार्टियों की सरकारों ने जन परिवहन व्यवस्था को बेहतर बनाने की बजाये, निजीकरण को बढ़ावा दिया है। उन्होंने पिछले 20 सालों से कोई भर्ती नहीं की है। नई बसें खरीदने की बजाये किलोमीटर योजना को बढ़ावा दिया है। इस योजना के चलते निजी बस आपरेटरों को लाभ हुआ जबकि सरकारी बस सेवा को नुक़सान हुआ है।

पंजाब सरकार ने परिवहन विभाग को क़रीब 600 करोड़ रुपए अदा नहीं किये हैं, जिसकी वजह से मज़दूरों को समय पर वेतन नहीं मिल रहा है। कांट्रेक्ट मज़दूरों के ई.पी.एफ. खाते में सरकार द्वारा 1950 रुपए प्रति कर्मचारी, पिछले 4 महीनों से जमा नहीं कराया जा रहा है।

पंजाब रोडवेज़, पीआरटीसी और पनबस में वर्तमान में चालकों और परिचालकों को दो श्रेणियों में वेतन मिल रहा है। चालकों और परिचालकों के पहले बैच को 18,000 रुपये प्रति माह वेतन मिलता है। जबकि दूसरे बैच में चालकों को 13,000 रुपये प्रति माह और परिचालकों को 12,000 रुपये प्रति माह ही वेतन मिल रहा है। इससे पता चलता है कि इन मज़दूरों को बहुत ही कम वेतन पर काम करना पड़ रहा है।

पंजाब सरकार सार्वजनिक परिवहन की व्यवस्था को सोच-समझकर नष्ट कर रही है। सरमायदार की तिजौरियों को भरने के लिये सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था का निजीकरण किया जा रहा है। इसलिये पंजाब रोडवेज, पीआरटीसी और पनबस के मज़दूरों को कांट्रेक्ट और आउटसोर्स किया जा रहा है ताकि सभी मज़दूरों का ज्यादा से ज्यादा शोषण किया जा सके।

परिवहन के मज़दूरों के साथ-साथ सभी सार्वजनिक सेवा मज़दूरों को एकजुट होकर अपना संघर्ष सरमायदार के निजीकरण, उदारीकरण की नीतियों के ख़िलाफ़़ तेज़ करना होगा।

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