मज़दूर एकता कमेटी के संवाददाता की रिपोर्ट
3 जनवरी, 2025 से हिमाचल के शिमला में स्थित इंदिरा गांधी मेडिकल कालेज एवम अस्पताल (आई.जी.एस.सी.) के 500 से ज्यादा ठेका मज़दूरों ने अनिश्चित कालीन हड़ताल शुरू की। मज़दूरों ने अपनी यह हड़ताल तब शुरू की थी जब अस्पताल प्रशासन ने कोराना काल के दौरान रखे गये 132 ठेका मज़दूरों को बर्ख़ास्त कर दिया था। हटाये गये मज़दूरों के समर्थन में सफ़ाई कर्मचारी, वार्ड अटेंडेंट, डाटा एंट्री ऑपरेटर और सुरक्षाकर्मी भी हड़ताल पर चले गये। लेकिन इमरजेंसी सेवाएं जारी रहीं।
ये ठेका मज़दूर पिछले 4 सालों से लगातार अपनी सेवाएं दे रहे हैं। कोविड काल में इन्होंने महत्वपूर्ण सेवाएं दी थीं, लेकिन अब फ़रमान जारी करके इन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है।
मज़दूरों ने बताया कि आई.जी.एस.सी. प्रशासन से मुलाक़ात की गई थी, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल पाया है। जब तक निकाले गए ठेका मज़दूरों को वापस नहीं रखा जाएगा तब तक हड़ताल जारी रहेगी।
सफाई कर्मचारी यूनियन ने बताया कि उन्हें सुपरवाइजर के माध्यम से सेवाएं समाप्त करने का नोटिस मिला है। अब उनकी रोज़ी-रोटी छीन ली गई है।
वहीं आई.जी.एस.सी. से निकाली गई महिला आउटसोर्स कर्मचारी बताती हैं कि यहां पर 70 प्रतिशत से ज्यादा महिला कर्मचारी हैं। जिनकी रोज़ी-रोटी इसी नौकरी पर निर्भर है। बच्चों और परिवार का पालन पोषण इसी काम से होता है, लेकिन अब मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है, जिसके लिये प्रशासन ज़िम्मेदार है।
देशभर में लगभग सभी सरकारी अस्पतालों में डाक्टर, नर्स, सफाई कर्मचारी और अन्य मज़दूर ठेके पर रखे जाते हैं और उन्हें कम से कम वेतन पर ज्यादा से ज्यादा काम करना पड़ता है। आज ठेकेदारी के चलते लगातार स्थाई कर्मचारियों की भर्ती को रोका जा रहा है। ठेकेदार कम से कम मज़दूरों से ज्यादा से ज्यादा काम करवाता है। कर्मचारियों की संख्या कम होने की वजह से अस्पतालों में आने वाले मरीजों को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
मज़दूरों को एकजुट होकर ठेकेदारी प्रथा के विरोध में संघर्ष करना होगा। खाली पदों पर स्थाई भर्ती की मांग उठानी होगी। जिससे कि मज़दूरों को स्थाई और सुरक्षित रोजगार प्राप्त हो सके।