रेल चालकों का सर्व हिन्द अधिवेशन संपन्न

मज़दूर एकता कमेटी के संवाददाता की रिपोर्ट

AILRSA_24th BGM Patana_Rallyऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन (ए.आई.एल.आर.एस.ए.) का 24वां द्विवार्षिक अधिवेशन 17-18 दिसम्बर, 2024 को पटना के गांधी मैदान के क़रीब, श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में, बहुत ही जोशपूर्ण वातावरण में हुआ। इस अधिवेशन में पूरे देश से लगभग 3,000 रेल चालक परिवार सहित गर्मजोशी के साथ शामिल हुये। इसमें महिला लोको पायलटों ने बड़ी संख्या में अपनी उपस्थिति दर्ज़ की।

अधिवेशन में भारतीय रेल के विभिन्न मंडलों से आये हुये, प्रतिनिधियों ने अपने-अपने इलाके के कामों की रिपोर्टें पेश कीं।

केन्द्रीय कार्यकारिणी का चुनाव हुआ। अध्यक्ष आर.आर. भगत, कार्यकारी अध्यक्ष एल. मोनी सहित अलग-अलग मंडलों के लिए 13 उपाध्यक्ष चुने गए। महासचिव के.सी. जेम्स सहित तीन सह-सचिव व 12 सहायक सचिव चुने गए। कोषाध्यक्ष मोहनचंद पाण्डे सहित सहायक खंजाची तथा अंदरूनी आडिटर चुने गए।

AILRSA_24th BGM Patana_Rally17 दिसंबर की शाम को सभास्थल से लेकर आसपास के रिहायशी इलाकों में रेल चालकों ने जुलूस निकाला। वे अपने हाथों में लाल झंडा पकड़े हुए थे। रेल चालक सरकार की जन-विरोधी, समाज-विरोधी, मज़दूर-विरोधी नीतियों के खि़लाफ़ नारे लगा रहे थे। आसपास का क्षेत्र इन नारों – भारतीय रेल का निजीकरण बंद करो!, एनपीएस को रद्द करो और ओपीएस को बहाल करो!, भारतीय रेल में सैकड़ों-हज़ारों खाली पदों पर भर्ती करो!, से गूंज रहा था।

अधिवेशन में मज़दूर एकता कमेटी, सी.आई.टी.यू., पुरानी पेंशन बहाली संघर्ष समिति, अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी फेडरेशन, आल इंडिया स्टेशन मास्टर्स एसोसिएशन, सहित माकपा विधायक अजय कुमार शामिल हुये।

AILRSA_24th BGM Patana_Rallyअधिवेशन में वक्ताओं ने बताया कि सरकार भारतीय रेल में निजीकरण की नीति लागू कर रही है। अभी तक सभी सरकारें इसी देश-विरोधी और समाज-विरोधी नीति को लागू करती आई हैं। देशवासियों को बताना होगा कि निजीकरण मज़दूरों, किसानों और आम मेहनतकशों के खि़लाफ़ है। रेल का निजीकरण देश के साथ क्रूर मजाक है। पूंजीपति रेल चलाएगा, मुनाफ़ा कमाएगा और देशवासियों की मेहनत की और अधिक लूट होगी। हमें जनता में निजीकरण के खि़लाफ़ जागरुकता फैलानी होगी। हमें निजीकरण के विरोध में मिलकर संघर्ष करना होगा।

अधिवेशन को संबोधित करते हुये वक्ताओं ने बताया कि भारतीय रेल में कर्मचारियों के लाखों पद खाली पड़े हैं। खाली पदों में से केवल 17,000 पद रेल चालकों के ही हैं। खाली पदों को भरा नहीं जा रहा है। चालकों की कमी के चलते कार्यरत रेल चालकों पर काम का बोझ ज़्यादा है। ओवर टाईम करने को मजबूर किया जाता है। काम की तनावभरी यह स्थिति रेल चालकों को बीमार बना रही है। अधिकतर रेल चालक ब्लड प्रेशर, शुगर और दिल की बीमारी के शिकार हो रहे हैं।

उन्होंने बताया कि सरकार को काम की इस ख़राब स्थिति में बदलाव लाने की ज़रूरत है, ताकि लोको पायलट तनावमुक्त होकर काम कर सकें। उनका कहना था कि रेल चालकों द्वारा अपनी मांगों को लेकर बार-बार धरना-प्रदर्शन करने के बावजूद सरकार समस्याओं को गंभीरता से नहीं ले रही है।

वक्ताओं ने बताया कि सरकारी कर्मचारियों को भ्रमित करने के लिये यूपीएस को लाया गया है। इसलिये हमें यूपीएस और एनपीएस को रद्द करवाने और ओपीएस को बहाल कराने के लिये डटकर संघर्ष करना होगा।

सरकार लगातार मज़दूर-विरोधी क़ानून बनाकर मज़दूरों के संघर्षों को कमज़ोर कर रही है। मज़दूरों के अधिकारों में कटौती कर रही है।

अधिवेशन में तय किया गया कि हम अपनी मांगों के लिये लगातार संघर्ष करते रहेंगे। मुख्य मांगों में से कुछ इस प्रकार हैं कि: एनपीएस और यूपीएस को रद्द करो, ओपीएस बहाल करो। रेलवे का निजीकरण/निगमीकरण बंद करो। दैनिक 16 घंटे का छुट्टी के साथ-साथ साप्ताहिक 30 घंटे का रेस्ट दो। मालगाड़ी में अधिकतम 08 घंटा तथा सवारी गाड़ी में 06 घंटा की ड्यूटी निर्धारित की जाये। खाली पदों पर भर्ती की जाये और 36 घंटे में मुख्यालय वापसी तय हो, आदि।

अधिवेशन बहुत ही जोशपूर्ण वातारण में संपन्न हुआ।

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