शनिवार 14 दिसंबर को हरियाणा पुलिस ने पंजाब और हरियाणा की शंभू-अंबाला अंतर्राज्यीय सीमा पर किसानों और खेत-मज़दूरों के समूहों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोलों से और पानी की बौछारों से हमला किया। अपनी मांगों के समर्थन में दिल्ली चलो के तहत पैदल अभियान के तहत हरियाणा में प्रवेश करने का प्रयास कर रहे 101 किसानों के जत्थे पर पुलिस ने बेरहमी से हमला किया।
पुलिस द्वारा दागे गये आंसू गैस के गोलों के कारण, पैदल अभियान शुरू करने वाले 101 किसानों में से लगभग एक दर्जन घायल हो गए। इसके बाद उन्होंने अपना पैदल अभियान दिनभर के लिए स्थगित कर दिया। 6 और 8 दिसंबर को सीमा पार करने की कोशिश करने के बाद, किसानों द्वारा किया गया यह तीसरा प्रयास था। किसान अब 16 दिसंबर को पंजाब के बाहर देशव्यापी ट्रैक्टर-जुलूस निकालने की योजना बना रहे हैं।
किसान 13 फरवरी, 2024 से शंभू-अंबाला और खनौरी-जींद अंतरराज्यीय सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं, जब हरियाणा पुलिस ने उन पर बेरहमी से हमला किया था और उन्हें दिल्ली की ओर कूच करने से रोका था। पुलिस बलों ने उस समय से दोनों सीमाओं पर कंटीले तार लगा दिए हैं।
सीमा पर अपना विरोध प्रदर्शन करते हुए, किसानों ने अपनी योजना की घोषणा की थी कि 6 दिसंबर से पंजाब हरियाणा सीमा से दिल्ली तक किसानों के जत्थे कूच करेंगे।
किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अपनी फ़सलों की ख़रीद की क़ानूनी गारंटी और कृषि ऋण माफ़ी की मांग कर रहे हैं। जब 26 नवंबर, 2020 से किसानों ने दिल्ली की सीमाओं पर अपना ऐतिहासिक विरोध प्रदर्शन शुरू किया था, तब से ये उनकी प्रमुख मांगें रही हैं। हालांकि, केंद्र सरकार ने सभी फ़सलों के लिए क़ानूनी रूप से गारंटीकृत एमएसपी की मांग को पूरा करने से इनकार कर दिया है। किसानों ने अपना संघर्ष जारी रखा है और मांग की है कि सरकार दिसंबर 2021 में किए गए अधूरे वादों को पूरा करे।
पूंजीपति वर्ग की कोई भी सरकार, चाहे वह केंद्र में हो या राज्यों में, किसानों की इस मांग को हल करने में दिलचस्पी नहीं रखती, क्योंकि एमएसपी पर सार्वजनिक ख़रीद की प्रतिबद्धता उन इजारेदार पूंजीपतियों के हित में नहीं है जो कृषि व्यापार से अधिकतम मुनाफ़ा कमाना चाहते हैं। यह इजारेदार पूंजीपतियों के हित हैं जिन्हें सरकारें देश के मज़दूरों और किसानों के हितों की बलि चढ़ा कर पूरा करती हैं।
किसानों को दिल्ली आकर केंद्र सरकार के समक्ष अपनी मांग रखने का पूरा अधिकार है। सभी फ़सलों के लिए क़ानूनी तौर पर गारंटीकृत एमएसपी की मांग एक जायज़ मांग है जिसे हमारे देश के मज़दूर वर्ग और लोगों का समर्थन प्राप्त है। शंभू बॉर्डर पर किसानों पर हरियाणा पुलिस द्वारा किए गए हमले की कड़ी निंदा की जानी चाहिए।