मज़दूर एकता कमेटी के संवाददाता की रिपोर्ट
16 दिसंबर, 2024 को नई दिल्ली के जंतर-मंतर पर तमाम महिला संगठनों ने मिलकर, महिलाओं पर बढ़ती हिंसा और उत्पीड़न के खि़लाफ़, – ‘निर्भया से अभया तक’ स्मृति व प्रतिरोध में – इस शीर्षक पर एक संयुक्त जनसभा आयोजित की। जिसमें मेहनतकश महिलाओं व पुरुषों के साथ-साथ, बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं व नौजवानों ने भाग लिया।
सभा के आयोजक संगठन थे – आल इंडिया डेमोक्रेटिक वीमेन्स एसोसियेशन, नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वीमेन, पुरोगामी महिला संगठन, आल इंडिया महिला सांस्कृतिक संगठन, सेंटर फॉर स्ट्रगलिंग वुमन, प्रगतिशील महिला संगठन, आल इंडिया प्रोग्रेसिव विमेंस एसोसिएशन, जिम्मेदारी एस.डब्ल्यू.ओ. और अलिफा-एनएपीएम।
सभा की शुरुआत ‘हमारी एकता ज़िंदाबाद!’, ‘महिलाओं की मुक्ति, समाज की मुक्ति की शर्त!’, ‘शासन सत्ता अपने हाथ, जुल्म अन्याय करें समाप्त!’, ‘दोषियों को सज़ा दो!’, के जोशभरे नारों के साथ की गई। कई नौजवान कार्यकर्ताओं ने महिलाओं की संघर्षशील हिम्मत पर गीत व कवितायें पेश कीं।
आयोजक संगठनों के प्रतिनिधियों ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि निर्भया के बलात्कार और उसकी निर्मम हत्या की दर्दनाक वारदात के बाद 12 साल बीत चुके हैं। उस समय हजारों की संख्या में लोगों ने सड़कों पर निकलकर अपना गुस्सा जाहिर किया था। आंदोलित लोगों ने महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए व्यवस्थागत सुधारों की मांग की थी। जनता के गुस्से का सामना करते हुए सरकार ने उस समय एक कमेटी गठित की थी, जिसने कई न्यायिक सुधारों का प्रस्ताव किया था। लेकिन तब से लेकर अब तक महिलाओं पर हिंसा में कोई बदलाव नहीं आया है, बल्कि यह बढ़ती ही रही है।
वक्ताओं ने इस बात पर गुस्सा जाहिर किया कि महिला को खुद को ही अपने ऊपर होने वाली हिंसा और उत्पीड़न के लिए दोषी ठहराया जाता है। अधिकांश मामलों में महिलाएं पुलिस थाने में एफ.आई.आर. दर्ज़ कराने में भी बहुत सी कठिनाइयों का सामना करती हैं। जांच के हर स्तर पर पीड़िता को अपमान और बेइज़्ज़ती सहनी पड़ती है। कठुआ, उन्नाव, हाथरस, शाहजहांपुर आदि में महिलाओं के बलात्कार व हत्या की घटनाओं, महिला पहलवानों के साथ हुए अन्याय, मणिपुर में बीते साल से चल रहे महिलाओं पर भीषण अत्याचार, और हाल में, 9 अगस्त, 2024 को कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कालेज व अस्पताल में युवा डाक्टर का क्रूर बलात्कार व हत्या – इन सबका जिक्र करते हुए, उन्होंने राज्य व प्रशासन की जवाबदेही की मांग की।
उन्होंने महिलाओं के खि़लाफ़ भेदभाव, उत्पीड़न, यौन हिंसा और अपराध की बार-बार होने वाली वाली घटनाओं के लिए मौजूदा राजनीतिक व आर्थिक व्यवस्था तथा उसे बरकरार रखने वाले राज्य को ज़िम्मेदार ठहराया। यह राज्य पूंजीवादी घरानों के हितों की रक्षा करता है। समाज में महिलाओं का उत्पीड़न व अति-शोषण पूंजीपतियों के मुनाफ़ों को बढ़ाने में मदद करता है। पूरा राज्य तंत्र, विधिपालिका, न्यायपालिका, कार्यपालिका, पुलिस, फ़ौज आदि सब महिलाओं के शोषण और भेदभाव को जारी रखने में मदद करती हैं।
सभी शोषित और उत्पीड़ित महिलाओं के अनुभवों से, सभा में यह निष्कर्ष साफ़-साफ़ पेश किया गया कि हमारा एकजुट संघर्ष ही हमें न्याय दिला सकता है। हम सभी उत्पीड़ित महिलाओं और पुरुषों को अपनी एकता और अपने संगठन को मजबूत करना होगा। हमें एक ऐसे नए समाज का निर्माण करने के लिए संघर्ष करना होगा जिसमें सभी महिलाओं व पुरुषों के अधिकारों व सुरक्षा सुनिश्चित की जायेगी तथा इनका हनन करने वालों को, चाहे वे किसी भी पद पर हों, कड़ी से कड़ी सज़ा दी जायेगी।