देशभर से आये घरेलू कामगारों का जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन

मज़दूर एकता कमेटी के संवाददाता की रिपोर्ट

12 दिसंबर, 2024 को घरेलू कामगारों ने अपनी मांगों को लेकर जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया। इस विरोध प्रदर्शन को घरेलू कामगारों के राष्ट्रीय मंच ने आयोजित किया। इस प्रदर्शन में देशभर से आये 500 से अधिक घरेलू कामगारों ने हिस्सा लिया। सभी कामगारों ने एकमत से अपने अधिकारों और कामगार के रूप में मान्यता दिए जाने की मांग को बुलंद किया।

इस विरोध प्रदर्शन को अपना समर्थन प्रकट करने के लिये शामिल हुये संगठनों में थे – मज़दूर एकता कमेटी, एटक, सेवा और अन्य कई संगठन। इसके अलावा, कई सांसदों ने घरेलू कामगारों के संघर्ष के समर्थन में प्रदर्शन को संबोधित किया।

प्रदर्शनकारियों ने अपने हाथों में नारों की तख्तियां पकड़ी हुई थीं। जिन पर लिखे नारे थे – घरेलू कामगारों का संघर्ष ज़िन्दाबाद!, हमारी मेहनत को गरिमा, मूल्य और पहचान दो!, घरेलू कामगारों के लिये ई.एस.आई. और पी.एफ. लागू करो!, घरेलू कामगारों को मज़दूर का दर्ज़ा दो!, आदि।

अलग-अलग राज्यों से आए प्रतिनिधियों के गीतों ने प्रदर्शनकारियों में जोश भरने का काम किया।

प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुये वक्ताओं ने बताया कि चार श्रम संहिताओं में घरेलू कामगारों के लिये कोई प्रावधान नहीं है। हमारे लिये किसी भी प्रकार की सामाजिक सुरक्षा नहीं है। न ही हम पर ई.एस.आई. और पी.एफ. ही लागू होता है। उन्होंने कहा कि सामाजिक सुरक्षा संहिता में हमारे वेतन की कोई व्याख्या नहीं है। इसलिये हमारे लिये अलग से क़ानून बनाया जाए, जिसमें हमारे अधिकारों की सुनिश्चिति हो।

उन्होंने बताया कि सरकार अगर हमें मज़दूर का दर्ज़ा देगी तो हम पर न्यूनतम वेतन भी लागू होगा। इसलिये हमारी मांग है कि हमें मज़दूर बतौर दर्ज़ा दिया जाये। हमारे लिए कोई वेलफेयर बोर्ड भी नहीं है। घरेलू कामगारों के लिए एक बोर्ड बनाने की हमारी मांग है, उसके लिए सरकार बजट मुहैया कराये।

विरोध प्रदर्शन को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने बताया कि हिन्दोस्तान की सरकार द्वारा अंतर्राष्ट्रीय श्रम संघ कन्वेंशन 189 (घरेलू कामगारों के लिए सभ्य कार्य) को स्वीकृति दिए हुए एक दशक से अधिक समय हो गया है। फिर भी उनके अधिकारों और सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए कोई व्यापक क़ानून नहीं बनाया गया है। कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की रोकथाम अधिनियम में घरेलू कामगारों को शामिल करने और 13 राज्यों में न्यूनतम मज़दूरी अधिसूचनाओं जैसी कुछ प्रगति के बावजूद, लागू करने वाले तंत्र नहीं हैं। ये कामगार असुरक्षित हैं और प्रमुख श्रम क़ानूनों से बाहर हैं।

अंत में एक प्रतिनिधि मंडल ने केंद्र सरकार को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में दी गई मांगें इस प्रकार हैं – घरेलू श्रमिकों के लिए व्यापक क़ानून बनाओ, जिससे हिन्दोस्तान अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन कन्वेंशन 189 को अनुमोदित कर सके। सभी घरेलू श्रमिकों का श्रम विभाग में पंजीकरण हो। घरेलू श्रमिकों को न्यूनतम वेतन, ई.एस.आई. और पी.एफ. के अंतर्गत शामिल किया जाये। घर को कार्यस्थल के रूप में मान्यता दी जाए। शहरों में घरेलू श्रमिकों के लिए किफ़ायती आवास दिये जायें।

Share and Enjoy !

Shares

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *