दिल्ली की ओर कूच करने वाले किसानों पर सरकार का हमला

मज़दूर एकता कमेटी के संवाददाता की रिपोर्ट

6 दिसम्बर, 2024 को शंभू बॉर्डर से दिल्ली की ओर कूच कर रहे किसानों के एक जत्थे पर हरियाणा पुलिस ने हमला किया। उन पर आंसू गैस छोड़ी। इस हमले में सात किसान घायल हो गए। इसके बाद किसानों ने अपना मार्च स्थगित कर दिया।

संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा है। किसान अपनी आवाज़ को संसद तक पहुंचाने व केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए तथा अपनी फ़सलों के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की क़ानूनी गारंटी के लिए दिल्ली आना चाहते थे। वे पैदल ही शांतिपूर्ण तरीके़ से दिल्ली आ रहे थे। पुलिस द्वारा उन पर किया गया हमला, केन्द्र व हरियाणा सरकार के किसान-विरोधी चरित्र को स्पष्ट करता है। इसके साथ ही, पंजाब की राज्य सरकार ने अपने किसान-विरोधी चरित्र को उस समय स्पष्ट कर दिया, जब 26 नवम्बर, 2024 को जगजीत सिंह डल्लेवाल द्वारा खनौरी सीमा पर आमरण अनशन शुरू करने पर उन्हें गिरफ़्तार कर लिया। उन्होंने अपना आमरण अनशन हिरासत में किया।

पंजाब हरियाणा सीमा पर शंभू और खनौरी में धरने पर बैठे किसानों का कहना है कि वे आगे की रणनीति बना रहे हैं। उनका कहना है कि वे अपने संघर्ष पर दृढ़ हैं।

यह ध्यान देने योग्य है कि एमएसपी सहित कई मांगों को लेकर भारतीय किसान यूनियन (एकता सिद्धूपुर), भारतीय किसान यूनियन (क्रांतिकारी), किसान मजदूर संघर्ष समिति-पंजाब सहित कई किसान संगठन 13 फरवरी, 2024 से शंभू और खनौरी की सीमाओं पर बैठे हैं। सरकार के साथ अंतिम बैठक इस साल 18 फरवरी, 2024 में हुई थी। यह बैठक बेनतीजा रही। अब तक 30 किसानों की मौत हो चुकी है। खनौरी में किसान जब सीमा पार करने की कोशिश कर रहे थे, तब हरियाणा की ओर से सुरक्षा बलों द्वारा की गई गोलाबारी में शुभकरण सिंह की मौत हो गई थी।

इससे पहले 26 नवंबर, 2020 को देश के किसानों ने दिल्ली की सीमाओं पर ऐतिहासिक विरोध प्रदर्शन शुरू किया था। यह आंदोलन तीन किसान-विरोधी क़ानूनों को वापस लेने, सभी कृषि उपजों के लिए क़ानूनी रूप से गारंटीकृत एमएसपी तथा अन्य मांगों को पूरा करवाने के लिये चला था। 13 महीने के बाद दिसंबर 2021 में सरकार ने तीनों किसान-विरोधी क़ानूनों को वापस ले लिया और किसान संगठनों के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसमें एमएसपी और अन्य मांगों को पूरा करने का वादा किया गया था। हालांकि, चार साल बाद भी केंद्र सरकार ने सभी फ़सलों के लिए क़ानूनी रूप से गारंटीकृत एमएसपी की मांग की और वादा की गइ अन्य मांगों को पूरा करने से इनकार कर दिया है।

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