मज़दूर एकता कमेटी के संवाददाता की रिपोर्ट
17 अक्तूबर, 2024 से भारतीय किसान यूनियन एकता (उगराहां) की अगुवाई में किसानों ने अपनी मांगों को लेकर पंजाब के विभिन्न जिलों में प्रदर्शन शुरू किया।
ग़ौरतलब है कि धान की ख़रीद की ख़राब व्यवस्था, डीएपी खाद की कमी और पराली को लेकर पूरे पंजाब में संघर्ष किया जा रहा है। जिसके तहत क़रीब 50 टोल प्लाजाओं और राजनीतिक पार्टियों के नेताओं के घरों पर विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है।
किसानों का कहना है कि केंद्र सरकार की नीतियां किसान-विरोधी हैं। इसी के तहत तीन कृषि क़ानून बनाए गए थे, जिन्हें किसानों ने अपने संघर्ष के ज़रिए केन्द्र सरकार को वापस लेने को मजबूर किया। किसानों का कहना है कि कृषि क़ानूनों को पिछले दरवाजे़ से लागू करने का प्रयास किया जा रहा है। किसानों की धान की फ़सल ख़रीदी नहीं जा रही है। संघर्ष के दौरान, किसानों ने केंद्र सरकार और पूंजीपति घरानों का पुतला जलाकर विरोध जताया है।
किसानों के मुताबिक, संघर्ष के बाद धान की ख़रीद में थोड़ी तेज़ी आई है। लेकिन डीएपी खाद का मामला अभी भी लटका हुआ है। डीएपी की कमी को पूरा करने के लिए उनका संघर्ष जारी रहेगा।
किसानों ने कहा कि वे पराली जलाने के पक्ष में नहीं हैं, लेकिन सरकारें उन्हें पराली प्रबंधन के लिए पर्याप्त मुआवज़ा देने को तैयार नहीं हैं। उन्होंने कहा कि पराली और डीएपी खाद के मुद्दों पर उनका संघर्ष जारी रहेगा।
किसानों की मुख्य मांगें हैं :
- पूर्ण एमएसपी पर धान की बिना किसी रुकावट के ख़रीद शुरू करें।
- सरकार ने पानी की कम खपत के लिए किसानों को पूसा 44 के बदले पीआर 126 धान की बीज लगाने को प्रोत्साहन किया। किसानों को इस बीज से कम उपज प्राप्त हुई। किसानों की मांग है कि सरकार इस नुक़सान की भरपायी करे।
- धान की नमी को 22 प्रतिशत तक करें।
- मण्डी मज़दूरों का वेतन सहित अन्य जायज़ मांगों को पूरा किया जाये।
- विश्व व्यापार संगठन से बाहर आएं।
- बिना जलाए पराली को ख़त्म करने पर 200 रुपये प्रति क्विंटल का बोनस दें। केस दर्ज करने, जुर्माना लगाने या रेड एंट्री करने की जबरदस्ती प्रक्रिया बंद करें। पहले उठाए गए ऐसे कठोर क़दम वापस लिये जायें।