कॉमरेड ए. के. चक्रवर्ती का 2 नवंबर, 2024 को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया।
कॉमरेड चक्रवर्ती का जन्म 1967 में पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के श्रीरामपुर में हुआ था। वे मज़दूर वर्ग के परिवार से रेलवे मज़दूर थे। उन्होंने विज्ञान में स्नातक तक शिक्षा प्राप्त की थी। उन्होंने 1985 में बुकिंग क्लर्क के रूप में भारतीय रेल में नौकरी हासिल की थी। बाद में उन्हें पदोन्नत करके गार्ड (जिसे अब ट्रेन मैनेजर कहा जाता है) के रूप में तैनात किया गया।
वे कॉलेज के दिनों से लेकर जीवनभर कम्युनिस्ट विचारधारा से प्रभावित रहे। उन्होंने हमारी पार्टी के काम में सक्रिय रूप से भाग लिया।
वे कम्युनिस्ट आंदोलन के भीतर विभाजन को लेकर बहुत चिंतित थे। वे क्रांतिकारी वर्ग संघर्ष के रास्ते पर कम्युनिस्टों की एकता को बहाल करने के लक्ष्य से प्रेरित थे और इसके लिए काम करते थे। उनका मानना था कि समाजवाद के लिए संसदीय मार्ग के बारे में भ्रम इस दिशा में किसी भी प्रगति में बाधा है।
कामरेड चक्रवर्ती ने ऑल इंडिया गार्डस् कौंसिल (एआईजीसी) के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे एआईजीसी के दक्षिण पूर्व रेलवे के खड़गपुर डिविज़न के अध्यक्ष थे। उन्होंने निजीकरण, उदारीकरण और वैश्वीकरण के पूंजीवादी हमले का विरोध करने के लिए मज़दूर वर्ग को संगठित करने के काम में सक्रिय भूमिका निभाई। उन्होंने इन हमलों के ख़िलाफ़ मज़दूर वर्ग को एकजुट करने में योगदान दिया।
कॉमरेड चक्रवर्ती भारतीय रेल के निजीकरण की दिशा में चल रहे अथक अभियान के पीड़ितों में से एक थे। जनशक्ति की भर्ती पर प्रतिबंध और ट्रेनों, पटरियों आदि की बढ़ती संख्या, रिक्तियों और आत्मसमर्पण किए गए पदों की भारी संख्या के कारण रेलवे कर्मचारियों के ऊपर तनाव बहुत बढ़ गया है। काम के विषम घंटे, उचित समय पर भोजन की कमी और नींद की कमी ने कॉमरेड चक्रवर्ती पर भारी असर डाला। यह उनके असामयिक निधन के कारणों में से एक था।
उनके असामयिक निधन से रेलवे कर्मचारियों, मज़दूर वर्ग और कम्युनिस्ट आंदोलन ने एक अनमोल कॉमरेड खो दिया है।
हमारी पार्टी उनके परिवार के प्रति हार्दिक संवेदना व्यक्त करती है।
उनकी स्मृति हमेशा जीवित रहेगी!