7 नवंबर, 2024 को रूस में महान अक्तूबर समाजवादी क्रांति की 107वीं सालगिरह है। भले ही आज सोवियत संघ अस्तित्व में नहीं है, लेकिन अक्तूबर क्रांति द्वारा दिखाया गया रास्ता मानव समाज को बार-बार आने वाले संकटों और साम्राज्यवादी युद्धों से बचाने का एकमात्र रास्ता है। पूंजीवाद से समाजवाद और कम्युनिज़्म तक समाज की प्रगति का द्वार खोलने का यही एकमात्र रास्ता है।
माक्र्स और एंगेल्स ने वैज्ञानिक सटीकता के साथ यह दिखाया था कि पूंजीवाद के अंतर्विरोधों का जब समाधान होगा, तब यह वर्ग-विहीन कम्युनिस्ट समाज में परिवर्तित हो जाएगा, जिसका प्रारंभिक चरण समाजवाद है। उन्होंने श्रमजीवी वर्ग को उस वर्ग के रूप में पहचाना, जिसमें पूंजीवाद से कम्युनिज़्म तक परिवर्तन के संघर्ष की अगुवाई करने की रुचि और क्षमता है। 1871 में हुए पेरिस कम्यून के अनुभव से सीखते हुए, माक्र्स और एंगेल्स ने यह निष्कर्ष निकाला कि श्रमजीवी वर्ग सिफ़ पहले से स्थापित सरमायदारी राज्य तंत्र पर कब्ज़ा करके उसे अपने उद्देश्यों के लिए उपयोग नहीं कर सकता है। सरमायदारी राज्य को नष्ट करना होगा और उसके स्थान पर एक ऐसा राज्य स्थापित करना होगा जो श्रमजीवी वर्ग के अधिनायकत्व का उपकरण होगा। महान अक्तूबर समाजवादी क्रांति माक्र्सवाद की इन शिक्षाओं की वैधता की एक शानदार पुष्टि थी।
वैज्ञानिक समाजवाद के माक्र्सवादी सिद्धांत से मार्ग-दर्शित होकर, लेनिन ने 20वीं सदी के शुरुआती वर्षों में मौजूद ठोस परिस्थितियों का विश्लेषण किया, जब पूंजीवाद अपने उच्चतम चरण, साम्राज्यवाद, में विकसित हुआ था। उन्होंने यह निष्कर्ष निकाला कि श्रमजीवी क्रांति कोई भविष्य की संभावना नहीं है बल्कि समाधान के लिए उठाई जाने लायक समस्या है। उन्होंने उन लोगों के खिलाफ संघर्ष की अगुवाई की, जो माक्र्सवादी होने का दावा करते थे और यह तर्क दिया करते थे कि रूसी समाज अभी तक श्रमजीवी क्रांति के लिए तैयार नहीं था। उन्होंने एक नए प्रकार की पार्टी, पेशेवर क्रांतिकारियों की एक हिरावल पार्टी, बनाने के लिए संघर्ष की अगुवाई की, जो माक्र्सवाद के सिद्धांत से मार्ग-दर्शित होगी और श्रमजीवी वर्ग को राजनीतिक सत्ता हासिल करने तथा हुक्मरान वर्ग बनने के लिए अगुवाई देने को प्रतिबद्ध होगी।
सोवियत संघ की कम्युनिस्ट पार्टी (बोल्शेविक) के नेतृत्व में, लेनिन की अगुवाई में, रूस के मज़दूर वर्ग ने पूंजीपतियों और जमींदारों की हुकूमत का तख़्तापलट किया था। दमनकारी सरमायदारी राज्य की मशीनरी को नष्ट कर दिया गया था और उसके स्थान पर एक नया सोवियत राज्य स्थापित किया गया था, जो श्रमजीवी वर्ग के अधिनायकत्व का उपकरण था। यह नया राज्य मज़दूर वर्ग की अगुवाई में, आबादी की भारी बहुसंख्या द्वारा, अल्पसंख्यक शोषकों और उत्पीड़कों पर हुकूमत का उपकरण था।
राजनीतिक सत्ता को अपने हाथों में लेने के बाद, बोल्शेविक पार्टी की अगुवाई में श्रमजीवी वर्ग ने इंसानों द्वारा इंसानों के सभी प्रकार के शोषण और उत्पीड़न से मुक्त, एक समाजवादी समाज का निर्माण करना शुरू किया था। सोवियत संघ में समाजवाद की प्रगति से सभी देशों के मजदूरों और उत्पीड़ित लोगों को बहुत प्रेरणा मिली। इस की वजह से, सभी महाद्वीपों में कई कम्युनिस्ट पार्टियों का गठन हुआ और एक शक्तिशाली अंतर्राष्ट्रीय कम्युनिस्ट आंदोलन का विकास हुआ।
पार्टी के इस क्रांतिकारी मार्ग से हट जाने के कारण, सोवियत संघ में समाजवाद के पतन की प्रक्रिया शुरू हुई। 1956 से लेकर, सोवियत पार्टी ने माक्र्सवाद-लेनिनवाद की शिक्षाओं को विकृत करना शुरू कर दिया, यह दावा करते हुए कि अब वर्ग संघर्ष की कोई आवश्यकता नहीं है। इससे पूंजीवाद की पुनःस्थापना हुई और अंत में, 1991 में सोवियत संघ का विघटन हुआ।
सोवियत संघ के पतन के बाद से ही, साम्राज्यवाद यह झूठ फैलाता आ रहा है कि पूंजीवाद का कोई विकल्प नहीं है। लेकिन हक़ीक़त तो यह है कि पूंजीवादी-साम्राज्यवादी व्यवस्था पूरी तरह से संकटग्रस्त है और मौत के कगार पर है। इससे घातक युद्ध और मानव समाज के विनाश का ख़तरा पैदा हो रहा है। श्रमजीवी क्रांति और समाजवाद का निर्माण ही मानव समाज को इस तबाही से बचाने का एकमात्र रास्ता है।
माक्र्सवाद-लेनिनवाद की हिफ़ाज़त करते हुए तथा उसे और विकसित करते हुए, और सरमायदारी लोकतंत्र के साथ सभी प्रकार के समझौते व सुधरे हुए पूंजीवाद के भ्रम का खंडन करते हुए, हिरावल कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना करना व उसे मजबूत करना, यही आज सभी पूंजीवादी देशों में प्रगतिशील ताकतों के सामने सबसे महत्वपूर्ण कार्य है।
हम हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी के महासचिव कामरेड लाल सिंह द्वारा 2017 में महान अक्तूबर क्रांति के शताब्दी समारोह के दौरान दिए गए मुख्य भाषण को पुनः प्रकाशित कर रहे हैं।
महान अक्तूबर क्रांति की सीख अमर रहे! हिन्दोस्तानी क्रांति की जीत के लिये हालतें तैयार करें!