फ़िलिस्तीन एकजुटता दिवस :
फ़िलिस्तीनी लोगों के समर्थन में दिल्ली में विशाल जनसभा

7 अक्तूबर, 2024 को इज़रायल द्वारा गाज़ा और वेस्ट बैंक के क़ब्ज़े वाले क्षेत्रों में फ़िलिस्तीनी लोगों के खि़लाफ़, तथा हाल ही में लेबनान और अन्य क्षेत्रों में फैलाये जा रहे जनसंहारक युद्ध का एक साल पूरा हो गया।

इस अवसर पर, सैकड़ों लोग – महिलाएं, छात्र और युवा, मज़दूर और विभिन्न क्षेत्रों के लोग – नई दिल्ली में संसद के पास जंतर-मंतर पर एक विशाल विरोध प्रदर्शन में एकत्रित हुए थे।

प्रतिभागियों ने तख़्तियां और बैनर ले रखे थे जिन पर नारे लिखे थे – ‘फ़िलिस्तीनी लोगों के खि़लाफ़ इज़रायल का जनसंहारक युद्ध मुर्दाबाद!’, ‘गाज़ा पट्टी, वेस्ट बैंक और सभी फिलिस्तीनी इलाकों पर इज़रायल के अवैध क़ब्जे़ को ख़त्म करो!’, ‘फ़िलिस्तीनी लोगों के राष्ट्रीय अधिकारों के लिए संघर्ष का समर्थन करें!’, ‘अमरीकी साम्राज्यवाद और उसके सहयोगियों द्वारा इज़रायल को समर्थन की निंदा करें!’, ‘लेबनानी लोगों पर इज़रायल का आतंकवादी हमला मुर्दाबाद!’, और ‘हिन्दोस्तानी कंपनियों द्वारा इज़रायल को हथियार बेचना बंद करो!’ हज़ारों महिलाओं, बच्चों और पुरुषों के क्रूर जनसंहार के लिए इज़रायल की निंदा करते हुए, और जनसंहार में इज़रायल को समर्थन देने के लिए अमरीका की निंदा करते हुए, विरोध स्थल पर जुझारू नारे गूंज रहे थे।

रैली के संयुक्त संयोजक थे – इंडो-फ़िलिस्तीन सॉलिडेरिटी नेटवर्क (आईपीएसएन), इंडिया फ़िलिस्तीन सॉलिडेरिटी फोरम (आईपीएसएफ), इंडियंस फॉर फ़िलिस्तीन (आई4पी), एडवा, एनएफआईडब्ल्यू , पुरोगामी महिला संगठन, प्रगतिशील महिला संगठन, एआईएमएसएस, ऐक्टू, एआईसीसीडब्ल्यूडब्ल्यू, एआईडीएसओ, एआईडीवाईओ, एआईकेएस, एआईपीएसएन, एआईपीएसओ, एपवा, आइसा, एआईएसएफ, एटक, एआईवाईएफ, अनहद, सीटू, कलेक्टिव, दिल्ली फोरम, दोस्ती, डीएसएफ, डीएसजी, डीएसएमएम, डीवाईएफआई, आईसीडब्ल्यूएम, इफ्टू, आईपीटीए, जनहस्तक्षेप, जन नाट्य मंच, जन संस्कृति, जिम्मेदारी एसडब्ल्यूओ, जेएसए, केवाईएस, मज़दूर एकता कमेटी, एमडब्ल्यूएफ, एनएपीएम, निशांत नाट्य मंच, पीडीएसयू, पीयूसीएल, आरवाईएफ, एसएफआई, यूटीयूसी, वाईडब्ल्यूसीए, इत्यादि। फ़िलिस्तीनी मुद्दे का समर्थन करने वाले कई अन्य संगठन भी अपने बैनर, नारे आदि के साथ रैली में शामिल हुए।

रैली को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के पोलित ब्यूरो और केन्द्रीय समिति के कोआरडिनेटर कामरेड प्रकाश करात, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव कामरेड डी. राजा, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) के महासचिव कामरेड दीपांकर भट्टाचार्य, हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी के प्रवक्ता कामरेड प्रकाश राव, ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक के महासचिव कामरेड जी. देवराजन, रेवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के कामरेड आर.एस. डागर, सोशलिस्ट यूनिटी सेंटर ऑफ इंडिया (कम्युनिस्ट) के कामरेड हरीश त्यागी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) न्यू डेमोक्रेसी के कामरेड मृगांक ने संबोधित किया। रैली में ज़िम्मेदरी एसडब्ल्यूओ, जनहस्तक्षेप, कलेक्टिव और अन्य संगठनों के प्रतिनिधियों ने भी बात रखी।

वक्ताओं ने एक स्वर में गाज़ा, वेस्ट बैंक और अब लेबनान में इज़रायल द्वारा किए जा रहे भीषण जनसंहार की निंदा की। हजारों लोगों की हत्या की गई है, जिनमें से अधिकांश महिलाएं और बच्चे हैं। हज़ारों लोग लापता बताए जा रहे हैं। लाखों लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं। अस्पतालों और स्कूलों को ख़ास तौर पर निशाना बनाया गया है। बच्चे भूख और आम तौर पर रोकी जाने वाली बीमारियों से मर रहे हैं। गाज़ा के 20 लाख से अधिक लोग स्थायी शरणार्थी बन गए हैं। वक्ताओं ने लेबनानी लोगों पर आतंकवादी हमलों और लेबनान की राजधानी बेरूत व अन्य शहरों में विनाशकारी बमबारी की निंदा की। उन्होंने बताया कि इज़रायल ने ईरान, इराक, सीरिया और यमन के खि़लाफ़ आतंकवादी हमले किए हैं। उन्होंने आशंका व्यक्त की कि युद्ध पश्चिम एशिया के सभी देशों में फैल सकता हैं।

वक्ताओं ने बताया कि पश्चिम एशिया के देशों और लोगों के सामने जो गंभीर स्थिति है, वह अमरीका द्वारा इज़रायल को दिए जा रहे राजनीतिक, वित्तीय और सैन्य समर्थन का सीधा नतीजा है। इसी वजह से इज़रायल फ़िलिस्तीनी लोगों का जनसंहार करने और अन्य देशों की संप्रभुता पर बेरोक हमला करने में सक्षम हुआ है। पश्चिम एशिया में समस्या के शांतिपूर्ण समाधान के लिये सबसे बड़ी बाधा अमरीका है। अमरीकी साम्राज्यवाद इस तेल समृद्ध क्षेत्र पर अपना पूरा प्रभुत्व स्थापित करने के लिए इज़रायल को अपने हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहा है। उन्होंने कहा कि अमरीका की पूरी दुनिया पर अपना निर्विवाद आधिपत्य स्थापित करने की रणनीति में इज़रायल के लिये उसका समर्थन एक हिस्सा है।

हिन्दोस्तानी राज्य के रवैये की कड़ी आलोचना की गई। हिन्दोस्तान ने जनसंहार को समाप्त करने और इज़रायल को हथियारों की बिक्री रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव पर मतदान से खुद को अलग कर लिया है। हिन्दोस्तानी राज्य ने इज़रायल को हथियारों के निर्यात की अनुमति देना जारी रखा है। सभी वक्ताओं ने इन कार्रवाइयों की निंदा की और इन्हें फ़िलिस्तीनी लोगों के साथ शर्मनाक विश्वासघात बताया तथा हिन्दोस्तानी लोग, जिन्होंने हमेशा फ़िलिस्तीनी राष्ट्र के आत्म-निर्धारण के अधिकार का समर्थन किया है, उनकी भावनाओं के साथ विश्वासघात बताया।

जन नाट्य मंच के कार्यकर्ताओं द्वारा प्रस्तुत एक नुक्कड़ नाटक में फ़िलिस्तीनी लोगों के दुःख-दर्द को बड़े दिल दहलाने वाले रूप से दर्शाया गया और सभी मुश्किलों के बावजूद अपनी मातृभूमि को वापस पाने के लिए लड़ने के उनके दृढ़ संकल्प को शक्तिशाली रूप से दर्शाया गया।

निशांत नाट्य मंच, इप्टा, अनहद और अन्य संगठनों द्वारा प्रस्तुत गीत-संगीत ने रैली में उपस्थित सभी प्रतिभागियों द्वारा प्रकट की गई गहरी भावनाओं को जीवंत रूप दिया।

रैली में एक संकल्प पारित किया गया। संकल्प के कुछ प्रमुख बिंदु इस प्रकार थे :

  • इज़राइल को फ़िलिस्तीनी लोगों के खि़लाफ़ अपने जनसंहारक युद्ध को रोकने के लिए मजबूर किया जाना चाहिए। इज़रायल पर प्रतिबंध लगाए जाने चाहियें और इज़रायल को हथियारों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए।
  • हिन्दोस्तानी सरकार को इज़रायल का समर्थन करना बंद करना चाहिए। उसे संयुक्त राष्ट्र में अमरीका समर्थित इज़रायल सरकार की जनसंहारक कार्रवाइयों के खि़लाफ़ मतदान करना चाहिए। उसे इज़रायल को हथियार बेचना बंद कर देना चाहिए।

प्रस्ताव का समापन इस प्रकार हुआ: “हम सभी राष्ट्रों के राज्य-अध्यक्षों से जनसंहार को रोकने के अपने क़ानूनी और नैतिक कर्तव्य को पूरा करने का बुलावा देते हैं। उन्हें इज़रायल के खि़लाफ़ प्रतिबंध लगाने चाहियें और उसे सभी मोर्चों पर अलग-थलग करना चाहिए। अपने-अपने राष्ट्रों के निर्वाचित राज्य-अध्यक्षों के रूप में, उन्हें अब यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इज़रायल सभी क़ब्ज़े वाले क्षेत्रों से वापस हट जाए। फ़िलिस्तीन के साथ खड़े हों! फ़ौरन युद्ध विराम लागू करें! फ़िलिस्तीनी लोगों के लिए न्याय सुनिश्चित करें!”

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