हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी की केंद्रीय समिति का बयान, 9 अक्तूबर 2024
इज़रायल द्वारा 7 अक्तूबर 2023 से फ़िलिस्तीनी लोगों के खि़लाफ़ किये जा रहे जनसंहारक युद्ध ने मानव जाति के ज़मीर को झकझोर कर रख दिया है।
इस वहशी जनसंहार के पैमाने का शब्दों में वर्णन करना नामुमकिन है। गाज़ा में 90 प्रतिशत से अधिक इमारतें नष्ट हो गई हैं। अस्पतालों, स्कूलों और इबादत स्थलों को विशेष रूप से निशाना बनाया गया है। हज़ारों लोगों की हत्या कर दी गई है, जिनमें अधिकतर महिलाएं और बच्चे हैं। हजारों लोगों के लापता होने की ख़बर है; उनकी लाशें ध्वस्त इमारतों के मलबे के नीचे दबी पड़ी हैं। लाखों को गंभीर चोटें आई हैं। बच्चे भूख और आसानी से रोकी जाने वाली बीमारियों के कारण मर रहे हैं। इज़रायली सेना ने गाज़ा के 22 लाख लोगों को, गाज़ा के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में जाने को मजबूर करके, उन्हें स्थायी शरणार्थी बना दिया है। उनके लिए कोई भी जगह सुरक्षित नहीं है, क्योंकि इज़रायली सेना उन्हें कहीं भी मार डालती हैं। इज़रायल की जेलें वेस्ट बैंक, पूर्वी येरुशलम और गाज़ा के क़ब्जे़ वाले क्षेत्रों के फ़िलिस्तीनी युवाओं से भरी हुई हैं।
इज़रायल “आत्मरक्षा के अधिकार” के नाम पर, फ़िलिस्तीनी लोगों के इस क्रूर दमन को जायज़ ठहराने की कोशिश कर रहा है। वह फ़िलिस्तीनी लोगों के, अपनी मातृभूमि पर क़ब्ज़े के खि़लाफ़ जायज़ प्रतिरोध संघर्ष को, इज़रायल की संप्रभुता पर हमले के रूप में पेश करता है। क़ब्ज़े वाले क्षेत्रों में बसे फ़िलिस्तीनी लोगों को क़ब्ज़े का विरोध करने और अपनी मुक्ति के लिए लड़ने का पूरा अधिकार है। इज़रायल एक क़ब्ज़ाकारी शक्ति होने के नाते, गाज़ा, वेस्ट बैंक और पूर्वी येरुशलम पर अपने निरंतर क़ब्ज़े को जायज़ ठहराने के लिए “आत्मरक्षा के अधिकार” का औचित्य नहीं दे सकता है। देशों के बीच संबंधों को नियंत्रित करने वाला अंतर्राष्ट्रीय क़ानून आत्मरक्षा के अधिकार को तभी स्वीकार करता है जब कोई देश अपनी संप्रभुता की रक्षा कर रहा हो – किसी दूसरे लोगों की मातृभूमि पर अपने क़ब्ज़े की रक्षा करने और उसे बनाए रखने के लिए नहीं।
इज़रायल ने अब अपने जनसंहारक युद्ध का दायरा लेबनान तक बढ़ा दिया है। सबसे पहले उसने पेजर और वॉकी-टॉकी में लगाए गए बमों का उपयोग करके वहां आतंकवादी हमला किया, जिसके परिणामस्वरूप कई मौतें हुईं और हजारों लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। इसके बाद राजधानी बेरूत और लेबनान के अन्य शहरों पर भारी बमबारी की गयी। दो हजार से ज़्यादा लोग मारे जा चुके हैं। इज़रायल ने अब लेबनान पर ज़मीनी हमला शुरू कर दिया है। लेबनान सरकार के मुताबिक, 12 लाख से ज्यादा लोग अपने ही देश में शरणार्थी बनने को मजबूर हो गए हैं।
अपनी संप्रभुता की रक्षा के नाम पर इज़रायल ने ईरान, इराक, सीरिया और यमन के खि़लाफ़ आतंकवादी हमले किए हैं। इस बात की पूरी संभावना है कि युद्ध की आग की लपटें पश्चिम एशिया के सभी देशों को अपनी चपेट में ले लें।
पश्चिम एशिया के देशों और लोगों के सामने मौजूद गंभीर स्थिति अमरीका द्वारा इज़रायल की सरकार को दिए गए राजनीतिक, वित्तीय और सैन्य समर्थन का सीधा अंजाम है। अमरीकी सरकार ने इज़रायल को, फ़िलिस्तीनी लोगों का जनसंहार करने और अन्य देशों की संप्रभुता पर हमला करने के लिए, बिना शर्त समर्थन दिया है।
गाज़ा, वेस्ट बैंक तथा लेबनान और अन्य पड़ोसी देशों में कई संगठन अमरीकी साम्राज्यवाद द्वारा समर्थित इज़रायल की हमलावर कार्यवाहियों का विरोध कर रहे हैं। साम्राज्यवादी प्रचार अपनी संप्रभुता की हिफ़ाज़त के लिए इज़रायल के खि़लाफ़ संघर्ष कर रहे लोगों को ‘आतंकवादी’ करार देता है, जबकि इज़रायली राज्य के आतंकवाद को वैध आत्मरक्षा के रूप में जायज़ ठहराता है। यह सरासर झूठा प्रचार है।
बीते वर्ष में सभी देशों के इंसाफ़-पसंद लोग फ़िलिस्तीनियों के जनसंहार को ख़त्म करने की मांग को लेकर सड़कों पर निकल पड़े हैं। संयुक्त राज्य अमरीका, ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी और दुनिया के कई देशों में सड़कों पर बड़े-बड़े विरोध प्रदर्शन हुए हैं। सभी देशों के लोग यह मांग कर रहे हैं कि अमरीका और अन्य सरकारें इज़रायली राज्य को धन और हथियार देना फ़ौरन बंद करें।
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने सदस्य देशों के भारी बहुमत से एक प्रस्ताव पारित किया है, जिसमें इज़रायल से फ़िलिस्तीनी लोगों के खि़लाफ़ युद्ध को बंद करने, क़ब्ज़े वाले फ़िलिस्तीनी क्षेत्रों से अपनी सेना वापस लेने और फ़िलिस्तीनी लोगों का अपना राज्य सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है। परन्तु इज़रायल दुनिया के लोगों और देशों की आवाज़ का उल्लंघन कर रहा है, क्योंकि उसे अमरीकी साम्राज्यवाद और उसके सहयोगियों का मज़बूत समर्थन प्राप्त है। विश्व जनमत के अपने उल्लंघन को दर्शाते हुए, इज़रायल ने यहां तक घोषणा की है कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटिरेज़ को इज़रायल में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी!
हिन्दोस्तान ने जनसंहार को समाप्त करने और इज़रायल को हथियारों की बिक्री रोकने के संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव पर मतदान करने से खुद को अलग कर लिया है। हिन्दोस्तानी राज्य ने इज़रायल को हथियारों का निर्यात करने की अनुमति देना जारी रखा है। ये कार्यवाहियां हिन्दोस्तानी शासक वर्ग द्वारा फ़िलिस्तीनी लोगों के साथ एक शर्मनाक विश्वासघात हैं। यह हिन्दोस्तानी लोगों के साथ विश्वासघात है, क्योंकि हमारे लोगों ने हमेशा फ़िलिस्तीनी राष्ट्र के आत्मनिर्धारण के अधिकार का समर्थन किया है।
कई दशकों से, अमरीकी साम्राज्यवाद पश्चिम एशिया क्षेत्र पर अपना सम्पूर्ण प्रभुत्व सुनिश्चित करने के लिए, इज़रायल को फ़िलिस्तीनी और अन्य अरब लोगों पर निशाना साधे हुए अपनी बंदूक के रूप में इस्तेमाल करता आ रहा है। यह इलाका तेल और प्राकृतिक गैस से समृद्ध है। अमरीकी साम्राज्यवाद अपने संभावित प्रतिस्पर्धियों को इन संसाधनों तक पहुंचने से वंचित करने के लिए, इन बहुमूल्य संसाधनों पर अपना नियंत्रण चाहता है। इज़रायल को अमरीका द्वारा दिया जा रहा सैन्य, वित्तीय और राजनीतिक समर्थन अमरीका की, पूरी दुनिया पर अपना निर्बाधित प्रभुत्व स्थापित करने की रणनीति का एक अभिन्न अंग है।
अमरीका पश्चिम एशिया के सभी देशों को अपने आगे घुटने टेकने को मजबूर करना चाहता है। वह विशेष रूप से ईरान को निशाना बना रहा है क्योंकि ईरान ने अमरीका के सामने झुकने से इनकार कर दिया है और खुद का आर्थिक व राजनीतिक रास्ता अपना रहा है। वह ईरान और उस क्षेत्र की अन्य साम्राज्यवाद-विरोधी ताक़तों पर हमला करने के लिए इज़रायल का इस्तेमाल करना चाहता है।
बीते साल की गतिविधियों ने पूरी दुनिया के लोगों के सामने अमरीका का असली चेहरा स्पष्ट कर दिया है। यह स्पष्ट होता जा रहा है कि अमरीका ही वह मुख्य ताक़त है जो पश्चिम एशिया में समस्या के शांतिपूर्ण समाधान को रोक रही है। फ्रांस और जापान जैसे उसके सहयोगियों ने भी इज़रायल को हथियारों की बिक्री रोकने और फ़िलिस्तीनी लोगों के जनसंहार को फ़ौरन बंद करने की मांग करते हुए, अपनी आवाज़ें उठाई हैं।
अमरीका या किसी अन्य देश द्वारा इज़रायल को हथियार की सप्लाई फ़ौरन बंद करने की दुनिया के लोगों की मांग पूरी तरह से जायज़ है। यह मांग भी बिलकुल जायज़ है कि इज़रायल और अमरीका अपने आतंकवादी हमलों और दूसरे देशों पर सैनिक हमलों को रोकें।
अमरीकी साम्राज्यवाद ने दुनिया भर में यह झूठ फैलाया है कि इस्लामी आतंकवाद मानव जाति का मुख्य दुश्मन है। वास्तव में, यह अमरीकी साम्राज्यवाद ही है जो आज मानव जाति का सबसे ख़तरनाक दुश्मन है। पूरी दुनिया पर अपना वर्चस्व जमाने के लिए अमरीका का हमलावर अभियान विश्व शांति के लिए सबसे बड़ा ख़तरा है।
सभी प्रगतिशील लोगों को फ़िलिस्तीनी लोगों के अपने राष्ट्रीय अधिकारों के लिए संघर्ष का पूरा-पूरा समर्थन करना चाहिए।