ब्रिटेन द्वारा इज़राइल को हथियार दिये जाने के विरोध में जूलूस

7 सितंबर को लंदन के पिकाडिली सर्कस से हजारों लोगों ने लंदन में इज़राइली दूतावास तक जुलूस आयोजित किया। इज़राइल द्वारा गाज़ा पर की जा रही बमबारी और ब्रिटिश सरकार द्वारा इज़राइली रक्षा बलों (आईडीएफ) को दिए जा रहे लगातार समर्थन के विरोध में इस विशाल विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया गया था।

London_marchविरोध प्रदर्शन का आयोजन करने वाले फ़िलिस्तीन एकजुटता अभियान ने कहा, “हम मांग करते हैं कि हमारी सरकार इज़राइल को हथियार देना पूरी तरह से बंद करे और युद्ध विराम के लिए दबाव डाले।”

पिछले साल अक्तूबर के बाद पहली बार लंदन मेट्रोपॉलिटन पुलिस ने इजरायली दूतावास तक विरोध मार्च की अनुमति दी थी। निर्धारित विरोध मार्च से एक दिन पहले 6 सितंबर तक भी पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को विरोध प्रदर्शन और रैली के लिए इकट्ठा होने से रोकने के अपने प्रयास जारी रखे थे, जिससे आयोजकों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा।

दूतावास की ओर मार्च करते हुए प्रदर्शनकारी गाज़ा में इज़राइल द्वारा किये जा रहे जनसंहार को रोकने के लिए नारे लगा रहे थे। उन्होंने मांग की कि ब्रिटिश सरकार इज़राइल को हथियारों की आपूर्ति, तुरंत और पूरी तरह से बंद करे। उन्होंने अपने हाथों में प्लाकार्ड लिये हुये थे जिन पर लिखा था “इज़रायल को हथियार देना बंद करो!”, “अभी के अभी युद्ध विराम करो!”, “जनसंहार आत्मरक्षा नहीं है!”

7 सितंबर के दिन लंदन में आयोजित विशाल विरोध मार्च दुनिया भर के हजारों शहरों में विरोध कार्यों का एक हिस्सा था, जिसमें फ़िलिस्तीनी लोगों के ख़िलाफ़ इज़राइल के जनसंहारक युद्ध को तत्काल समाप्त करने की मांग की जा रही है।

फ़िलिस्तीनी लोगों के ख़िलाफ़ गाज़ा और अब पश्चिमी तट पर भी इज़रायल के जनसंहार युद्ध को एक साल पूरा होने जा रहा है। यह अमरीकी साम्राज्यवादियों और उनके पश्चिमी साम्राज्यवादी सहयोगियों से हथियारों और धन के बड़े पैमाने पर समर्थन से किया जा रहा है। इस युद्ध में पहले ही 40,000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और सैकड़ों हजारों लोग घायल हो चुके हैं। इसके अलावा गाज़ा में पूरे बुनियादी ढांचे को मलबे में बदल दिया गया है। इज़राइल द्वारा जनसंहारक युद्ध दुनिया भर के लोगों और संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के आदेष का पालन न करने की निंदा के बावजूद किया जा रहा है। लेकिन इस जनसंहार के प्रति लोगों का विरोध बढ़ता जा रहा है।

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