स्थानीय स्कूल में चार वर्ष की दो लड़कियों के यौन दुर्व्यवहार के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करने पर बदलापुर में 300 से अधिक लोगों पर लाठीचार्ज किया गया और उन्हें गिरफ़्तार किया गया। उन्हें भारतीय न्याय संहिता अधिनियम की गैर-जमानती धाराओं के तहत गिरफ़्तार किया गया है।
पीड़ितों के माता-पिता ने 12 अगस्त को यौन शोषण की घटना की रिपोर्ट दर्ज कराई थी, लेकिन पुलिस ने 16 अगस्त तक एफआईआर दर्ज नहीं की। स्कूल के एक कर्मचारी को 17 अगस्त को गिरफ़्तार किया गया और 26 अगस्त तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया।
20 अगस्त को बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए, जिसमें लोगों ने ‘रेल रोको’ आंदोलन किया और पीड़ितों के लिए न्याय की मांग की। पुलिस ने विरोध प्रदर्शन को रोकने के लिए लाठीचार्ज और बड़े पैमाने पर गिरफ़्तारियों का सहारा लिया।
मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, गृहमंत्री और राज्य सरकार के अन्य प्रतिनिधियों ने लोगों से विरोध प्रदर्शन बंद करने की अपील की। परन्तु इन अपीलों के बावजूद विरोध प्रदर्शन जारी है। यह लोगों में व्यापक आक्रोश को दर्शाता है। यह व्यवस्था के प्रति लोगों के अविश्वास को दर्शाता है। यह इस बात को दर्शाता है कि दोषियों को सज़ा देने के लिए समय पर कार्रवाई की जाएगी, इस बात से लोगों का भरोसा उठ चुका है। जीवन के अनुभव से पता चलता है कि महिलाओं और लड़कियों पर अत्याचार करने वालों को हमेशा ही सत्ता में बैठे लोगों द्वारा संरक्षण दिया जाता है।
लोग न्याय की मांग कर रहे हैं। वे महिलाओं के ख़िलाफ़ यौन उत्पीड़न और शारीरिक हमलों से सुरक्षा की मांग कर रहे हैं। ऐसा करने पर उन्हें पीटा जा रहा है और गिरफ़्तार किया जा रहा है। इसका कोई औचित्य नहीं है और इसकी कड़ी निंदा की जानी चाहिए।