केरल, हिमाचल और उत्तराखंड में घोर आपदायें :
पूंजीवादी मुनाफ़ों के पीछे बेलगाम दौड़ का नतीजा

30 जुलाई की सुबह केरल के वायनाड क्षेत्र में हुए भूस्खलन के बाद लगभग 400 लोग मारे गए और 300 से ज्यादा लोग लापता हैं। धरती के खिसकने से घर नष्ट हो गए, लोगों की जान चली गई और वहां के निवासी, अकल्पनीय दुख और मुसीबत में हैं। हालांकि यह त्रासदी दिल दहला देने वाली है, लेकिन यह कोई एक-अकेली् घटना नहीं है। हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्यों में हाल ही में ऐसी ही कई तबाहकारी घटनाएं सामने आई हैं, जहां लगातार बारिश के बाद विनाशकारी बाढ़ और भूस्खलन हुआ है, जिसमें लोगों की जान चली गई और वहां तबाही मच गई।

वायनाड में मरने वाले और लापता होने वाले लोगों की संख्या हर दिन बढ़ रही है। अनेक परिवार बिछड़ गये और उनके प्रियजन सैकड़ों टन मलबे के नीचे दब गए हैं। जो लोग किसी तरह, इस त्रासदी में जिन्दा बच गए हैं, वे अपनी बाल-बाल बचने की दर्दनाक कहानियों और अपना सब कुछ खोने की पीड़ा को प्रकट कर रहे हैं। बच्चों ने माता-पिता को खो दिया है और माता-पिता ने बच्चों को खो दिया है। उनके दिल दहला देने वाले मानसिक घाव बहुत गहरे हैं और उन्हें भरने का रास्ता बहुत बड़ी चुनौतियों से भरा है।

हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में भी कहानी उतनी ही दुखद है। पूरे के पूरे गांव विस्थापित हो गए हैं और मरने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। बाढ़ के तुरंत बाद, अफरा-तफरी का माहौल देखने को मिला, क्योंकि बचाव-दल को फंसे हुए लोगों तक पहुंचने के लिए प्रतिकूल मौसम का सामना करना पड़ा। इतनी विशाल पैमाने पर हुई तबाही ने स्थानीय अधिकारियों को भी परेशान कर दिया है; तबाही में फंसे लोगों को बड़े पैमाने पर अपने हाल पर ही छोड़ दिया गया है।

इन घटनाओं को प्राकृतिक आपदाएं कहा जाता है, लेकिन इनके लिए केवल प्राकृतिक कारण ही ज़िम्मेदार नहीं हैं। प्राकृतिक रूप से नाज़ुक क्षेत्रों में अधिकतम पूंजीवादी मुनाफ़े के पीछे दौड़ में इन त्रासदियों के लिए, अनाधिकृत-निर्माण और अनियंत्रित जंगलों की कटाई ज़िम्मेदार हैं।

वायनाड में, भूवैज्ञानिकों ने बताया है कि जिन क्षेत्रों में निर्माण की सुविधा के लिए, नदियों को अपना मार्ग बदलने के लिए मजबूर किया गया है और वे अपने मूल मार्ग पर वापस आ रही हैं, जिसके कारण बाढ़ और भूस्खलन हो रहे हैं। हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में, तेज़ी से शहरीकरण और कमज़ोर-ढलानों पर अनियमित निर्माण ने, भूस्खलन और बाढ़ के जोखिम को बढ़ा दिया है। अनेक अध्ययनों और सिफ़ारिशों के बावजूद, केंद्र और राज्य सरकारों ने ऐसे जोखिमों को कम करने के लिए कारगर उपाय नही किये हैं।

वायनाड जिले में भूस्खलन की संभावना और ऐसी आपदा को रोकने के लिए उठाए जाने वाले क़दमों पर पश्चिमी घाट परिस्थिति विज्ञान (इकोलॉजी) के विशेषज्ञ पैनल की 2011 की रिपोर्ट को, राज्य सरकार ने पूरी तरह से नज़रअंदाज़ कर दिया। पैनल ने अपनी रिपोर्ट में, पश्चिमी घाट में प्राकृतिक-संवेदनशील क्षेत्रों के वर्गीकरण की सिफ़ारिश की थी। लेकिन आज तक इसे लागू नहीं किया गया है। ऐसा इसलिए है क्योंकि ये सिफ़ारिशें पर्यटन से अधिकतम मुनाफ़ा कमाने के पूंजीपतियों के प्रयासों के विपरीत हैं। जिले में अधिकृत और अनाधिकृत, दोनों तरह के निर्माण बड़े पैमाने पर हो रहे हैं। पूंजीवादी हितों को बढ़ावा देने में सरकार की भूमिका, जिसके परिणामस्वरूप अनगिनत लोगों की जान चली गई, उसकी कड़ी निंदा की जानी चाहिए।

इस त्रासदी के घटने के बाद, मंत्रियों और उच्च अधिकारियों द्वारा संवेदना और मुआव्ज़ा देना महज़ एक दिखावा है। जो लोग इस त्रासदी के लिए ज़िम्मेदार हैं, उन्हें जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।

इस त्रासदी से जूझ रहे लोगों के लिये सिर्फ सहानुभूति काफी नहीं है; उन्हें न्याय मिलना चाहिये और साथ-साथ आश्वासन भी कि ऐसी त्रासदियों को भविष्य में न होने के लिए जरूरी क़दम लिये जाएंगे।

केरल, हिमाचल और उत्तराखंड में हाल ही में हुई आपदाओं के लिए केंद्र और संबंधित राज्यों में सत्तासीन पार्टियां एक-दूसरे पर आरोप लगा रही हैं। वे समस्या के मूल कारण से लोगों का ध्यान भटका रही हैं।

समस्या का मूल कारण यह है कि पूरी अर्थव्यवस्था पूंजीवादी मुनाफ़े को अधिकतम करने की दिशा में काम कर रही है, न कि लोगों की ज़रूरतों को पूरा करने की दिशा में। केंद्र और राज्यों की सरकारों द्वारा समर्थित रियल एस्टेट, पर्यटन और बुनियादी ढांचे से जुड़े पूंजीपति, सैकड़ों-हजारों लोगों की जान की परवाह किये बिना, अपने अधिकतम मुनाफ़ा बनाने की दौड़ में लगे हैं।

हाल की आपदाएं इस बात की पुष्टि करती हैं कि मज़दूर वर्ग को किसानों और अन्य मेहनतकश लोगों के साथ मिलकर राजनीतिक सत्ता अपने हाथों में लेनी चाहिए और अर्थव्यवस्था के पूंजीवादी दिशा को बदलना चाहिए। पूंजीवादी मुनाफ़े को अधिकतम करने के बजाय, लोगों की ज़रूरतों की पूर्ति, आर्थिक व्यवस्था की प्रेरक शक्ति बननी चाहिए।

Share and Enjoy !

Shares

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *