काम की अन्यायपूर्ण हालतों के खि़लाफ़ रेल चालकों के सफल संघर्ष!

भारतीय रेल के सभी जोनों में रेल चालकों की भारी कमी है। प्रबंधन सभी खाली पदों को भरने से इंकार कर रहा है। इसके विपरीत प्रबंधन, मौजूदा रेल चालकों जो कि कम संख्या में हैं, उन्हीं से अधिक से अधिक संख्या में माल गाड़ियां और सवारी गाड़ियां चलवाने के लिए असुरक्षित तरीक़ों का सहारा ले रहा है। इससे रेल चालकों का कार्यभार भी बढ़ रहा है। उनका वर्तमान कार्यभार रेलवे के अपने कार्य घंटों के मानदंडों से पहले ही बहुत ज्यादा है।

रेल चालकों पर अत्यधिक कार्यभार होने और उन्हें असुरक्षित तरीकों को अपनाने के लिए कहना, ये दोनों ही स्थितियां यात्रियों और रेल कर्मचारियों के जीवन को ख़तरे में डालती हैं।

रेल चालकों की मांग है कि सभी रिक्तियों को तत्काल भरा जाये। वे काम के असुरक्षित तरीक़ों का विरोध कर रहे हैं। इसके बावजूद रेलवे प्रबंधन इस पर कोई ध्यान नहीं देता है।

परंतु, जब रेलवे कर्मचारी एकजुट होकर अपने अधिकारों और सभी की सुरक्षा के लिए लड़ते हैं, तो अधिकारियों के पास उनके सामने झुकने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता है। हाल ही में दो अलग-अलग मामलों में एक बार फिर यही देखा गया।

मुंबई डिवीज़न में जीत

9 मई, 2024 को 50 सहायक रेल चालकों ने बीमार होने की सूचना दी, जिसके परिणामस्वरूप मध्य रेलवे के कल्याण जंक्शन पर शाम 5 बजे से लेकर रात के 12 बजे तक, सात घंटे के लिए माल गाड़ियों की आवाजाही रुकी रही। मध्य रेलवे का कल्याण जंक्शन, मुंबई डिवीज़न का सबसे व्यस्त जंक्शन है। रेलवे के नियमों के अनुसार, प्रत्येक इंजन में एक रेल चालक और सहायक रेल चालक होना चाहिए। यह नियम सुरक्षा के लिए आवश्यक है, लेकिन अधिकारी एक सहायक रेल चालक को मालगाड़ियों में आगे और पीछे दोनों इंजन चलाने के लिए कहकर इसका उल्लंघन कर रहे हैं। एक व्यक्ति एक ही समय में दो अलग-अलग जगहों पर कैसे हो सकता है, यह अधिकारियों को समझाना चाहिए!

पिछले छह महीनों से, ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन उन पर लगाए गए इस असुरक्षित प्रथा का विरोध कर रहा है, लेकिन अधिकारियों ने कुछ नहीं किया। जब 9 मई को एक सहायक रेल चालक ने इस तरह से काम करने से इंकार कर दिया तो उसे तुरंत निलंबित कर दिया गया। इस निलंबन के विरोध में उसके अधिकांश सहकर्मियों ने सामूहिक विरोध प्रदर्शन किये। वे कल्याण लॉबी में एकत्र हुए और उन्होंने उसकी बहाली तथा प्रबंधन की असुरक्षित कार्य पद्धति को रोके जाने की मांग की। इसके कारण माल गाड़ियों की भारी भीड़ लग गई। सहायक रेल चालकों ने फै़सला किया था कि अगर कल्याण के अधिकारी उनकी मांगों पर ध्यान नहीं देते हैं, तो वे अपना आंदोलन कुर्ला और पनवेल तक भी फैलाएंगे।

अधिकारियों को उस सहायक रेल चालक के निलंबन के आदेश को वापस लेना पड़ा और दो इंजनों को चलाने के लिए केवल एक सहायक रेल चालक रखने की असुरक्षित प्रथा को रोकने के लिए सहमत होना पड़ा।

मुंबई डिवीज़न के कल्याण, पनवेल और लोनावाला के रेल चालक और सहायक रेल चालकों ने 2022 में भी इसी तरह विरोध किया था, उस समय अधिकारियों ने एक नया संयुक्त प्रक्रिया आदेश (जे.पी.ओ.) जारी किया था, जिसमें रेल चालक और सहायक रेल चालक को पर्याप्त आराम नहीं दिया गया था। उनके सामूहिक विरोध ने 36 घंटे तक माल गाड़ियों की आवाजाही को पूरी तरह से बाधित कर दिया था। अधिकारियों को तुरंत जे.पी.ओ. को वापस लेना पड़ा था।

2022 में और अब मई 2024 में रेल चालकों और सहायक रेल चालकों द्वारा की गई ये कार्रवाइयां रेलवे प्रबंधन के द्वारा यात्रियों और चालको के जीवन को जोखिम में डालने की कार्य पद्धति को रोकने में एकजुट कार्रवाई की ताक़त दिखाती हैं।

एर्नाकुलम दक्षिण (ई.आर.एस.) डिपो में जीत

ई.आर.एस. डिपो के रेल चालकों और सहायक रेल चालकों ने कालीकट रेलवे स्टेशन और त्रिवेंद्रम सेंट्रल स्टेशन तक अपने मार्ग के अन्यायपूर्ण विस्तार का विरोध करते हुए 16 से 23 मई तक, यानी एक सप्ताह से अधिक समय तक आंदोलन किया। अधिकारियों ने उनके साथ इस नए आदेश पर चर्चा करने से इंकार कर दिया था, और मनमाने ढंग से उनकी ड्यूटी बढ़ा दी थी। रेल चालक और सहायक रेल चालकों ने एक-एक करके बीमार होने की सूचना दी, जब उन्हें एल.आर. (लर्निंग रोड, जिसका अर्थ है स्टेशनों के बीच ट्रैक की जानकारी प्राप्त करना) दिया गया।

उन्होंने असहयोग की घोषणा की और उनमें से कई, जिनमें शाखा सचिव भी शामिल थे, बीमार होने की सूचना दी। जब आंदोलन तेज़ हो गया, तो एर्नाकुलम उत्तर में एक एक्सप्रेस ट्रेन देरी से चली। आगे के व्यवधानों के डर से, अधिकारियों ने आगे की चर्चा तक एल.आर. जारी करने को निलंबित करने पर सहमति व्यक्त की।

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