कामगार एकता कमेटी के संवाददाता की रिपोर्ट
कृषि के अलावा सभी उपभोक्ताओं के लिए प्रीपेड स्मार्ट बिजली मीटर लगाने की केंद्र और राज्य सरकारों की योजना को उपभोक्ताओं के साथ-साथ, बिजली सहित विभिन्न क्षेत्रों के मज़दूरों की ओर से कड़े विरोध का सामना करना पड़ रहा है। जहां एक तरफ सरकार का दावा है कि इससे उपभोक्ताओं को लाभ होगा और कार्यक्षमता में सुधार होगा, वहीं दूसरी तरफ़ उपभोक्ताओं को डर है कि इससे उनके बिजली बिलों में भारी बढ़ोतरी होगी। वे प्रीपेड मीटर का विरोध कर रहे हैं, जिनके द्वारा उन्हें बिजली का उपभोग करने से ही पहले पैसे का भुगतान करना होगा। री दर पर अग्रिम भुगतान करना होगा। इस तरह के प्रीपेड मीटर सभी पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ डालेंगे।
बिजली कर्मचारी इसे बिजली वितरण के निजीकरण की ओर एक क़दम मानते हैं और उन्हें डर है कि इससे बड़ी संख्या में नौकरियों में कटौती होगी। किसानों को डर है कि जल्द ही प्रीपेड मीटर उन्हें भी दिए जाएंगे और उन्हें भी पूरी दर पर अग्रिम भुगतान करना होगा। इस तरह के प्रीपेड मीटर सभी पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ डालेंगे।
सिर पर खड़े इस हमले के बारे में लोगों को जागरुक करने के लिए मज़दूरों, किसानों और लोगों के 46 संगठनों ने एक साथ मिलकर, हिंदी और अंग्रेज़ी में एक पुस्तिका प्रकाशित की है। इस पुस्तिका का नाम है – “मज़दूर-विरोधी, जन-विरोधी प्रीपेड स्मार्ट बिजली मीटर का एकजुट होकर विरोध करें”। यह पुस्तिका जल्द ही मराठी में भी प्रकाशित होगी।
26 मई, 2024 को महाराष्ट्र के ठाणे जिले के कल्याण में महाराष्ट्र राज्य विद्युत कर्मचारी महासंघ के एक समारोह में सैकड़ों बिजली कर्मचारियों की उपस्थिति में स्मार्ट बिजली मीटरों के बारे में एक पुस्तिका का अनावरण किया गया, जिसे उत्साहजनक प्रतिक्रिया मिली।