अमरीका के विश्वविद्यालयों के परिसरों में छात्रों द्वारा किये जा रहे विरोध प्रदर्शनों की लहर बढ़ रही है। अमरीका के कई विश्वविद्यालयों के छात्र पिछले 6 महीनों से विरोध प्रदर्शन, धरना और अन्य प्रकार से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। वे पिछले साल 7 अक्तूबर से इज़रायल द्वारा फ़िलिस्तीनी लोगों के ख़िलाफ़ छेड़े गये नरसंहारक युद्ध के ख़िलाफ़ अपनी आवाज़ उठा रहे हैं।
विश्वविद्यालयों के छात्र और शिक्षक चर्चाओं का आयोजन कर रहे हैं, इन चर्चाओं में चर्चा की जा रही है कि – इज़रायली राज्य के निर्माण के बाद से 75 सालों में उसके द्वारा फ़िलिस्तीनी लोगों के ख़िलाफ़ किए गए अपराध, जिसे अमरीकी साम्राज्यवाद और उसके सहयोगियों का पूरा समर्थन प्राप्त है।
प्रदर्शनकारी छात्र लोगों से आह्वान कर रहे हैं कि इज़रायल और इज़रायली रक्षा बलों के साथ व्यापार करने वाली अमरीकी बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा निर्मित वस्तुओं का बहिष्कार करें। वे गाज़ा, पश्चिमी तट और अन्य क्षेत्र, जिन पर इज़रायल ने अवैध रूप से क़ब्ज़ा कर रखा है वहां फ़िलिस्तीनी लोगों पर उसके अमानवीय अपराधों के ख़िलाफ़ अपनी आवाज़ उठा रहे हैं। वे तत्काल युद्ध विराम और फ़िलिस्तीनी लोगों के वैध अधिकारों की बहाली की मांग कर रहे हैं। वे अमरीकी सरकार की निन्दा कर रहे है जिसने इज़रायल को अरबों डॉलर की सैन्य सहायता के साथ-साथ सबसे उन्नत और जानलेवा सैन्य तकनीक देना जारी रखा है। वे इस बात की भी आलोचना कर रहे है कि अमरीकी सरकार ने संयुक्त राष्ट्र संघ और सभी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इज़रायल के जनसंहारक युद्ध का राजनीतिक रूप से बचाव किया है और उसका औचित्य साबित करना जारी रखा है।
छात्रों ने कैलिफोर्निया स्टेट पॉलिटेक्निक यूनिवर्सिटी, यूसी बर्कले, स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी, कोलंबिया यूनिवर्सिटी, न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी, येल यूनिवर्सिटी, हार्वर्ड, एमआईटी, प्रिंसटन यूनिवर्सिटी, ब्राउन यूनिवर्सिटी, बोस्टन यूनिवर्सिटी, मिशिगन यूनिवर्सिटी, मिनेसोटा यूनिवर्सिटी, नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी, पिट्सबर्ग यूनिवर्सिटी, ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी, वाशिंगटन यूनिवर्सिटी, चैपल हिल में नॉर्थ कैरोलिना यूनिवर्सिटी, जॉर्ज वाशिंगटन यूनिवर्सिटी, ऑस्टिन में टेक्सास यूनिवर्सिटी, राइस यूनिवर्सिटी, दक्षिणी कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी, जॉर्जिया में एमोरी यूनिवर्सिटी, बोस्टन में एमर्सन कॉलेज और कई अन्य के परिसरों में शिविर बनाए हैं और नियमित रूप से धरना प्रदर्शन कर रहे हैं।
कोलंबिया यूनिवर्सिटी न्यूयॉर्क के अधिकारियों ने 24 अप्रैल को कालेज के परिसर से प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए न्यूयॉर्क पुलिस विभाग (एन.वाई.पी.डी.) को बुलाया। 108 छात्र प्रदर्शनकारियों को गिरफ़्तार किया गया। जिसके बाद, न्यूयॉर्क शहर और देशभर के विश्वविद्यालयों में तीव्र प्रदर्शनों की एक लड़ी शुरू हो गई है।
25 अप्रैल को अमरीका की राजधानी वाशिंगटन डीसी में सैकड़ों छात्र जॉर्ज वाशिंगटन विश्वविद्यालय में विरोध प्रदर्शन के लिये इकट्ठा हुए और यहां तक कि पूरे अमरीका में विश्वविद्यालय परिसरों में विरोध प्रदर्शन तेज़ हो गए। कोलंबिया विश्वविद्यालय न्यूयॉर्क में, छात्र प्रदर्शनकारियों ने विरोध स्थल को खाली करने के अधिकारियों के आदेशों की अवहेलना करते हुए विरोध प्रदर्शन जारी रखने की कसम खाई। यहूदी छात्र विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए, उन्होंने इज़रायल के जनसंहारक युद्ध के लिए अमरीकी राज्य के द्वारा किए जा रहे लगातार समर्थन की निंदा की, और नारे लगाए “हमारे नाम पर नहीं!”
विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने विरोध प्रदर्शनों का क्रूरता के साथ दमन किया। सैकड़ों छात्रों और विभागीय सदस्यों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है और हिरासत में लिया है। कई मामलों में पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को गिरफ़्तार करने से पहले उन पर आंसू गैस और टैसर (सुन्न करने का हथियार) का इस्तेमाल किया। विरोध प्रदर्शन में भाग लेने और उनका समर्थन करने के लिए कई प्रदर्शनकारी छात्रों और विभागीय सदस्यों को निलंबित कर दिया गया है। सभी विश्वविद्यालय परिसरों में भारी पुलिस तैनाती और निगरानी है और आतंक का माहौल बना हुआ है।
सबसे बड़ी रैली 24 अप्रैल को ऑस्टिन में टेक्सास विश्वविद्यालय में हुई, जहां सैकड़ों छात्रों ने वॉकआउट किया और परिसर के मुख्य लॉन तक मार्च किया, जहां उन्होंने एक शिविर लगाने की योजना बनाई थी। लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने प्रदर्शनकारियों पर हमला करने के लिए स्थानीय और राज्य पुलिस को बुला लिया। सैकड़ों पुलिसकर्मी मौके पर पहुंचे, जिनमें से कुछ घुड़सवार भी थे। लाठी सहित उन्होंने भीड़ पर हमला किया और कई छात्रों को जबरन गिरफ़्तार कर लिया। समाचार रिपोर्टों के अनुसार कम से कम 34 छात्रों को हिरासत में लिया गया। विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्रों पर हमलों को सही ठहराने के लिए “उत्पीड़न”, “नाकाबंदी”, “धमकी”, “अतिक्रमण”, “यहूदी-विरोधी” आदि जैसे आरोप लगाए हैं। उन्होंने प्रदर्शनकारियों के साथ एकजुटता दिखाने वाले लोगों को विश्वविद्यालय परिसर में प्रवेश करने से रोक दिया। उन्होंने तुरंत शिविरों को हटाने का आदेश दिया है। छात्रों ने “यहूदी-विरोधी” और “धमकी” के सभी आरोपों से इनकार किया है। उन्होंने दावा किया है कि उनका विरोध पूरी तरह से शांतिपूर्ण रहा है।
छात्रों पर दमन ने वास्तव में लोगों में इज़रायल के जनसंहारक युद्ध के लिए अमरीकी प्रशासन द्वारा किए जा रहे खुलेआम समर्थन के ख़िलाफ़ और भी ज्यादा गुस्सा पैदा कर दिया है। प्रदर्शनकारियों की गिरफ्तारी, पिटाई, जबरन बेदखली और निलंबन की लोगों ने कड़ी आलोचना की है। विश्वविद्यालयों के विभागीय सदस्य विरोध में उतर आए हैं, उनके हाथों में तख्तियां हैं, जिन पर नारे लिखे हैं “हमारे छात्रों से हाथ हटाओ!” और “छात्रों का निलंबन तुरंत ख़त्म करो!”
विरोध प्रदर्शनों ने अमरीकी राज्य को पूरी तरह से बेनकाब कर दिया है, जो दुनिया में “मानव अधिकारों का सबसे बड़ा रक्षक” होने का दावा करता है, लेकिन जो खुले तौर पर और बेशर्मी से फ़िलिस्तीनी लोगों के जनसंहार का बचाव और समर्थन कर रहा है, जबकि वह अपने ही लोगों के विरोध करने के अधिकार को बेरहमी से कुचल रहा है।
इस बीच, विश्वविद्यालय परिसरों में, छात्र और विभाग अपने विरोध करने के अधिकार पर इन अन्यायपूर्ण हमलों के ख़िलाफ़ लड़ने के लिए दृढ़ता से डटे हुये हैं। वे विरोध प्रदर्शनों को जारी रखने और तेज़ करने के लिए विभिन्न तरीकों पर काम कर रहे हैं।