यूक्रेन में पिछले दो वर्षों से रूस के ख़िलाफ़ अमरीका व नाटो का परोक्षी युद्ध

दो साल पहले, अमरीका और उसके नाटो सहयोगियों ने रूस को यूक्रेन में सैन्य हस्तक्षेप शुरू करने के लिए उकसाया था। इन दो वर्षों के दौरान हजारों यूक्रेनियों और रूसियों ने अपनी जानें गंवाई हैं, लेकिन युद्ध का कोई अंत नहीं दिख रहा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि अमरीका और नाटो, जिन्होंने युद्ध की शुरुआत की थी, रूस को घुटनों पर लाने के अपने लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाए हैं। साथ ही, वे बातचीत के ज़रिये समाधान की सभी संभावनाओं को ख़त्म कर रहे हैं और यूक्रेन को लड़ाई जारी रखने के लिए प्रेरित कर रहे हैं, चाहे इसके लिए उसे कोई भी की़मत चुकानी पड़े।

अमरीका व नाटो ने शुरू से ही यूक्रेन में हो रहे युद्ध को रूस का बेवजह हमला बताया है। यह अब पूरी दुनिया के लोगों को स्पष्ट है कि हकीक़त वह नहीं है, जो पश्चिमी आक्रमक गठबंधन बता रहा है। सोवियत संघ के पतन और विघटन के बाद बने, रूस व अन्य राज्यों के साथ किए गए समझौतों का स्पष्ट उल्लंघन करते हुए, अमरीका और उसके नाटो सहयोगियों ने अपनी सैन्य उपस्थिति को और अधिक पूर्व की ओर, रूस की सीमाओं तक विस्तारित करने के लिए हर मौके का उपयोग किया है। इसका मक़सद दुनिया के इस हिस्से में रूस और उसके प्रभाव को नियंत्रित और कमज़ोर करना है। रूस ने इस गतिविधि पर बार-बार अपनी आपत्ति दर्ज़ कराई है, लेकिन इसका कोई फ़ायदा नहीं हुआ।

अमरीका ने यूक्रेन में ख़ास तौर से उन रूस के प्रति शत्रुतापूर्ण ताक़तों को लगातार प्रोत्साहित किया है, जो यूक्रेन को पश्चिम के क़रीब लाना चाहते हैं। 2008 में फ्रांस और जर्मनी जैसे नाटो सदस्यों की शंकाओं के बावजूद, यूक्रेन को नाटो की सदस्यता के लिए आवेदन करने को प्रोत्साहित किया गया था। नाटो ने स्वयं यूक्रेन की नाटो-सदस्यता के प्रश्न को कुछ समय के लिए स्थगित कर दिया था। मई 2008 में एक अमरीकी गैलप सर्वेक्षण से पता चला कि 43 प्रतिशत यूक्रेनी लोग नाटो को “ख़तरे” के रूप में देखते थे और अपने देश के इसमें शामिल होने के खि़लाफ़ थे (द वाशिंगटन पोस्ट, 4 सितंबर 2014)। लेकिन जब यानुकोविच की निर्वाचित सरकार और यूक्रेनी संसद ने नाटो की सदस्यता नहीं लेने का फै़सला किया था, तो 2014 में अमरीका ने वहां सरकार-विरोधी प्रदर्शन आयोजित कराए, जिनके चलते यानुकोविच की सरकार को गिराया गया और उसकी जगह पर कट्टर पश्चिम-समर्थक सरकारों को बिठाया गया था। यूक्रेन में मौजूदा संघर्ष की यही पृष्ठभूमि है।

अमरीका-नाटो गठबंधन को उम्मीद थी कि रूस जल्द ही हार जाएगा। यूक्रेन और रूस की सरकारें तुर्की की मध्यस्थता में, मार्च-अप्रैल 2022 में युद्ध समाप्त करने के लिए एक समझौते पर पहुंचने वाली थीं, लेकिन इसके बावजूद, उसे अमरीका द्वारा विफल कर दिया गया था। अमरीका और उसके यूरोपीय सहयोगियों को उम्मीद थी कि रूसी अर्थव्यवस्था पर और रूस के साथ व्यापार करने वाले देशों पर प्रतिबंध लगाकर, रूस और उसके लड़ने के संकल्प को कमजोर कर दिया जायेगा और रूस को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग कर दिया जायेगा। लेकिन उनकी यह योजना भी सफल नहीं हो पाई है।

अमरीका और नाटो यूक्रेन को अंत तक लड़ने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। यूक्रेन ने अपनी इतनी सारी लड़ाकू सेना खो दी है कि उसकी सरकार अन्य पांच लाख सैनिकों को जुटाने के लिए एक अलोकप्रिय सेना में जबरन भर्ती क़ानून लागू करने की कोशिश कर रही है। अमरीका और विभिन्न नाटो सदस्य सरकारें यूक्रेन की युद्ध क्षमता को बढ़ाने के लिए उसे हथियार और गोला-बारूद भेज रही हैं, लेकिन अब यह स्पष्ट है कि यूक्रेन को लड़ाई जारी रखने के लिए जितनी ज़रूरत है, उससे यह बहुत कम है। 2023 में यूक्रेन द्वारा एक हमला, जिसका बड़े ज़ोर-शोर से प्रचार किया गया था, असफल रहा।

पिछले दो वर्षों के दौरान, रूस ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह युद्ध को समाप्त करने के लिए ऐसे किसी समझौते पर पहुंचने को तैयार है, जो रूस के लंबे समय से घोषित सुरक्षा शर्तों को पूरा करता हो। लेकिन अमरीका और नाटो ने ऐसे सभी प्रस्तावों को ख़ारिज कर दिया है। यूक्रेन और उसके लोगों को इसकी भयानक क़ीमत चुकानी पड़ रही है। बहरहाल, यूक्रेन के लिए हथियारों की आपूर्ति करने वाली अमरीका और यूरोप की हथियार कंपनियां भारी मुनाफ़ा कमा रही हैं।

अब यूक्रेन के तथाकथित सहयोगी उसके सामने नाटो सदस्यता का ‘तोहफा’ रखकर, उसे लड़ाई जारी रखने के लिए लुभाने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन यह स्पष्ट है कि ये सहयोगी ऐसा जल्द होते देखने के इच्छुक नहीं हैं, क्योंकि यूक्रेन की नाटो सदस्यता उन सहयोगी देशों को अपने साथी नाटो सदस्य के “बचाव” के लिए थल सेनाओं सहित और अधिक सैनिक मदद करने के लिए बाध्य करेगी।

यूक्रेन में युद्ध ने विश्व शांति और सुरक्षा को बहुत कमज़ोर कर दिया है। इस बात का ख़तरा है कि यह कहीं अधिक व्यापक जंग का रूप ले सकता है, जिसमें यूरोप के अन्य देश सीधे तौर पर फंस सकते हैं। अमरीका और यूरोप में, अमरीका-नाटो की हमलावर नीति के ख़िलाफ़ जनता के कई आक्रोश भरे प्रदर्शन हुए हैं। पूरे यूरोप में लोग सड़कों पर उतर आए हैं और मांग कर रहे हैं कि उनकी सरकारें यूक्रेन में युद्ध के लिए फंड देना बंद करें।

आज यह समय की मांग है कि इस युद्ध को समाप्त करने और इस इलाके में स्थायी शांति लाने के लिए, बातचीत करके समाधान निकाला जाए।

Share and Enjoy !

Shares

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *