दिल्ली के होम गार्ड्स इन दिनों अपनी नौकरियों को बचाने के लिए आन्दोलन कर रहे हैं।
हाल में दिल्ली होम गार्ड महानिदेशालय द्वारा जारी की गयी एक अधिसूचना से होम गार्ड बहुत चिंतित हैं। यह अधिसूचना दिल्ली में 10,285 होम गार्डों की भर्तियों के लिये निकाली गयी है। ऑन-लाइन आवेदन देने की अंतिम तारीख 13 फरवरी थी और नयी भर्तियां 31 मार्च तक होनी हैं। मौजूदा होम गार्ड, जो संख्या में 8,624 हैं, को इस बात की शंका है कि इस बड़े पैमाने पर नयी भर्तियां किये जाने के बाद, उनकी अब तक चल रही नौकरियां ख़त्म हो जायेंगी। इसीलिये वे पिछले एक साल से सड़कों पर उतर कर अपनी नौकरी को बचाने के लिये प्रदर्शन करने को मजबूर हैं।
होम गार्ड विभाग को दिसंबर, 1946 में बॉम्बे होम गार्ड्स एक्ट के तहत, सबसे पहले बॉम्बे प्रेसीडेंसी में स्थापित किया गया था। इसकी स्थापना किसी नागरिक अशांति या सांप्रदायिक हिंसा की स्थिति में पुलिस की मदद करने के घोषित मकसद से की गयी थी। इसका संचालन केन्द्रीय गृह मंत्रालय के हाथों में दिया गया था। 1947 में इसे केंद्र-शासित क्षेत्र दिल्ली पर भी विस्तृत किया गया था। 1959 में इस अधिनियम में संशोधन किया गया था और राज्य सरकारों को अपने-अपने सहायक होम गार्ड्स सेना स्थापित करने का अधिकार दिया गया था। 1962 में चीन के खि़लाफ़ युद्ध के बाद, होम गार्ड का पुनर्गठन किया गया था।
होम गार्ड की नौकरी को स्वयंसेवी या वोलेंटीयर का दर्ज़ा दिया गया है। राजधानी दिल्ली में उन्हें दिल्ली पुलिस के अधीन क़ानून और व्यवस्था बनाये रखने का काम करना पड़ता है। आम तौर पर उन्हें अग्निशमन, बचाव कार्यवाई, हथियारों को चलाने, आदि का प्रशिक्षण दिया जाता है। उन्हें ट्रैफिक प्रबंधन, भीड़ पर नियंत्रण, सरकारी कार्यालयों व इमारतों की सुरक्षा, आदि के लिये इस्तेमाल किया जाता है। ज़रूरत पड़ने पर इमरजेंसी में उन्हें किसी भी काम और किसी भी वक्त ड्यूटी पर बुलाया जा सकता है। अगर वे निर्धारित काम को करने से इनकार करते हैं तो उन पर अनुशासनात्मक कार्यवाई की जा सकती है और उन्हें नौकरी से निकाला भी जा सकता है।
डायरेक्टरेट ऑफ़ होम गार्ड्स दिल्ली सरकार के तहत आता है। होम गार्ड्स महानिदेशक (डीजी) इसके शीर्ष अधिकारी हैं।
दिल्ली में होम गार्ड की मासिक आमदनी, मंहगाई भत्ता, परिवहन भत्ता, आदि को मिलाकर, लगभग 25,000 रुपये प्रति माह है। अन्य राज्यों में होम गार्डों की आमदनी इससे कम है। पूरे देश के स्तर पर, होम गार्डों की औसत आमदनी 10,000 रुपये प्रति माह से भी कम है। उनको तीन साल के लिये काम पर लगाया जाता है। आम तौर पर, इस अवधि के बाद उनका कार्यकाल और दो वर्ष के लिये बढ़ा दिया जाता है। अधिकांश राज्यों में अब तक उनका कार्यकाल सेवानिवृत्ति तक बढ़ाया जाता रहा है ।
10 फरवरी को दिल्ली में, पिछली मासिक परेड में होम गार्ड्स के महानिदेशक ने उन्हें संबोधित करते हुए, उन्हें अन्य रोज़गार के साधन तलाशने की हिदायत दी थी। (देखिये बोक्स: होम गार्ड महानिदेशक ने 10 फरवरी, 2024 को क्या कहा था?) इसके बाद होम गार्ड्स की आशंका और बढ़ गयी है।
डीजी साहब के बयान से वर्तमान होम गार्डों को लगता है कि उन्हें अपनी नौकरियों पर बने रहने की उम्मीद छोड़ देनी चाहिये। उन्हें यह आशंका इसलिये भी है क्योंकि 29 दिसंबर, 2023 को दिल्ली होम गार्ड्स की नियमावली, 1959 में तीन संशोधन किये गये हैं। पहला कि होम गार्ड की नौकरी के लिये अब 12वीं कक्षा पास होना ज़रूरी होगा, जबकि पहले इसके लिये 10वीं पास होना काफ़ी था। दूसरा कि अब आवेदन करने वालों की उम्र की ऊपरी सीमा को 50 वर्ष से घटा कर 45 वर्ष कर दिया गया है। मौजूदा होम गार्ड्स का डर जायज़ है – नियमावली के इन दो संशोधनों की वजह से मौजूदा होम गार्ड अगली भर्ती के लिये आवेदन देने के पात्र नहीं रहेंगे क्योंकि मौजूदा होम गार्ड 10 से 20 साल से नौकरी करते आये हैं और उनमें से अधिकतर की उम्र या तो 45 साल से अधिक हो गयी है या वे सिर्फ़ 10वीं कक्षा तक ही पास हैं, और नामांकन सूचना विज्ञापन के अनुसार वे आवेदन देने के योग्य नहीं हैं।
नियमावली में तीसरे संशोधन के अनुसार, अब से होम गार्डों के लिये “नामांकित” (अंग्रेजी में ”एनरोल“) शब्द इस्तेमाल किया जायेगा और उनकी नौकरी के बारे में ”नियुक्त“ (अंग्रेजी में ”एपोइंट“) शब्द का इस्तेमाल नहीं किया जायेगा! इस तीसरे संशोधन से सरकार की मंशा स्पष्ट हो जाती है कि सरकार होम गार्डों को अधिकार बतौर नौकरी नहीं देना चाहती है। सरकार की मंशा 20 से 45 वर्ष के नौजवानों की ताक़त और ऊर्जा को कुछेक साल पुलिस सहायक बतौर इस्तेमाल करके, बाद में उन्हें दूध में गिरी मक्खी की तरह फैंक देने की है। उस समय उनके पास रोज़गार के कोई अवसर नहीं बचेंगे।
वर्तमान में कार्यरत होम गार्ड्स अपनी नौकरियां बचाने के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने दिल्ली सरकार के आला अधिकारियों, एल.जी., मुख्यमंत्री और यहां तक कि प्रधानमंत्री तक से फरियाद लगाई है। दिल्ली होम गार्ड विभाग ने वर्तमान में कार्यरत होम गार्डों के कार्यकाल को 6 माह बढ़ाने का निवेदन दिल्ली मुख्य सचिव को दिया है। पंरतु इनके रोज़गार को बचाने के लिए कोई ठोस क़दम नहीं उठाया गया है। एल.जी. का कार्यालय इन्हें मुख्यमंत्री के पास जाने को कहता है तो मुख्यमंत्री का कार्यालय बताता है कि होमगार्ड एल.जी. के तहत आते हैं। वर्तमान में दिल्ली के होम गार्डों ने हाई कोर्ट में एक याचिका भी दायर की है। इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख 27 मार्च, 2024 को दी गयी है। विवश होकर होम गार्ड दर-दर भटक रहे हैं।
2024 की नई भर्ती को फिलहाल रोक दिया गया है। कहा गया है कि इसकी मुख्य वजह दिल्ली पुलिस के पास भर्ती करने और ट्रेनिंग देने के लिए उचित संसाधनों की कमी है। दिल्ली पुलिस के उपायुक्त का कहना है कि उनके जवान किसान आन्दोलन और बस मार्शलों के आन्दोलनों में लगे हुए हैं और साथ ही उनके पास ट्रेनिंग देने के लिए मैदान नहीं है।
इन अनिश्चितता पूर्ण हालतों में होम गार्ड अपने भविष्य को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
होम गार्ड महानिदेशक ने 10 फरवरी, 2024 को क्या कहा था?
डीजी ने अपने व्यक्तव्य में कहा था कि “आप को अपनी रोज़ी-रोटी और अपना घर चलाने के लिये किसी का मुहताज नहीं होना चाहिये। ये मत सोचिये कि अब हमारी इतनी उम्र हो गयी और अब हम क्या करेंगे? नहीं, आप बहुत कुछ कर सकते हैं। बहुत कुछ करने के लिये दृढ़ संकल्प चाहिये। आपकी जो रुचि है, उसका अवलोकन करके, और उसके हिसाब से अपना हुनर प्राप्त करना है। जो आपको समय मिल रहा है, उसमें आप कोई दुकान खोल सकते हैं अगर आपके पास पूंजी है। नहीं है तो आप प्लंबर का काम सीख सकते हैं, इलैक्ट्रीशयन का काम सीख सकते हैं, कारपेंटर का काम सीख सकते हैं, पेंटर का काम सीख सकते हैं। इस तरह की बहुत सारी चीजें हैं। खाना बनाना सीख सकते हैं, अपना ठेला लगा सकते हैं, अपनी दुकान लगा सकते हैं। बहुत कुछ कर सकते हैं। नौकरी मिलेगी, नहीं मिलेगी – उसके लिये प्रयास तो करना है, मगर हुनर होने से नौकरी भी बहुत आसानी से मिल जायेगी। …” |