फ़िलिस्तीनी लोगों का क़त्लेआम फ़ौरन बंद होना चाहिए!

अमरीका और उसके यूरोपीय सहयोगियों के पूर्ण समर्थन के साथ इज़रायल द्वारा फ़िलिस्तीनी लोगों का किया जा रहा क़त्लेआम लगातार जारी है।

20240301_UK_Londonइज़रायली राज्य, फ़िलिस्तीनी लोगों के अस्तित्व को ही ख़त्म कर देने की धमकी दे रहा है, क्योंकि उसे पूरा भरोसा है कि उसके द्वारा मानवता के खि़लाफ़ किये जा रहे जघन्य अपराधों के लिए उसे कोई सज़ा नहीं मिलेगी।

लगभग 20 लाख की आबादी वाला गाज़ा क्षेत्र पूरी तरह मलबा बन चुका है। अस्पतालों, स्कूलों और शरणार्थी-शिविरों को भी नहीं बख़्शा गया है। पुस्तकालय, ऐतिहासिक स्मारक और इबादत के स्थल भी नष्ट कर दिए गए हैं। गाज़ा की लगभग पूरी आबादी शरणार्थी बन गई है। इनमें से 15 लाख शरणार्थी, मिस्र की सीमा पर रफ़ा नामक एक छोटे से शहर में फंसे हुए हैं। इज़रायली सेना, रफ़ा को भी बर्बाद करने की धमकी दे रही है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने इज़रायल को चेतावनी दी है कि रफ़ा पर हमला, गाज़ा पट्टी में मानवीय संकट में आखि़री तबाहकारी प्रहार होगा।

20240224_Germany_Mannheimइज़रायल द्वारा शुरू किए गए इस जनसंहारक युद्ध में अब तक 31,000 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। इनमें से अधिकांश महिलाएं और बच्चे थे। मरने वालों में कम से कम 13,000 बच्चे शामिल थे। लगभग एक लाख लोग घायल हुए हैं। हजारों लोगों के लापता होने की ख़बर है।

इज़रायली सैनिकों ने बेशर्मी से ऐसे वीडियो सांझा किए हैं जिनमें वे बड़े गर्व से दिखाते हैं कि वे कैसे निर्दाेष फ़िलिस्तीनी लोगों को गोली मार रहे हैं और उनका क़त्लेआम कर रहे हैं।

इज़रायल ने गाज़ा में रहने वाले फ़िलिस्तीनी लोगों को भूखों मरने के लिये जानबूझकर मजबूर किया है। इज़रायल ने वहां भोजन की आपूर्ति को रोक दिया है। गाज़ा में भोजन ले जाने वाले राहत ट्रकों की संख्या बहुत कम है, जो कि पूरी तरह से अपर्याप्त है। लोग टूटी इमारतों के मलबे के नीचे भोजन की तलाश कर रहे हैं। लोग जानवरों को खिलाये जाने वाला चारा खाने के लिए मजबूर हैं। भूख से मरने वाले बच्चों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है। यहां तक कि राहत कर्मियों को भी इज़रायली बमबारी और गोलीबारी का निशाना बनाया जा रहा है।

20240113_IRELAND_Freedom_and_Justice29 फरवरी को सुबह 430 बजे इज़रायली सेना ने उन सैकड़ों लोगों पर गोलियां चला दीं, जो पिछली रात से भोजन लाने वाले ट्रकों के आने का इंतजार कर रहे थे। जैसे ही लोग गोलियों से बचने के लिए भागे, तो इज़रायली टैंकों ने जानबूझकर ज़मीन पर गिरे-पड़े मृतकों और घायलों पर ट्रकों को चला दिया। इस क़त्लेआम में कम से कम 112 लोगों की बेरहमी से हत्या कर दी गई और 750 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए।

फ़िलिस्तीनियों को भूखा मारने की सुनियोजित नीति

UK_Edinburgh_Univवल्र्ड फ़ूड प्रोग्राम (डब्ल्यूएफपी) के उप-कार्यकारी निदेशक कार्ल स्काऊ ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को बताया कि गाज़ा में 5,00,000 से अधिक, या चार में से एक व्यक्ति अकाल से मरने के ख़तरे में है। दो साल से कम उम्र के हर छः बच्चों में से एक गंभीर रूप से कुपोषित है। स्काऊ द्वारा ये बातें बताए जाने के एक दिन बाद ही 29 फरवरी का क़त्लेआम हुआ।

गाज़ा के पास भोजन का अपना कोई स्रोत नहीं है। वह हमेशा बाहर से सप्लाई किये गए खाद्य पर निर्भर रहा है। इज़रायल ने 7 अक्तूबर, 2023 से पहले भी गाज़ा में खाद्य आपूर्ति को न्यूनतम स्तर पर रखने की नीति अपनाई थी ताकि लोग हमेशा भुखमरी की कगार पर बने रहें।

20240209_US_NJ_Teaneck-high_schoolers_protest7 अक्तूबर से पहले प्रतिदिन, भोजन के 500 ट्रक गाज़ा में आते थे। उसके बाद, तीन सप्ताह के लिए इज़रायल ने सभी खाद्य-ट्रकों का प्रवेश बंद कर दिया। जब अंतर्राष्ट्रीय तौर पर शोर मचाया गया और यह मांग की गयी कि इज़रायल गाज़ा में मानवीय सहायता की इजाज़त दे, तब इज़रायल ने गाज़ा में कुछ राहत ट्रकों को प्रवेश करने की अनुमति दी। यह संख्या प्रतिदिन 90 ट्रक से भी कम है।

स्काऊ ने कहा, “गाज़ा में पर्याप्त मात्रा में आवश्यक खाद्य सप्लाई लाने में असमर्थता और वहां, हमारे कर्मचारियों द्वारा सामना की जाने वाली लगभग असंभव हालतों के कारण अकाल का ख़तरा बढ़ रहा है।”

यूएनआरडब्ल्यूए को निशाना बनाना जनसंहार की योजना का एक हिस्सा है

20240107_Denmark_Copenhagenफ़िलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र राहत और कार्य एजेंसी (यूएनआरडब्ल्यूए) एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय एजेंसी है, जो इज़रायल के क़ब्जे़ वाले फ़िलिस्तीनी क्षेत्रों और पड़ोसी देशों में रहने वाले फ़िलिस्तीनी शरणार्थियों के बीच काम कर रही है। 5,00,000 बच्चों और छात्रों को शिक्षा प्रदान करने वाले 702 स्कूलों को चलाने की ज़िम्मेदारी यूएनआरडब्ल्यूए पर है। यह मेडिकल क्लीनिक भी चलाती है। मई 1948 में इज़रायली राज्य द्वारा 75 लाख फ़िलिस्तीनियों को जब उनकी अपनी मातृभूमि से शरणार्थियो के रूप में, जबरदस्ती बाहर निकला गया था, जिसे फ़िलिस्तीनी नक़्बा कहते हैं, उसके बाद से, यूएनआरडब्ल्यूए अपना काम करता रहा है।

यूएनआरडब्ल्यूए का घोषित मिशन विस्थापित फ़िलिस्तीनियों की तब तक मदद करना है जब तक वे अपने घरों में वापस नहीं लौट जाते। फ़िलिस्तीनियों की कई पीढ़ियों को अपने घर वापस लौटने के इस अधिकार से इज़रायल ने वंचित कर रखा है, भले ही 1948 के बाद से संयुक्त राष्ट्र संघ के कई प्रस्तावों द्वारा इसकी बार-बार पुष्टि की गई है।

Toronto-Rallyइज़रायल अमरीका के समर्थन के बलबूते पर यूएनआरडब्ल्यूए के जनादेश को समाप्त करना चाहता है। इस उद्देश्य को पूरा करने के लिये उसने यूएनआरडब्ल्यूए के खि़लाफ़ झूठे आरोप लगाए हैं। इज़रायल ने आरोप लगाया है कि यूएनआरडब्ल्यूए के कुछ कार्यकर्ताओं ने 7 अक्तूबर को दक्षिणी इज़रायल पर हमले में भाग लिया था। इससे संकेत लेते हुए, इसके तुरंत बाद, अमरीका और उसके नौ सहयोगियों ने जर्मनी, यूनाइटेड किंगडम, कनाडा, स्पेन और स्विट्जरलैंड ने यूएनआरडब्ल्यूए को होने वाली फंडिंग को तुरंत बंद करने का ऐलान कर दिया। ये देश यूएनआरडब्ल्यूए के मुख्य धनदाताओं में से थे। एक महीने से अधिक समय के बाद, इज़रायल ने अभी भी अपने आरोप को साबित करने के लिए कोई सबूत पेश नहीं किया है। फंड की कमी के कारण यूएनआरडब्ल्यूए का काम रुक रहा है, क्योंकि बेल्जियम, नॉर्वे, आयरलैंड और सऊदी अरब सहित केवल कुछ मुट्ठीभर देशों ने फंडिंग जारी रखने का वादा किया है।

इस तरह से यूएनआरडब्ल्यूए का गला घोंटना, फ़िलिस्तीनी राष्ट्र के खि़लाफ़ इज़रायल की जनसंहारक योजना का ही हिस्सा है। यूएनआरडब्ल्यूए न केवल फ़िलिस्तीनी बच्चों के ज़िन्दा रहने का एकमात्र उपाय है, बल्कि यह उन दसों-हजारों फ़िलिस्तीनियों के लिए रोज़ी-रोटी का स्रोत भी रहा है जो इसके लिए काम करते हैं।

दुनियाभर के लोग और देश इज़रायल और उसके साम्राज्यवादी समर्थकों की निंदा कर रहे हैं

20230303_UK_Scotlandफ़िलिस्तीनी लोगों के क़त्लेआम को ख़त्म करने की मांग को लेकर दुनियाभर में लोग सड़कों पर उतर आए हैं।

लोग न केवल, फ़िलिस्तीनी राष्ट्र को पूरी तरह से ख़त्म करने की इज़रायल की साज़िश और युद्ध की निंदा कर रहे हैं, बल्कि तत्काल और बिना शर्त युद्धविराम की भी मांग कर रहे हैं। वे मांग कर रहे हैं कि अमरीका और अन्य देश इज़रायल को हथियार देना बंद करें। वे इज़रायल पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहे हैं।

दक्षिण अफ्रीका ने अंतर्राष्ट्रीय न्याय अदालत (इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस – आईसीजे) में यह आरोप लगाया है कि इज़रायल फ़िलिस्तीनी लोगों के खि़लाफ़ जनसंहार कर रहा है। दक्षिण अफ्रीका द्वारा दायर किया गया मामला इतना मजबूत था कि अमरीका और उसके साम्राज्यवादी सहयोगियों द्वारा इज़रायल का खुलेआम बचाव करने के बावजूद, आईसीजे ने जनवरी के अंत में फै़सला सुनाया कि इज़रायल गाज़ा में “संभवतः” जनसंहार कर रहा है। अदालत ने इज़रायल से ऐसी गतिविधियों को रोकने को कहा है। परन्तु, इज़रायल ने अपना जनसंहारक युद्ध जारी रखा है क्योंकि उसे अमरीका और उसके यूरोपीय सहयोगियों का पूरा समर्थन प्राप्त है।

NetherlandsTheHague-ICJhearings1 मार्च को आईसीजे ने घोषणा की कि निकारागुआ ने जर्मनी पर, इज़रायल को हथियार और धन देने तथा फ़िलिस्तीन में यूएनआरडब्ल्यूए को दी जाने वाली सहायता को रोकने के लिए, मुकदमा दायर किया है। निकारागुआ ने आईसीजे से जर्मनी को इज़रायल को सैन्य सहायता रोकने और यूएनआरडब्ल्यूए को फिर से फंडिंग शुरू करने को मजबूर करने के लिए, आपातकालीन उपायों का आदेश देने को कहा है।

निकारागुआ ने अपने मुकदमे में, 1948 के जनसंहार कन्वेंशन और इज़रायल द्वारा क़ब्ज़ा किये गए फ़िलिस्तीनी क्षेत्रों के संबंध में युद्ध के क़ानूनों पर आयोजित 1949 के जिनेवा कन्वेंशन का हवाला देते हुए कहा, “सैन्य उपकरण भेजकर और अब नागरिक-आबादी को आवश्यक सहायता प्रदान करने वाले यूएनआरडब्ल्यूए को फंड न देकर, जर्मनी, इज़रायल द्वारा किये जा रहे जनसंहार को मदद दे रहा है।” जर्मनी इज़रायल का एक प्रमुख सहयोगी है और संयुक्त राज्य अमरीका सहित वह भी इज़रायल के सबसे बड़े हथियार आपूर्तिकर्ताओं में से एक है। इज़रायल के सैन्य आयात का 28 प्रतिशत जर्मनी प्रदान करता है।

20240127_Austria_Viennaअमरीका इज़रायली सशस्त्र बलों का सबसे बड़ा धन दाता है, जो इज़रायल को सालाना 3 अरब डॉलर की सहायता प्रदान करता है। गाज़ा में इज़रायल के जनसंहारक युद्ध का समर्थन करने के लिए, अमरीका 14 बिलियन डॉलर की अतिरिक्त सहायता करने की योजना पर चर्चा कर रहा है। 2013-2022 के दौरान इज़रायल के हथियारों का लगभग 68 प्रतिशत आयात अमरीका से हुआ है। यूनाइटेड किंगडम, कनाडा, फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया सहित कई अन्य देश भी इज़रायल को सैन्य सहायता प्रदान करते हैं।

1 मार्च को इज़रायल को हथियार मुहैया कराने वाले 13 देशों के 200 से अधिक सांसदों ने अपनी सरकारों से इज़रायल को हथियार बेचना बंद करने की मांग की। उन्होंने कहा, “हमारे बमों और गोलियों का इस्तेमाल फ़िलिस्तीनियों को मारने, अपंग करने और उन्हें बेघर करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए।”

20240302_US_Washington_DC_Outside_Israeli_Embassy विधायकों ने घोषणा की कि: “हम अपने देशों को इज़रायल को हथियार देने से रोकने के लिए अपने संबंधित सदनों में तत्काल और समन्वित कार्रवाई करेंगे।” ये विधायक मुख्य रूप से फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, स्पेन, तुर्की और ब्राज़ील के हैं। जर्मनी, पुर्तगाल, अमरीका, आयरलैंड, नीदरलैंड, कनाडा, बेल्जियम और यूके के विधायक भी इस मांग को पेश करने वाले घोषणा पत्र पर हस्ताक्षरकर्ता हैं।

लोगों के दबाव में आकर, कुछ देशों ने इज़रायल को हथियार देना बंद कर दिया है। नीदरलैंड, बेल्जियम, स्पेन और जापान ने इज़रायल के साथ सैन्य-सहयोग बंद कर दिया है। कोलंबिया ने घोषणा की है कि उसने इज़रायल से हथियार ख़रीदना बंद कर दिया है।

इज़रायल की राजधानी तेल अवीव में लोग बड़ी बहादुरी के साथ सड़कों पर उतर आये हैं। वे उग्रराष्ट्रवादी युद्ध उन्माद का सामना करते हुए, फ़िलिस्तीनी लोगों के जारी जनसंहार के लिए अपनी सरकार की निंदा कर रहे हैं। उन्होंने फ़िलिस्तीनी लोगों के विरुद्ध अपनी सरकार के युद्ध की तुलना, यहूदी लोगों के विरुद्ध नाज़ी जर्मनी के युद्ध से की है।

दुनियाभर के लोग फ़िलिस्तीनी लोगों के खि़लाफ़ चल रहा जनसंहाकरक युद्ध को तत्काल समाप्त करने की एक आवाज़ में मांग कर रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र के अधिकांश सदस्य देश भी इसकी मांग कर रहे हैं। गुटनिरपेक्ष आंदोलन, इस्लामिक सहयोग संगठन और अरब लीग ने सर्वसम्मति से युद्धविराम की मांग की है।

अमरीका और उसके निकटतम सहयोगियों – जर्मनी, ब्रिटेन, फ्रांस आदि ने इज़रायल का भरपूर समर्थन किया है और फ़िलिस्तीनी लोगों के क़त्लेआम को रोकने के लिए, संयुक्त राष्ट्र संघ के अन्य सदस्य देशों के हर प्रयास को रोका है। अमरीका ने अपने सहयोगियों को उन सभी असूलों का हनन करने में अगुवाई दी है, जिन पर संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना की गई थी। मानवाधिकारों और “नियम आधारित विश्व व्यवस्था” की बात करने वाली इन साम्राज्यवादी शक्तियों के सम्पूर्ण पाखंड का पूरी दुनिया के लोगों और देशों के सामने पर्दाफ़ाश हो गया है।

फ़िलिस्तीनी लोगों ने 75 वर्षों से अधिक के अपने बहादुर और अदम्य संघर्ष से दिखाया है कि उन्हें कुचला नहीं जा सकता। दुनिया के लोगों ने पिछले पांच महीनों में दिखाया है कि वे फ़िलिस्तीनी लोगों के इंसाफ हासिल करने के संघर्ष में, उनके साथ खड़े हैं।

हिन्दोस्तान के लोग, दुनिया के लोगों के साथ, एक आवाज़ में यह मांग करते हैं कि इज़रायल फ़िलिस्तीनी लोगों के खि़लाफ़ जनसंहारक युद्ध को फ़ौरन रोक दे।

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