आज जब, उत्तरी अफ्रीका और पश्चिमी एशिया के लोगों की बगावत ने मेहनतकश लोगों के दिलों को छू लिया है और साम्राज्यवादी व्यवस्था के संकट को अधिक गहरा बनाया है, और जब लिबिया में गृहयुध्द से पैदा हुये मौकों का फायदा उठा कर साम्राज्यवाद इस इलाके में सम्भलने की कोशिश कर रहा है, अमरीका के मज़दूर अपने अधिकारों पर हो रहे हमलों के विरोध में बहादुरी से लड़ रहे हैं। अपने संघर्ष से वे अमली तौर पर अमरीका के प्र
आज जब, उत्तरी अफ्रीका और पश्चिमी एशिया के लोगों की बगावत ने मेहनतकश लोगों के दिलों को छू लिया है और साम्राज्यवादी व्यवस्था के संकट को अधिक गहरा बनाया है, और जब लिबिया में गृहयुध्द से पैदा हुये मौकों का फायदा उठा कर साम्राज्यवाद इस इलाके में सम्भलने की कोशिश कर रहा है, अमरीका के मज़दूर अपने अधिकारों पर हो रहे हमलों के विरोध में बहादुरी से लड़ रहे हैं। अपने संघर्ष से वे अमली तौर पर अमरीका के प्रचार का पर्दाफाश कर रहे हैं कि बहुपार्टीवादी लोकतंत्र ही लोकतंत्र का अंतिम रूप है। वे दिखा रहे हैं कि बहुपार्टीवादी लोकतंत्र असलियत में पूंजीवादी लोकतंत्र है, और जरूरत है इसे हटा कर श्रमजीवी लोकतंत्र लाने की।
अमरीका के विस्कांसिन प्रांत में दसियों हजारों मज़दूरों ने कानून की अवहेलना करते हुये सरकारी दफ्तरों में डेरा डाला हुआ है। वे राज्यपाल द्वारा ऐसे कानून बनाने का विरोध कर रहे हैं जिससे सार्वजनिक क्षेत्र के मज़दूरों को अपने अधिकारों से वंचित किया जायेगा। ब्रिटेन के विद्यार्थियों के और मिस्र के लोगों के उदाहरण को देख कर, एक अभूतपूर्व ढंग से, सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के इन मज़दूरों ने शांतिपूर्वक तरीके से जन लोकतंत्र की घोषणा करके सरकारी दफ्तरों में डेरा डाला है।
विस्कांसिन का राज्यपाल, वॉकर मज़दूरों के अधिकारों पर निर्दयता से हमला करने के लिये कानून बदलने की कोशिश कर रहा है। पूंजीपति नये प्रबंध स्थापित करना चाहते हैं जिससे इजारेदार पूंजीपतियों की बेरोकटोक मनमानी चल सके और सार्वजनिक कोष को लूटने व मज़दूरों के और ज्यादा शोषण करने के उनके अधिकार बरकरार रहें। नये कानून ने सामूहिक सौदाकारी को निशाना बनाया है जिसमें नौकरी की शर्तें और पेन्शन भी शामिल हैं। जन अधिकारों के खिलाफ, इजारेदार पूंजीपतियों की मनमानी के अधिकार की रक्षा करने की यह एक कोशिश है।
विस्कांसिन की राजधानी में सरकारी इमारतों में डेरा डालने का जारी रहना यह दिखाता है कि मज़दूरों और नौजवानों ने बगावत करने की ठान ली है।
इस परिस्थिति में, देशभर में हो रहे मज़दूर विरोधी, समाज विरोधी हमलों के खिलाफ अमरीका के 50 प्रांतों में प्रदर्शन हुये हैं। सरकारी और निजी क्षेत्र के मज़दूर, शिक्षक, स्टील के मज़दूर, आग्निशामक व लारी चालक, अस्पताल मज़दूर व ऑटो मज़दूर, सभी क्षेत्रों के मज़दूरों ने कह दिया है, बस! काफी हो गया। अमरीका के पूरे पचासों प्रांतों की राजधानी शहरों और दर्जनों दूसरे शहरों में विरोध प्रदर्शन हुये हैं। विस्कांसिन का संघर्ष हमारा संघर्ष है! सब के लिये एक और एक के लिये सब! ऐसे नारों से सभी प्रदर्शनों की एकता दिखती है। उन्होंने राज्य के इस दावे, कि सार्वजनिक मज़दूर समाज पर बोझ हैं, को नकारा। इसकी जगह, मज़दूरों और आम लोगों ने समाज में अपने योगदान का बचाव किया। लोगों ने घोषणा की है कि सार्वजनिक क्षेत्र के मज़दूरों पर हमलों, उनके संगठित होने के अधिकार और अपने काम की सुविधाओं के बचाव पर हमलों का मतलब है, पूरे समाज पर हमला। शिक्षकों की काम के हालात विद्यार्थियों के सीखने के हालात होते हैं। अस्पतालों के मज़दूरों की परिस्थिति से मरीजों की परिस्थिति पर सीधा असर होता है।
अमरीका के संघर्षरत मज़दूरों की सोच है कि समस्या सिर्फ हमलों को रोकना ही नहीं है, बल्कि मज़दूरों द्वारा निर्मित लोकतंत्र के लिये संघर्ष करना है। एक ऐसा लोकतंत्र जिसमें लोग शासन करें और फैसले लें। अमरीका के मज़दूर इस नतीजे पर पहुंच रहे हैं कि अमीरों का राज लोकतंत्र नहीं है।