आंध्र प्रदेश राज्य की सरकार ने 6 जनवरी, 2024 को संघर्ष कर रही आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के ख़िलाफ़ आवश्यक सेवा और रखरखाव अधिनियम, 1971 एस्मा को लागू करने के आदेश जारी कर दिये। इस आदेश के अनुसार, कर्मचारियों पर छः महीने तक, हड़ताल पर जाने पर भी रोक लगा दी गई है। इस मनमाने क़दम से आंगनवाड़ी कार्यकर्ता बहुत नाराज़ हुईं और उन्होंने एकजुट होकर पिछले 26 दिनों से चल रहे अपने आंदोलन को और भी तेज़ करने का फ़ैसला किया।
एपी आंगनवाड़ी वर्कर्स एंड हेल्पर्स एसोसिएशन के एक प्रतिनिधि ने बताया कि “हमने विजयवाड़ा के धरना चौक पर, जी.ओ. नंबर 2, की प्रतियां जला दी हैं। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाएं अपना आंदोलन और भी तेज़ करेंगी”। इस आदेश को पारित करने के लिए, सरकार की निंदा करते हुए, संघर्ष कर रही कार्यकर्ताओं ने कहा कि यदि सरकार वास्तव में बच्चों, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के कल्याण की परवाह करती है, तो उसे यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जो आंगनवाड़ी कार्यकर्ता इन बच्चों और महिलाओं की ज़रूरतों को पूरा कर रही हैं, उनकी न्यायोचित काम करने की शर्तों को मंजूरी मिले।
इसके विपरीत, सरकार ने उनकी बुनियादी मांगों – 26,000 रुपये वेतन, ग्रेच्युटी, सवैतनिक चिकित्सा-अवकाश, मिनी-कर्मियों को मुख्य कर्मी के रूप में मान्यता, सेवानिवृत्ति लाभ और पेंशन, की अनदेखी कर रही है। इस वक्त उन्हें केवल 11,500 रुपये का मानदेय दिया जाता है। सरकार उन्हें मज़दूर नहीं मानती, सिवाय इसके कि जब एस्मा लगाने की बात आती है!
महाराष्ट्र में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की हड़ताल
19 जनवरी को महाराष्ट्र की आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने अपनी हड़ताल के 46 दिन पूरे किए। उनकी बुनियादी मांगें हैं – वेतन में वृद्धि हो ताकि वे एक सम्मानजनक जीवन जी सकें (प्रत्येक कर्मचारी के वेतन को 10,000 रुपये से बढ़ाकर 26,000 रुपये हो और प्रत्येक सहायक का 5,500 से बढ़ाकर 18,000 रुपये), ग्रेच्युटी और पेंशन जैसी सुविधाओं के मामलें में उन्हें अन्य सरकारी कर्मचारियों के बराबर माना जाए और खाद्य व पौष्टिक भोजन के साथ-साथ उनकी देखभाल के लिए सौंपे गए बच्चों के लिए एक स्वच्छ और सुरक्षित स्थान सुनिश्चित किया जाये। वे समय पर वेतन-भुगतान और नए मोबाइल फोन की भी मांग कर रहे हैं, क्योंकि उनका काम मोबाइल फोन और विभिन्न फोन-आधारित ऐप्स के उपयोग पर निर्भर करता है।
1 जनवरी को पूरे महाराष्ट्र से हजारों महिला आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने अपने साथी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के साथ संघर्ष में शामिल होने के लिए राज्य की राजधानी मुंबई तक अपना लंबा मार्च शुरू किया, जो 4 दिसंबर, 2023 से आजाद मैदान में विरोध प्रदर्शन कर रहे थे।
हड़ताली कर्मचारियों ने राज्य के कई जिलों से अपने साथ केवल दो दिन का भोजन और रात को बिछाने के लिए चादर लेकर, बस द्वारा सैकड़ों किलोमीटर की यात्रा की।
रिपोर्ट बताती है कि दिसंबर 2023 तक महाराष्ट्र में 1,10,465 आंगनवाड़ी केंद्र और 1,08,507 आंगनवाड़ी कार्यकर्ता हैं। प्रत्येक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता लगभग 60 बच्चों और 7 गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाओं की देखभाल करती हैं। उन्हें आंगनवाड़ी केंद्र चलाने के लिए प्रावधानों की नियमित और पर्याप्त सप्लाई भी नहीं की जाती है और उन्हें दाल और अनाज के लिए घर-घर जाकर भीख मांगने के लिए मजबूर किया जाता है!
12 जनवरी को, मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता (आशा) कार्यकर्ता भी संशोधित वेतन, समय पर वेतन का भुगतान और बोनस की अपनी मांगो को लेकर हड़ताल में शामिल हुईं।
पिछले एक दशक से भी अधिक समय में, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, यूपी, ओडिशा, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश सहित कई राज्यों में सैकड़ों आंगनवाड़ी और आशा कार्यकर्ता सड़कों पर उतर रही हैं। उनकी मांगें लगातार हर जगह वही हैं – कि उन्हें सरकारी कर्मचारियों के रूप में मान्यता दी जाए, कम से कम न्यूनतम वैधानिक वेतन दिया जाए, काम के निश्चित घंटे निर्धारित किए जाएं, कोविड के दौरान काम करने के लिए उनसे किए गए वादे के मुताबिक मुआवजे का शीघ्र भुगतान और सेवानिवृत्ति-लाभ दिए जाएं। हक़ीक़त तो यह है कि न तो केंद्र सरकार और न ही किसी राज्य सरकार ने इन मांगों को पूरा किया है। इसके विपरीत, हड़ताली कर्मचारियों को लाठियों, पुलिस दमन और एस्मा के तहत दंडात्मक कार्रवाई की धमकियों का सामना करना पड़ा है।
आंगनवाड़ी और आशा कार्यकर्ता, महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य और कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए कुछ सबसे महत्वपूर्ण जिम़्मेदारियों को निभाती हैं। वे सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं और लोगों के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में अपनी ज़िम्मेदारी निभाती हैं। इन मज़दूरों के प्रति उनकी क्रूर उदासीनता और उनके न्यायोचित संघर्ष को कुचलने के लिए एस्मा का इस्तेमाल करने के लिए, केंद्र और राज्य सरकारें निंदा की पात्र हैं।