मज़दूर एकता कमेटी के संवाददाता की रिपोर्ट
उत्तराखंड के उत्तरकाशी के सिल्क्यारा में निर्माणाधीन सुरंग रविवार, 12 नवंबर को ढह गई, जिससे 40 मज़दूर सुरंग के अंदर फंस गए। सुरंग को बनाने का काम नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड नामक एक निजी कंपनी द्वारा किया जा रहा था।
दुर्घटना होने के बाद चैथे दिन, 15 नवंबर को, सुरंग के अंदर फंसे मज़दूरों के साथियों ने सुरंग के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने सुरंग में फंसे 40 मज़दूरों को बाहर निकालने के लिए पर्याप्त कदम न उठाए जाने के विरोध में सरकारी अधिकारियों के ख़िलाफ़ नारे लगाए।
रिपोर्टों के अनुसार एक मज़दूर ने कहा है कि, “वे नई मशीनें लाने के बहाने कुछ भी ठोस कदम नहीं उठा रहे हैं। अधिकारी हमें अंदर जाने और फंसे हुए मज़दूरों से बात करने की अनुमति नहीं दे रहे हैं। वे सही जानकारी हमसे छिपा रहे हैं।” (हिन्दुस्तान टाइम्स, 16 नवंबर, 2023)।
जैसे ही प्रदर्शनकारियों ने अधिकारियों के ख़िलाफ़ नारे लगाए, पुलिस और राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड के अधिकारियों ने उन्हें चुप कराने की कोशिश की। उन्हें यह स्वीकार करना पड़ा कि जिस मशीन का इस्तेमाल मलबे को खोदने के लिए किया गया था वह दुरुस्त नहीं थी और अब दिल्ली से एक नई मशीन लाई गई है।
यह घटना एक बार फिर दिखाती है कि हमारे देश में मज़दूरों से कितनी ख़तरनाक परिस्थितियों में काम कराया जाता है। यह दिखाती है कि पर्याप्त सुरक्षा उपाय नहीं किये जाते हैं। यह शासक पूंजीपति वर्ग और उसकी सेवा में लगे अधिकारियों के रूखे रवैये को दर्शाती है, जो मज़दूरों को इंसान नहीं समझते बल्कि उन्हें शोषण की जाने वाली एक वस्तु मात्र मानते हैं, जिसके जरिये अधिकतम पूंजीवादी मुनाफ़ा बनाया जाता है।