![]() उनका जन्म 21 अक्तूबर, 1941 को नरहपुर गांव, अलीगढ़, यूपी में हुआ था। स्नातक स्तर की पढ़ाई के बाद, वे 1963 में भारतीय रेल में शामिल हो गए। वे एक स्टेशन मास्टर बन गए और ऑल इंडिया स्टेशन मास्टर्स एसोसिएशन (ए.आई.एस.एम.ए.) में शामिल हो गए। उन्होंने 1974 की रेलवे की ऐतिहासिक हड़ताल में सक्रिय रूप से भाग लिया था। रेल प्रशासन ने हड़ताली मज़दूरों पर क्रूरतापूर्वक कार्रवाई की और पूरे देश में हजारों रेलवे कर्मचारी कार्यकर्ताओं को सेवा से बखऱ्ास्त कर दिया था। कामरेड एस.के. कुलश्रेष्ठ उन सक्रिय नेताओं में से एक थे और उन्हें भी सेवा से बखऱ्ास्त कर दिया गया था। परन्तु बाद में कॉमरेड कुलश्रेष्ठ सहित कई लोगों को बहाल कर दिया गया था। कॉमरेड कुलश्रेष्ठ ए.आई.एस.एम.ए. के केंद्रीय आयोजन सचिव (सी.ओ.एस.) बने और रेलवे कर्मचारियों के केटेगरी-वार संगठनों की छत्र संस्था, अखिल भारतीय रेलवे कर्मचारी परिसंघ (ए.आई.आर.ई.सी.) के केंद्रीय पदाधिकारी (सी.ओ.बी.) भी थे। वे एक कम्युनिस्ट और रेलवे कर्मचारियों के अग्रणी संगठनकर्ता थे। 2001 में रेलवे से सेवानिवृत्त होने के बाद उन्होंने मज़दूरों के अधिकारों की रक्षा के लिए लड़ना जारी रखा और वे भारतीय रेल के कठोर डी. एंड ए. आर. (अनुशासन और अपील नियम) के तहत पीड़ित 1,000 से अधिक मज़दूरों के मामले लड़े। वे इन नियमों के क़ानूनी विशेषज्ञ के रूप में जाने जाते थे और उन्होंने इन नियमों के तहत दंडित किये गये और यहां तक कि सेवा से हटाये गये कर्मियों का सफलतापूर्वक बचाव किया और उन्हें बहाल करवाया। अपने बाद के वर्षों में वे हमारी पार्टी के क़रीब आए और उन्होंने रेलवे के कर्मचारियों की कई बैठकें आयोजित कीं, जिन्हें हमारी पार्टी के साथियों ने संबोधित किया। वे अपनी आखि़री सांस तक मज़दूर वर्ग के हित के लिए सेनानी बने रहे थे और हम उनकी याद में अपना लाल झंडा झुकाते हैं। कॉमरेड एस.के. कुलश्रेष्ठ अमर रहें! |