अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर

आओ महिलाओं के संपूर्ण उध्दार के लिए संघर्ष करें!

6 मार्च, 2011 को पुरोगामी महिला संगठन की अगुवाई में, दक्षिणी दिल्ली के कालकाजी में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस बड़े जोश के साथ मनाया गया। इस अवसर पर, पुरोगामी महिला संगठन की कार्यकर्ताओं के साथ-साथ स्कूली एवम कालेज की छात्राओं, कामकाजी नौजवान लड़कियों, स्थानीय जन समितियों के कार्यकर्ताओं और अलग-अलग बस्तियों से आयी महिलाओं ने उत्साह से

आओ महिलाओं के संपूर्ण उध्दार के लिए संघर्ष करें!

6 मार्च, 2011 को पुरोगामी महिला संगठन की अगुवाई में, दक्षिणी दिल्ली के कालकाजी में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस बड़े जोश के साथ मनाया गया। इस अवसर पर, पुरोगामी महिला संगठन की कार्यकर्ताओं के साथ-साथ स्कूली एवम कालेज की छात्राओं, कामकाजी नौजवान लड़कियों, स्थानीय जन समितियों के कार्यकर्ताओं और अलग-अलग बस्तियों से आयी महिलाओं ने उत्साह से भाग लिया।

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस को मनाने की तैयारी के लिए अलग-अलग बस्तियों में आर्थिक सहयोग जुटाने, सांस्कृतिक तैयारी करने और लोगों को आमंत्रित करने के लिए पुरोगामी महिला संगठन की नौजवन कार्यकर्ताओं की मेहनत इस गोष्ठी में दिखाई दी।

सभा की शुरूआत जोशपूर्ण नारों – 'शासन सत्ता अपने हाथ, जुल्म अन्याय करें समाप्त!', 'अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस जिंदाबाद!', 'महिला मुक्ति जिंदाबाद!', 'हम हैं इसके मालिक, हम हैं हिन्दोस्तान, मजदूर, किसान, औरत और जवान!' आदि के साथ हुई। इसके बाद लाल झंडों को हाथ में उठाये नौजवान लड़कियों ने क्रांतिकारी गीत पर नृत्य नाटिका प्रस्तुत की।

कार्यक्रम का संचालन पुरोगामी महिला संगठन की नौजवान साथियों ने किया। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस और उसके महत्व पर कई वक्ताओं ने प्रकाश डाला।

हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी की दिल्ली सचिव ने उपस्थित महिलाओं और पुरुषों को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर शुभकामनाएं देते हुये कहा कि आज देश और दुनिया की पूंजीवादी व्यवस्था घोर संकट में है। देश में उत्पादन और सेवा क्षेत्र से जुड़ी मेहनतकश महिलाएं, खुद व पूरे मजदूर वर्ग की रोजी-रोटी और अधिकारों के छीने जाने का व्यापक विरोध कर रही हैं। वे समाज में गैर-बराबरी, राज्य द्वारा उत्पीड़न और सामाजिक उत्पीड़न, इन सब के खिलाफ़ लड़ रही हैं। दुनिया के दूसरे देशों – इंग्लैंड, फ्रांस, इटली, जर्मनी, यूनान और अन्य यूरोपीय देशों, उत्तरी अफ्रीका और पश्चिमी एशिया के देशों और अन्य देशों में महिलाएं तानाशाह सत्ताओं की हथियारबंद ताकत का सामना करने के लिये बहादुरी से सड़कों पर निकल आयी हैं।

उन्होंने कहा कि देश की राजनीतिक पार्टियां संसद और विधान सभाओं में महिलाओं के लिये सीटों के आरक्षण की मांग को मुख्य मांग बतौर महिला आंदोलन पर थोपना चाहती हैं। यह कहा जा रहा है कि इससे महिलाओं के साथ भेदभाव कम हो जायेगा और महिलायें सशक्त हो जायेंगी। संघर्षरत महिलाओं को इस पर गौर करना चाहिए और अपने देश व दूसरे देशों के अनुभवों के आधार पर अपना निष्कर्ष निकालना होगा। हमें यह समझना होगा कि बहुपार्टीवादी प्रतिनिधित्व के लोकतंत्र की व्यवस्था जो हमारे देश व अन्य देशों में चल रही है, यह व्यवस्था मेहनतकश जनसमुदाय और महिलाओं को भी राजनीतिक सत्ता से दूर रखती है। इस व्यवस्था में यह सुनिश्चित किया जाता है कि टाटा, बिरला, अंबानी, आदि का राज्य पर नियंत्रण बना रहे, कि राज्य उन्हीं की सेवा करता रहे। सरकार, शासक पार्टी और संसदीय विपक्ष की पार्टियां, बड़े अफसर, सांसद, मीडिया के ऊंचे पहुंचे व्यक्ति, ये सभी मिल-जुलकर बड़ी-बड़ी इजारेदार कंपनियों की सेवा में काम करते हैं।

अंत में उन्होंने कहा कि हमें एक नई राजनीतिक व्यवस्था और प्रक्रिया तथा नये संस्थानों को स्थापित करने की आवश्यकता है, जिनके द्वारा यह सुनिश्चित होगा कि राजनीतिक सत्ता उनके हाथ में हो जिन्हें अब तक सत्ता से बाहर रखा गया है, जिनमें मेहनतकश महिलायें भी शामिल हैं। महिलायें अच्छी तरह समझती हैं कि इस हालत को बदलने के लिये यह जरूरी है कि राजनीतिक सत्ता महिलाओं समेत, मेहनतकशों के हाथों में हो।

पुरोगामी महिला संगठन की तरफ से बात रखते हुए रेणू ने कहा कि आज की पूंजीवादी राजनीतिक व्यवस्था, जो पूंजीपतियों के हित से परे नहीं जा सकती है, इस व्यवस्था में महिलाओं के उच्च पदों पर आ जाने से महिलाओं का उध्दार नहीं हो जायेगा। उदाहरण के लिए, देश की राष्ट्रपति महिला है। दिल्ली और उत्तर प्रदेश में महिला मुख्यमंत्री हैं। संसद की स्पीकर और विपक्ष की नेता महिला हैं। कई मंत्री महिलाएं हैं। इससे क्या देश और प्रदेशों में महिलाओं का हर तरफ से होने वाला उत्पीड़न और शोषण कम हो गया है? नहीं! जब तक इस भ्रष्ट और परजीवी पूंजीपति वर्ग का शासन बरकरार रहेगा, तब तक महिलाओं की समस्यायें भी बनी रहेंगी। महिलाओं को यह सुनिश्चित करने के लिये संघर्ष पर डटे रहना होगा, कि मजदूर और किसान इस देश के मालिक बनें।

प्रोफेसर कमला शंकरन ने उपस्थित महिलाओं को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की शुभकामनाएं दी और कहा कि यह दिन हमारे देश और दुनिया की महिलाओं के लिए, जुल्म, अन्याय और शोषण के खिलाफ़ निरंतर संघर्ष करने का प्रेरणा स्रोत है।

पुरोगामी महिला संगठन की नौजवान साथियों ने अपनी बातों में कहा कि हम समाज में लड़की या महिला होने के नाते, जिस शोषण और उत्पीड़न का सामना करते हैं, उसके लिये जिम्मेदार हमारे देश की राजनीतिक और आर्थिक व्यवस्था है। यही वह पूंजीवादी व्यवस्था है, जो दकियानूसी पिछड़ी परंपराओं, रीति-रिवाजों, शोषण और लूट को जारी रखता है।

इस अवसर पर हिन्द नौजवान एकता सभा के कार्यकर्ताओं ने सभा को संबोधित किया।

आमंत्रित लोगों के भाषणों के अलावा नौजवान लड़कियों ने लोक नृत्य और अन्य सामूहिक सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किये। गोष्ठी का समापन महिला और पुरुष साथियों के द्वारा क्रांतिकारी गीत के साथ हुआ।

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