राजस्थान सरकार ने 24 जुलाई, 2023 को राजस्थान प्लेटफॉर्म आधारित गिग मज़दूर (पंजीकरण और कल्याण) अधिनियम, 2023 को पारित किया।
यह अधिनियम, मज़दूर-किसान शक्ति संगठन (एम.के.एस.एस.) जैसे संगठनों, आई.एफ.ए.टी. (इंडियन फेडरेशन ऑफ ऐप बेस्ड ट्रांसपोर्ट वर्कर्स) जैसे मज़दूर यूनियनों और कई अन्य मज़दूर संगठनों के लंबे और कठिन संघर्ष और प्रयासों का परिणाम है।
अधिनियम में कई वादे किये गये हैं जैसे कि (1) एक कल्याण बोर्ड का गठन करना और प्लेटफॉर्म-आधारित गिग मज़दूरों के लिए एक कल्याण कोष स्थापित करना; (2) राज्य में प्लेटफॉर्म आधारित गिग मज़दूरों, एग्रीगेटर्स और प्रमुख मालिकों को पंजीकृत करना; (3) प्लेटफॉर्म आधारित गिग मज़दूरों को सामाजिक सुरक्षा की गारंटी की सुविधा प्रदान करना और (4) कल्याण बोर्ड में प्रतिनिधित्व के माध्यम से गिग मज़दूरों को अपनी शिकायतें व्यक्त करने के लिए एक तंत्र प्रदान करना।
गिग-मज़दूर सुरक्षा और कल्याण कोष को राजस्थान सरकार से और एग्रीगेटर्स से धन प्राप्त होगा। एग्रीगेटर्स प्रत्येक लेनदेन के मूल्य का एक निर्धारित प्रतिशत, इस फंड में योगदान के रूप में देंगे। राजस्थान सरकार 200 करोड़ रुपये का योगदान देगी।
राज्य सरकार गिग मज़दूरों का एक डेटाबेस बनाएगी और उसकी देखरेख करेगी। राज्य सरकार उनमें से प्रत्येक मज़दूर के लिए एक विशिष्ट आई.डी. तैयार करेगी। एग्रीगेटर्स को उनके लिए काम करने वाले गिग मज़दूरों का डेटाबेस राज्य सरकार के साथ साझा करना होगा।
यदि मालिक या एग्रीगेटर समय के अन्दर, कल्याण शुल्क का भुगतान नहीं करते हैं तो अधिनियम में दंड का प्रावधान भी है। एग्रीगेटर के लिए जुर्माना पहले उल्लंघन के लिए 5 लाख रुपये तक और उसके बाद के उल्लंघन के लिए 50 लाख रुपये तक हो सकता है। प्रमुख मालिक के मामले में, पहले उल्लंघन के लिए जुर्माना 10,000 रुपये तक और बाद के उल्लंघनों के लिए 2 लाख रुपये तक हो सकता है।
गिग मज़दूरों की समस्याएं जिनपर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है
हाल के वर्षों में, गिग-अर्थव्यवस्था (जिसमें कंपनियां और मज़दूर, पारंपरिक मालिक-मज़दूर संबंध के बाहर एक नयी व्यवस्था के तहत काम करते हैं) लगातार अर्थव्यवस्था के अधिक से अधिक क्षेत्रों में विस्तार कर रही है। हिन्दोस्तान में, इस समय 1.5 करोड़ से अधिक गिग मज़दूर होने का अनुमान है। इनमें से अनुमानित 99 लाख डिलीवरी सेवाओं से जुड़े हैं। नीति-आयोग की 2022 की रिपोर्ट के मुताबिक, 2029 तक लगभग 2.35 करोड़ मज़दूर, गिग-अर्थव्यवस्था में काम करेंगे।
हिन्दोस्तान के श्रम क़ानूनों द्वारा गिग मज़दूरों को एक मज़दूर बतौर मान्यता नहीं दी जाती है। उन्हें ”डिलीवरी पार्टनर“, ”डिलीवरी एक्जीक्यूटिव“ आदि जैसे नामों से बुलाया जाता है। इसके चलते, मालिक पूंजीवादी कंपनी के साथ इन मज़दूरों के असली शोषणकारी संबंधों को छिपाया जाता है।
गिग मज़दूरों को उन सभी अधिकारों से वंचित रखा गया है, जो सभी मज़दूरों को उनके मज़दूर होने के नाते, अधिकार बतौर हासिल होने चाहियें। इन अधिकारों का उल्लेख, हिन्दोस्तान की वेतन संहिता, औद्योगिक-संबंध संहिता और कार्य-स्थल पर सुरक्षा और स्वास्थ्य संहिता में किया गया है। इनमें काम के दिन की सीमा, न्यूनतम वेतन, कार्य-स्थल पर सुरक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएं और ओवरटाइम वेतन शामिल हैं। कंपनी के मालिक, गिग मज़दूरों के द्वारा गठित किसी भी यूनियन के साथ बातचीत करने से इनकार करते हैं, क्योंकि ये यूनियन औपचारिक रूप से मान्यता प्राप्त नहीं हैं और वे कंपनी के मालिकों के खि़लाफ़ श्रम-अदालतों में अपने मामले दायर नहीं कर सकते हैं।
गिग मज़दूरों को निर्धारित घंटों के लिए काम करने का हक़ नहीं है। उनकी दैनिक कार्यसूची मालिक कंपनियों के ऑनलाइन प्लेटफॉर्म द्वारा निर्धारित की जाती है और उस पर कड़ी निगरानी भी रखी जाती है। उनको अक्सर प्रतिदिन 12-14 घंटे तक भी काम करना पड़ता है। इस वजह से उन्हें आराम करने या अपने परिवार के साथ कुछ वक्त गुज़ारने का बहुत कम अवसर मिलता है और उनके मानसिक तनाव का स्तर भी बहुत बढ़ जाता है।
सभी गिग मज़दूरों पर, कम से कम समय में, अपनी डिलीवरी करने का दबाव होता है। विशेष रूप से डिलीवरी-मज़दूरों, और कैब व ऑटो चालकों पर, निश्चित समय में यात्राओं की संख्या को ज्यादा से ज्यादा बढ़ाने का अत्यधिक दबाव होता है। इसके परिणामस्वरूप, वे अक्सर सड़क दुर्घटनाओं के शिकार होते हैं जो कभी-कभी गंभीर या घातक भी हो सकती हैं।
रोज़ी-रोटी की असुरक्षा, स्थाई नौकरी की कमी, पर्याप्त व सुरक्षित आमदनी की कमी, यह गिग मज़दूरों के सामने एक मुख्य समस्या है। गिग अर्थव्यवस्था में कई डिलीवरी कर्मचारियों की औसत आमदनी, आम तौर पर सरकार की घोषित न्यूनतम मज़दूरी से भी कम है। इनमें भी हाल के वर्षों में गिरावट आ रही है, क्योंकि कंपनी मालिकों द्वारा शुरू में दिए गए कई सारे इंसेंटिव, अब वापस ले लिए गए हैं। जब भी कंपनी मालिक गिग मज़दूरों को रोज़गार पर रखने को अपने मुनाफ़ों के लिए नुकसानदायक समझता है, तो वह उन्हें एक पल के नोटिस पर नौकरी से बाहर निकाल सकता है।
यह अधिनियम इनमें से कई समस्याओं को हल करने में असमर्थ है
राजस्थान प्लेटफॉर्म-आधारित गिग वर्कर्स (पंजीकरण और कल्याण) अधिनियम, 2023 गिग मज़दूरों की इन प्रमुख समस्याओं में से कई समस्याओं को हल करने में असमर्थ है, भले ही यह इन मज़दूरों को किसी प्रकार की सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने और शिकायत निवारण के लिए एक तंत्र प्रदान करने का वादा करता है। यह अन्य देशों में गिग मज़दूरों के संघर्षों के अनुभव और उनके संघर्षों के द्वारा हासिल किये गए अधिकारों पर आधारित नहीं है। (बॉक्स देखें : अन्य देशों में गिग मज़दूरों द्वारा हासिल किये गए अधिकार)
सबसे पहले, अधिनियम में गिग मज़दूर की परिभाषा इस प्रकार से दी गयी है : “वह व्यक्ति, जो ऐसा काम करता है या ऐसी कार्य-व्यवस्था में भाग लेता है, जो मालिक-मज़दूर के पारंपरिक संबंधों के बाहर है; और जो ऐसी गतिविधियों से कमाता है तथा जो एक ऐसे कॉन्ट्रैक्ट के तहत काम करता है जिसके ज़रिये उसे एक निश्चित दर पर वेतन दिया जाता है या पेमेंट किया जाता है।” अधिनियम एक एग्रीगेटर को ‘डिजिटल मध्यस्थता करने वाला’ के रूप में परिभाषित करता है। “कोई भी इकाई जो सेवाएं प्रदान करने के लिए एक या अधिक एग्रीगेटर्स के साथ काम करती है, इसमें शामिल है।”
इन परिभाषाओं को जानबूझकर अस्पष्ट छोड़ दिया गया है। वे स्पष्ट रूप से कंपनी के मालिक या एग्रीगेटर की एक “मालिक” और गिग मज़दूर की एक “मज़दूर” के रूप में पहचान नहीं करते हैं। अगर ऐसी पहचान स्पष्ट की जाती, तो मालिक मज़दूर के लिए कुछ अधिकार और विशेष लाभों को सुनिश्चित करने के लिए क़ानूनी रूप से बाध्य होता है और मज़दूर ऐसे अधिकारों और लाभों का हक़दार होता है। इस तरह, यह अधिनियम गिग मज़दूरों की कुछ मुख्य परेशानियों और समस्याओं को संबोधित नहीं करता है – जैसे कि मज़दूरों के रूप में उनकी मान्यता, न्यूनतम वेतन का अधिकार, काम के दिन की सीमा कार्यस्थल पर सुरक्षा और स्वास्थ्य लाभ तथा ट्रेड यूनियनों में संगठित होने का अधिकार। कंपनी के मालिक मज़दूरों को न्यूनतम वेतन से भी कम पर प्रतिदिन 12-14 घंटे काम करने के लिए मजबूर कर सकते हैं और उन्हें उनके काम के दौरान होने वाली दुर्घटनाओं के लिए चिकित्सा खर्च से भी वंचित कर सकते हैं। उन्हें बिना किसी पूर्व सूचना दिए या बिना किसी मुआवज़े के भुगतान किये, नौकरी से बाहर निकाला जा सकता है।
दूसरा, अधिनियम में गिग मज़दूरों का एक डेटाबेस बनाने का प्रस्ताव है। एक प्लेटफार्म पर पंजीकृत सभी मज़दूरों का विवरण प्रस्तावित गिग मज़दूर कल्याण बोर्ड को हस्तांतरित किया जाना है। परन्तु, अधिनियम इसे लागू करने के लिए कोई तंत्र सामने नहीं रखता है, न ही इसमें उन मालिकों के लिए किसी दंड का प्रावधान है जो अपने द्वारा काम पर लगाये गए सभी गिग मज़दूरों का विवरण कल्याण बोर्ड के प्लेटफॉर्म पर नहीं डालते हैं।
तीसरा, कई गिग मज़दूर अपनी गिरती आमदनी के कारण, अक्सर एक ही दिन में दो या दो से अधिक एग्रीगेटरों के लिए काम करते हैं। यह भी संभव है कि पंजीकरण की यह अनिवार्य प्रणाली, एग्रीगेटरों को मज़दूर के और अन्य एग्रीगेटरों के साथ रोज़गार के बारे में जानने में सक्षम बनाएगी और मज़दूरों के लिए ऐसी संभावनाओं को ख़त्म कर देगी। कंपनी मालिकों को ऐसा करने से रोकने के लिए इस अधिनियम में कोई भी प्रावधान नहीं है।
चौथा, अधिनियम एक प्रतिनिधित्ववादी कल्याण बोर्ड का गठन करके और एक कल्याण कोष बनाकर प्लेटफॉर्म-आधारित गिग मज़दूरों को सामाजिक सुरक्षा की गारंटी देने का वादा करता है। लेकिन यह अधिनियम न तो यह परिभाषित करता है कि सामाजिक सुरक्षा क्या है और न ही उन कल्याणकारी उपायों का विवरण पेश करता है जिन्हें मोटे-तौर पर सामाजिक सुरक्षा के रूप में समझा जा सकता है। इसके बजाय, यह इस महत्वपूर्ण पहलू को कल्याण बोर्ड के निर्णय पर छोड़ देता है। इसमें कहा गया है कि कल्याण बोर्ड की ज़िम्मेदारी होगी “पंजीकृत प्लेटफॉर्म-आधारित गिग मज़दूरों की सामाजिक सुरक्षा के लिए योजनाएं तैयार करना और अधिसूचित करना और ऐसे उपाय बनाना जो ऐसी योजनाओं को लागू करने के लिए उपयुक्त समझे जाएं।”
अंत में, अधिनियम कल्याण बोर्ड में गिग मज़दूरों के प्रतिनिधित्व के ज़रिए शिकायत निवारण की एक व्यवस्था का प्रस्ताव करता है। बोर्ड में राज्य सरकार द्वारा नामित पांच गिग मज़दूर प्रतिनिधि शामिल होंगे। परन्तु यह ज़ाहिर है कि बोर्ड पर प्लेटफार्म के मालिक पूंजीवादी कंपनियों के शक्तिशाली प्रतिनिधियों का वर्चस्व होगा और उसमें अफ़सरशाही व सरकार के सदस्य होंगे, जो पूंजीवादी मालिकों के हितों की पूरी तरह से हिमायत करेंगे।
मज़दूरों के रूप में मान्यता के बिना और ट्रेड यूनियन अधिकारों के अभाव में, गिग मज़दूर अपनी मांगों के लिए एकजुट होकर, संगठित रूप से लड़ने या अपनी समस्याओं का कोई हल हासिल करने की स्थिति में नहीं होंगे।
आगे का रास्ता
किसी अन्य प्रकार के रोज़गार के अभाव में, गिग अर्थव्यवस्था में शामिल होने वाले मज़दूरों की बढ़ती संख्या के चलते, ट्रेड यूनियनों और मज़दूर संगठनों को गिग मज़दूरों को मज़दूर के रूप में क़ानूनी मान्यता दिलवाने, उनके अधिकारों, जैसे निश्चित काम करने के घंटे, सुरक्षित काम करने की स्थिति, न्यूनतम वेतन, नौकरियों की सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा, यूनियन बनाने का अधिकार, शिकायतों के निवारण के लिए उपाय आदि मुद्दों को उठाना होगा। गिग मज़दूरों को बाकी मज़दूर वर्ग के साथ मिलकर, अपने मूलभूत अधिकारों, जैसे कि मज़दूरों के रूप में मान्यता और मज़दूर बतौर अधिकारों, को हासिल करने के अपने प्रयासों में लगे रहना होगा।
अन्य देशों में गिग मज़दूरों द्वारा हासिल किये गए अधिकार
गिग डिलीवरी मज़दूरों और कैब ड्राइवरों ने कुछ देशों में डटकर संघर्ष करके, कुछ अधिकार हासिल किए हैं। संयुक्त राज्य अमरीका के एक राज्य कैलिफोर्निया में, डायनामेक्स नामक उसी-दिन डिलीवरी कंपनी के डिलीवरी ड्राइवरों ने कैलिफोर्निया के श्रम-कोड में बदलाव सुनिश्चित कर लिया है। कंपनी द्वारा नियुक्त डिलीवरी-मज़दूर, जिनकी काम की ज़िम्मेदारी और काम के घंटे, कंपनी द्वारा निर्धारित किए जाते हैं, अब अनुबंध-मज़दूरों की बजाय, नियमित मज़दूर माने जाएंगे और कंपनी के एक पूर्ण-मज़दूर को मिलने वाले सभी लाभ, डिलीवरी-मज़दूरों को भी मिलेंगे। 2021 में, ब्रिटेन (यू.के.) के सुप्रीम कोर्ट ने फ़ैसला सुनाया कि उबर-ड्राइवरों को मज़दूरों के रूप में माना जाना चाहिए, न कि स्व-रोज़गार कर्मियों के रूप में। इस परिभाषा को, यू.के. रोज़गार अधिकार अधिनियम में अब शामिल किया गया है। यू.के. में गिग मज़दूरों को अब नियमित कर्मचारियों और स्व-रोज़गार कर्मियों के बीच की एक श्रेणी में ”मज़दूरों“ के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इससे उन्हें न्यूनतम वेतन, वेतन सहित अवकाश, सेवानिवृत्ति लाभ योजनाएं और स्वास्थ्य बीमा की सुविधाएं प्राप्त होती हैं। इंडोनेशिया में गिग मज़दूर अब दुर्घटना, स्वास्थ्य और मृत्यु-बीमा के हक़दार हैं। बेल्जियम में डेलीवरू नामक कंपनी के डिलीवरी मज़दूरों ने अपने मालिकों को ट्रेड यूनियनों के साथ बातचीत करने के लिए मजबूर किया है। कनाडा में गिग मज़दूरों ने अपनी नौकरी से बख़ार्स्तगी के संबंध में कुछ ख़ास अधिकार हासिल कर लिए हैं। गिग मज़दूरों के लिए स्वास्थ्य सेवा, पर्याप्त आमदनी और सामाजिक सुरक्षा जैसे अधिकारों को सुरक्षित करना एक ऐसा मुद्दा है जिसे अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आई.एल.ओ.) में भी ट्रेड यूनियनों द्वारा उठाया गया है। अब तक बहुत कम देशों में इन्हें सुनिश्चित करने के लिए कोई क़दम लिए जाने की ख़बर मिली है। |