मज़दूर एकता कमेटी के संवाददाता की रिपोर्ट
मध्यप्रदेश में सरकारी कर्मचारियों ने ‘मध्यप्रदेश अधिकारी-कर्मचारी संयुक्त मोर्चा’ के झंडे तले, 25 अगस्त, 2023 को सामूहिक अवकाश लेकर विरोध प्रदर्शन किया। ये कर्मचारी इससे कई दिन पहले से अपनी मांगों के लिए संघर्षरत हैं।
मध्यप्रदेश अधिकारी-कर्मचारी संयुक्त मोर्चा में मध्यप्रदेश तृतीय श्रेणी शासकीय कर्मचारी संघ, मध्यप्रदेश लिपिक वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ, मध्यप्रदेश लघु वेतन कर्मचारी संघ, मध्यप्रदेश वाहन चालक कर्मचारी संघ, मध्यप्रदेश जिला न्यायालय कर्मचारी संघ तथा मध्यप्रदेश लोक निर्माण विभाग लिपिक संघ, आदि शामिल हैं।
मध्यप्रदेश सरकार के 52 विभागों में कुल 5 लाख 75 हजार कर्मचारी हैं, जो इस समय अपनी 39 सूत्रीय मांगों को लेकर अवकाश पर हैं। इन कर्मचारियों के साथ-साथ राजपत्रित अधिकारी भी अवकाश पर रहे। कर्मचारियों और अधिकारियों के अवकाश पर होने के दौरान सरकारी दफ़्तरों में कामकाज पूरी तरह ठप्प रहा।
आंदोलित कर्मचारियों ने 10 सितंबर को एक दिन का धरना करने का फै़सला घोषित किया है। अगर उसके बाद भी उनकी मांगों पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती है तो फिर कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर उतरेंगे, ऐसा बताया गया है।
कर्मचारियों की मुख्य मांगें हैं कि केंद्र सरकार के कर्मचारियों के समान महंगाई भत्ते का बकाया (एरियर) दिया जाए, सेवानिवृत्त कर्मचारियों को 4 प्रतिशत महंगाई राहत दी जाए, पुरानी पेंशन स्कीम बहाल की जाये, लिपिकों के ग्रेड-पे में विसंगति को दूर किया जाए, चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को पदनाम दिया जाए, वाहन चालकों की भर्ती की जाये एवं टैक्सी प्रथा ख़त्म की जाए, सातवें वेतनमान के अनुसार वाहन भत्ता एवं मकान किराया भत्ता दिया जाए, सी.पी.सी.टी. (कम्प्यूटर प्रोफिशिएंसी सर्टीफिकेट टेस्ट) ख़त्म करके आउटसोर्सिंग की प्रथा बंद की जाए, शिक्षकों एवं सहायक शिक्षकों को क्रमोन्नत वेतनमान एवं नियुक्ति दिनांक से वरिष्ठता दी जाए, कर्मचारियों की पदोन्नति समय पर की जाए, आंगनवाड़ी कर्मियों, आशाकर्मियों, अंशकालीन कर्मियों, स्टेनोग्राफर, जिला न्यायालय के कर्मियों, राजस्व कर्मचारियों, सभी की लंबित मांगें पूरी की जायें।