मज़दूर एकता कमेटी के संवाददाता की रिपोर्ट
पंजाब के किसान संगठन बाढ़ व असामयिक वर्षा से फ़सलों को हुयी क्षति के लिए पर्याप्त मुआवज़े की मांग को लेकर संघर्ष में उतरे हैं।
जुलाई के महीने में हुई असामयिक वर्षा की वजह से, पंजाब के कई जिले बाढ़ की चपेट में आ गए। कई गांवों के लोग बेघर हो गए। किसानों की हजारों-हजारों एकड़ धान की फ़सल पानी में डूब कर नष्ट हो गई। पशु मारे गए। किसानों के इस संकट की ओर न तो केन्द्र सरकार और न ही राज्य सरकार ने ध्यान दिया है। पंजाब में 16 किसान यूनियनों की संयुक्त जत्थेबंदियां, पंजाब तथा हरियाणा में बाढ़ से हुए नुक़सान के लिए मुआवजे़ सहित कई अन्य मांगों को लेकर संघर्ष कर रही हैं। इस संयुक्त जत्थेबंदी में किसान मज़दूर संघर्ष कमेटी, भारतीय किसान यूनियन (क्रांतिकारी), बीकेयू (एकता आज़ाद), आज़ादी किसान कमेटी (दोआबा), बीकेयू (बहराम) और भूमि बचाओ मुहिम, आदि शामिल हैं।
आंदोलित किसान फ़सल नुक़सान के लिए 50,000 रुपये प्रति एकड़ का मुआवज़ा, क्षतिग्रस्त घर के लिए 5 लाख रुपये और बाढ़ में मरने वाले व्यक्ति के परिवार के लिए 10 लाख रुपये के मुआवज़े की मांग कर रहे हैं। वे पशुओं की मृत्यु और बोरवेल ख़राब होने पर मुआवज़े मांग रहे हैं। इसके अलावा, वे बाढ़ के पानी का स्थाई समाधान, खेतों में भरी रेत को उठाने की इजाज़त, एक साल के लिए क़र्ज़ माफ़ी, 23 फ़सलों के लिए एम.एस.पी. की गारंटी और मनरेगा के तहत साल में 200 दिन तक के काम की मांग कर रहे हैं।
18 अगस्त, 2023 को पंजाब सरकार के साथ किसान यूनियनों के प्रतिनिधिमंडल की वार्ता हुई। उस वार्ता में पंजाब सरकार ने किसानों की मांगों में से बहुत ही सीमित मांगों को मानने का आश्वासन दिया। बाकी मांगों को केंद्र सरकार की ज़िम्मेदारी बताकर टाल दिया।
इसके विरोध में किसानों ने 22 अगस्त, 2023 को चंडीगढ़ में अनिश्चितकालीन धरना आयोजित किया था। लेकिन राज्य की पुलिस और सुरक्षा बलों ने धरने पर ज़बरदस्ती रोक लगाने की कोशिश की और विभिन्न किसान यूनियनों के पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं को गिरफ़्तार और नज़रबंद कर लिया। इसके विरोध में विभिन्न जिलों में किसानों ने पुलिस थानों और टोल प्लाजाओं पर विरोध प्रदर्शन किये।
मोगा जिले के गांव मैहना में किसानों ने धरना दिया। यह धरना पुलिस द्वारा किसान जत्थेबंदियों को 22 अगस्त को चंडीगढ़ पहुंचने से रोके जाने के बाद से शुरू हो गया था। कपूरथला में किसान मज़दूर संघर्ष कमेटी की अगुवाई में ढिलवां टोल प्लाजा पर धरना दिया गया। वहां पुलिस ने संघर्षरत 44 किसान नेताओं को हिरासत में लेकर तीन थानों में बंद कर दिया।
फिरोजपुर और फरीदकोट में भी किसान कार्यकर्ताओं की गिरफ़्तारियों के खि़लाफ़, किसानों ने जमकर धरने-विरोध आयोजित किये।
जिला संगरूर के लोंगोवाल इलाके में, बठिंडा-चंडीगढ़ सड़क पर चंडीगढ़ की ओर जा रहे किसानों के काफिले को पुलिस ने जबरन रोक दिया। किसान संगठन बीकेयू (आज़ाद) के नेताओं को पुलिस ने गिरफ़्तार करने की कोशिश की, जिसका किसानों ने ज़बरदस्त विरोध किया। इस विरोध के चलते, एक किसान की ट्रैक्टर के नीचे आने से मौत हो गयी। कई किसान जख्मी हुए। पुलिस ने कई किसानों पर संगीन मामले दर्ज़ किये। क्रोधित किसानों ने थाने के बाहर धरना दिया।
तरनतारन में किसान मज़दूर संघर्ष कमेटी के प्रधान सरवन सिंह पंधेर, सुरजीत सिंह बहराम तथा कई अन्य किसान नेताओं को हिरासत में ले लिया गया। अन्य किसान यूनियनों के कई नेताओं और पदाधिकारियों को उन्हीं के घरों में नज़रबंद कर दिया गया और बाहर पुलिस का पहरा बैठा दिया गया। पुलिस की इस कार्यवाही के विरोध में किसान भारी संख्या में सड़कों पर उतर आए। किसान टोल प्लाज़ा के पास धरने पर बैठ गए। इसके अलावा कई अन्य जगहों पर ऐसे धरने आयोजित किये गये।
किसानों के आन्दोलन को रोकने के लिए, चंडीगढ़ की सीमाओं पर भारी संख्या में पुलिस तैनात कर दी गयी। हरियाणा के किसान संगठनों के सैकड़ों नेताओं और कार्यकर्ताओं को शंभू बार्डर, अंबाला में हिरासत में ले लिया गया।
लेकिन किसानों का संघर्ष, जगह-जगह पर विरोध प्रदर्शन और धरने के ज़रिये, अनवरत जारी रहा है।
हालिया समाचार के अनुसार, किसानों के अडिग संघर्ष के चलते पंजाब सरकार ने 4 सितम्बर को किसान जत्थेबंदियों के प्रतिनिधियों को फिर से वार्ता के लिए बुलाया है।