फ़सल बीमा के ज़रिए किसानों की पूंजीवादी लूट

फ़सल बीमा का उद्देश्य है कि किसानों को अत्यधिक बारिश या सूखे, चक्रवात, बीमारियों और कीटों आदि के कारण फ़सलों को होने वाले नुकसान की समस्या से निपटने में मदद मिले।

पिछले पांच दशकों में, हिन्दोस्तान की सरकार ने फ़सल बीमा की कई राष्ट्रीय योजनाएं शुरू कीं। इनमें सबसे हाल में शुरू की गयी फ़सल बीमा योजनाएं हैं – प्रधानमंत्री फ़सल बीमा योजना (पी.एम.एफ.बी.वाई.) और पुनर्गठित मौसम पर आधारित फ़सल बीमा योजना (आर.डब्ल्यू.बी.सी.आई.वाई.)। इन दोनों योजनाओं को 2016 में शुरू किया गया था।

पी.एम.एफ.बी.वाई. के तहत किसानों को, ख़रीफ़ के मौसम में धान और गेहूं की फ़सलों के बीमा के लिए बीमा राशि का 2 प्रतिशत और रबी के मौसम में 1.5 प्रतिशत प्रीमियम का भुगतान बीमा कंपनियों को करना पड़ता हैं। दोनों मौसमों में होने वाली अन्य फ़सलों के बीमा के लिए किसान 5 प्रतिशत का भुगतान करते हैं। बीमा-कंपनियों के प्रीमियम का शेष भुगतान केंद्र और राज्य सरकारें बराबरी से करती हैं।

पिछले सात वर्षों के आंकड़े, जब से ये दोनों योजनाएं शुरू की गई हैं, दिखाते हैं कि इन योजनाओं से सबसे बड़ा लाभ उन पूंजीवादी कंपनियां को हुआ है जिन्होंने इन योजनाओं के तहत अपने फ़सल बीमा व्यवसायों का विस्तार किया है।

तालिका-1 में दिखाया गया है कि 2018-19 के दौरान धान और गेंहू उगाने वाले किसानों में कितने प्रतिशत की फ़सलों को नुक़सान हुआ और उनमें से कितने प्रतिशत किसानों को फ़सल बीमा का लाभ मिला। जबकि 35 प्रतिशत से अधिक किसानों की फ़सल का नुकसान हुआ तो उनमें से 10 प्रतिशत से भी कम को फ़सल बीमा से लाभ हुआ।

तालिका 1 : धान और गेंहू उगाने वाले किसानों में कितने प्रतिशत की फ़सलों को नुक़सान हुआ और उनमें से कितने प्रतिशत किसानों को फ़सल बीमा का लाभ मिला

2018-19 धान (ख़रीफ़) गेहूं (रबी)
फ़सल में नुकसान से पीड़ित किसान-परिवारों का प्रतिशत 38.4 % 35.1 %
फ़सल बीमा का लाभ उठाने वाले किसान-परिवारों का प्रतिशत 8.3 % 6.8 %
स्रोत : स्थिति-आकलन सर्वेक्षण, 2018-19; एन.एस.एस., 77वां राउंड

पिछले सात वर्षों के दौरान बीमा कंपनियों द्वारा वसूले गये प्रीमियम और किसानों के दावों का बीमा कंपनियों द्वारा किये गये निपटान और भुगतान के बीच की राशि का अंतर तालिका 2 में प्रस्तुत किये गए आंकड़े स्पष्ट रूप से दिखाते हैं।

देखा जा सकता है कि पिछले सात साल के दौरान, बीमा कंपनियों को प्रीमियम के तौर पर कुल मिलाकर 1,97,657 करोड़ रुपये मिले हैं। बीमा कंपनियों ने इस अवधि के दौरान, किसानों को दावों के रूप में लगभग 1,40,036 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। यह अंतर जिसकी राशि लगभग 57,000 करोड़ रुपये है, यह इन बीमा कंपनियों द्वारा बनाया गया मुनाफ़ा है।

तालिका 2 : फ़सल बीमा के लिये जमा की गई प्रीमियम और कंपनियों द्वारा क्लेम के लिये किये गये भुगतान

वर्ष प्रीमियम (करोड़ रुपये) क्लेम (करोड़ रुपये) अंतर (करोड़ रुपये)
2016-17 21,950 16,827 5,123
2017-18 24,468 22,088 2,380
2018-19 29,698 29,337 361
2019-20 32,362 27,373 4,989
2020-21 31,690 20,771 10,919
2021-22 29,598 17,881 11,717
2022-23 27,901 5,761 22,140
स्रोतः कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय

फ़सल बीमा व्यवसाय से जुडी प्रमुख कंपनियां हैं – रिलायंस जनरल इंश्योरेंस, आई.सी.आई.सी.आई. लोम्बार्ड, इफको टोकियो, न्यू इंडिया एश्योरेंस, यूनिवर्सल सोम्पो, बजाज आलियांज और एस.बी.आई. जनरल इंश्योरेंस कंपनी। इनमें से एस.बी.आई. जनरल इंश्योरेंस और न्यू इंडिया एश्योरेंस के अलावा बाकी की पांच कंपनियों निजी स्वामित्व वाली हैं।

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