राजस्थान के नोहर और भादरा तहसील के किसान अमरसिंह ब्रांच से पानी चोरी के खि़लाफ़ लंबा संघर्ष चलाते आये हैं। यह संघर्ष अमरसिंह ब्रांच संघर्ष समिति भादरा-नोहर की अगुवाई में लगातार चलता रहा है। लोक राज संगठन की राजस्थान इकाई ने इस संघर्ष को सफल करने के लिये पुरजोर काम किया है।

किसानों के धरने और प्रदर्शन के कारण प्रशासन को मजबूरन किसानों की मांगों को मानने के लिये वार्ता करनी पड़ी। यह वार्ता 18 जुलाई, 2023 को अमरसिंह ब्रांच संघर्ष समिति भादरा-नोहर के नेताओं और नायब तहसीलदार, सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियन्ता की उपस्थिति में हुई।
वार्ता के दौरान दोनों पक्षों में यह समझौता हुआ कि सिंचाई विभाग मोघों को दुरूस्त करने के लिये एक सप्ताह के भीतर टेंडर निकालेगा तथा सभी वित्तीय और प्रशासनिक समस्याओं को दूर करेगा। सिंचाई विभाग की ओर से किसानों से यह वादा किया गया कि मोघों को दुरूस्त करके निर्धारित क्षमता के अनुसार पानी देना सुनिश्चित किया जायेगा। पानी चोरी रोकने के लिये प्रभावी क़दम उठाये जायेंगे।
मज़दूर एकता लहर किसानों के इस संघर्ष को लेकर लगातार रिपोर्ट करता आया है कि उप-तहसील रामगढ़ के किसान और अमरसिंह ब्रांच के तहत आने वाले अन्य गांवों के किसान अपनी मांगों – सिंचाई के लिये पानी की पर्याप्त आपूर्ति व अवैध मोघों को बंद करना तथा नहर से पानी की चोरी को रोकने – के लिये लगातार संघर्ष करते आये हैं।
विदित है कि किसानों ने अपनी मांगों से संबंधित एक ज्ञापन 18 जून, 2023 को नायब तहसीलदार को सौंपा था। उनके ज्ञापन में स्पष्ट कहा गया था कि एक सप्ताह के भीतर मोघों की समस्याओं को पूरा नहीं किया गया तो आंदोलन को तेज़ किया जायेगा। एक सप्ताह बाद भी जब प्रशासन ने कोई कार्यवाही नहीं की तो किसानों ने धरना शुरू कर दिया।

यह धरना 26 जून से शुरू होकर 18 जुलाई तक चलता रहा, जिसके चलते प्रशासन को किसानों के सामने झुकना पड़ा और उनकी मांगें माननी पड़ीं। इसमें प्रत्येक दिन अलग-अलग गांवों के किसान क्रमिक रूप से शामिल होते रहे हैं। रामगढ़, बरवाली, परलीका, गोगामेढ़ी, ढिलकी जाटान, दीपलाना, बडबिराना, नेठराना, आदि गांवों के किसान शामिल हुये।
याद रखा जाये कि अमरसिंह ब्रांच नहर में अवैध मोघों की वजह से इस क्षेत्र के कई गांवों की फ़सलें प्रभावित होती हैं। बिजाई के समय पर्याप्त पानी न मिलने के कारण फ़सलों की बुआई में देरी हो जाती है।
किसानों की जीत के लिये हम उनके संघर्ष को सलाम करते हैं। लेकिन किसानों को सर्तक रहना होगा कि राज्य और उसका प्रशासन वादा तो कर देते हैं, लेकिन वे अपने वादे से बार-बार मुकर जाते हैं। यह इसलिये होता है क्योंकि केंद्र सरकार हो या राज्य सरकार, ये सिर्फ पूंजीपति वर्ग के हित के लिये काम करती हैं। मज़दूरों और किसानों का शोषण बढ़ाकर कैसे पूंजीपतियों के मुनाफ़े की अमिट भूख को पूरा करना – यही उनका काम है।
किसानों को मज़दूरों के साथ मिलकर संघर्ष को इस दिशा में ले जाना पड़ेगा कि पूंजीपतियों के राज के स्थान पर मज़दूरों और किसानों का राज स्थापित किया जाये। नोहर-भादरा के किसानों को अपनी एकता को मज़बूत करते हुये, अपने संघर्ष को इसी नज़रिये से चलाना होगा।