ब्रिटेन में डॉक्टरों ने वेतन वृद्धि की मांग को लेकर हड़ताल की

13 जुलाई, 2023 को हजारों जूनियर डॉक्टरों ने पांच दिवसीय हड़ताल शुरू की। ये डाक्टर ब्रिटेन की नेशनल हेल्थ सर्विस (एन.एच.एस.) में अपने कैरियर के शुरुआती चरण में हैं। इस हड़ताल को ब्रिटेन की स्वास्थ्य प्रणाली के इतिहास की सबसे लंबी हड़ताल बताया जा रहा है।

British_Junior_Doctors_Strike-1जूनियर डॉक्टरों ने बताया है कि मुद्रास्फीति ने उन्हें मिलने वाले वेतन के प्रभावी मूल्य को कम कर दिया है। डॉक्टरों की यूनियन, ब्रिटिश मेडिकल एसोसिएशन (बी.एम.ए.) ने मुद्रास्फीति को ध्यान में रखते हुए, जूनियर डॉक्टरों के वेतन को 2008 के स्तर पर वापस लाने के लिए 35 प्रतिशत वेतन वृद्धि की मांग की है। जबकि सरकार ने 6 प्रतिशत वेतन वृद्धि का प्रस्ताव किया है। सरकार का प्रस्ताव न केवल पिछले 15 वर्षों में वेतन की ख़रीद क्षमता में हुई कमी को पूरा नहीं करता है, बल्कि इस साल की महंगाई के अनुसार भी नहीं है। 2008 के बाद से जूनियर डॉक्टरों के वेतन में 26 प्रतिशत की गिरावट आई है अगर महंगाई से हुए असर को साथ लिया जाये।

यह डॉक्टरों की चैथी हड़ताल है। इससे पहले 14 जून को क़रीब 50,000 जूनियर डॉक्टरों ने इसी मांग को लेकर हड़ताल की थी। वह हड़ताल 72 घंटे तक चली और उनके वेतन और कामकाज की हालतों पर चल रहे हमलों के ख़िलाफ़ सभी स्वास्थ्य सेवा कर्मचारियों के एकजुट और निरंतर विरोध का हिस्सा थी।

अप्रैल और मई में भी डॉक्टरों ने हड़ताल की, लेकिन हर बार सरकार ने उनके साथ बातचीत करने से इनकार कर दिया और बहुत ही मामूली प्रस्ताव किए। 2022 में, सरकार ने अपने वेतन समीक्षा बोर्ड के ज़रिए सभी स्वास्थ्य कर्मियों को लगभग 3.5 प्रतिशत की वेतन वृद्धि का प्रस्ताव किया था, जो मुद्रास्फीति से काफी कम था।

British_Junior_Doctors_Strike-1डॉक्टरों को पता है कि हड़ताल की कार्रवाई से स्वास्थ्य सेवा पर असर पड़ेगा, लेकिन उनके पास हड़ताल पर जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। उन्होंने ब्रिटेन सरकार से बातचीत करने का आग्रह किया है, लेकिन सरकार ने ऐसा करने से इनकार कर दिया है। सरकार कई सार्वजनिक क्षेत्रों के मज़दूरों द्वारा की जा रही हड़तालों का सामना कर रही है, लेकिन वह इस बात पर अड़ी हुई है कि जब तक हड़तालें होंगी तब तक सरकार बातचीत नहीं करेगी।

सरकार ने हड़ताली डॉक्टरों को बदनाम करने और जनता को हड़ताली डॉक्टरों के ख़िलाफ़ भड़काने में जरा भी समय नहीं गंवाया। उसने घोषणा की है कि “35 प्रतिशत की वेतन वृद्धि की मांग मुद्रास्फीति को बढ़ाने के लिए जोखिम है, जो हर किसी को ग़रीब बनाती है।” यह सरासर झूठ है। उच्च वेतन से मुद्रास्फीति नहीं बढ़ती है; दूसरी ओर, मज़दूर सभी वस्तुओं और सेवाओं की बढ़ती क़ीमतों का सामना करने में सक्षम होने के लिए उच्च मज़दूरी की मांग करने के लिए मजबूर हैं। सभी उपभोक्ता वस्तुओं क़ी क़ीमतें मई 2023 में पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 10 प्रतिशत बढ़ी हैं।

रॉयल कॉलेज ऑफ नर्सिंग की नर्साें, विभिन्न सरकारी अस्पतालों के एम्बुलेंस कर्मचारियों और जूनियर डॉक्टरों की हालिया हड़तालों को देशभर के कामकाजी लोगों से लगातार समर्थन मिला है। अन्य कामकाजी लोग स्वास्थ्य कर्मियों की वेतन संबंधी चिंताओं की वास्तविकता को पहचानते हैं और वे जानते हैं कि सरकार उन पर कोई ध्यान नहीं देती है।

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