विदेश में बसे हिन्दोस्तानियों के राजनीतिक उत्पीड़न और अपनी मातृभूमि को वापस जाने के उनके अधिकार पर हमला करने के लिए हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी मनमोहन सिंह सरकार की निंदा करती है।
विदेश में बसे हिन्दोस्तानियों के राजनीतिक उत्पीड़न और अपनी मातृभूमि को वापस जाने के उनके अधिकार पर हमला करने के लिए हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी मनमोहन सिंह सरकार की निंदा करती है।
हिन्दोस्तान हम सब और ख़ास तौर से मजदूर, किसान और प्रगतिशील बुध्दिजीवियों का है। कई दशकों से लाखों हिन्दोस्तानी रोजगार की खोज में विदेश गए हैं। अपने देश में रोजगार के पर्याप्त अवसर के अभाव में इनको अपनी मातृभूमि से दूर जाना पड़ा है। लेकिन इन लोगों ने अपनी मातृभूमि के लिए प्यार और देशभक्ति को बरकरार रखा है और कई पीढ़ियों से यही प्यार अपने बच्चों को सिखाया है। हिन्दोस्तानी ग़दर पार्टी के समय से, उत्तरी अमरीका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और अन्य देशों में बसे हिन्दोस्तानी मूल के अनगिनत महिला और पुरुष शोषण, दमन और नाइंसाफी के खिलाफ़ लड़ने और लोगों के लिए एक नया भविष्य का निर्माण करने के उद्देश्य से, अपनी मातृभूमि वापस आये हैं। विदेशों में बसे हिन्दोस्तानी मजदूर अपनी मेहनत का पैसा अपने परिवारों को भेजते हैं। कई लोग अपना वक्त और पैसा अपने गाँव में लोगों की हालत को बेहतर बनाने के लिए देते हैं। उन्होंने अपनी मातृभूमि में स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय बनाने के लिए धन निवेश किया है। हमारे देश के सभी इलाकों से विदेश गए लोगों ने ऐसा किया है। खास तौर पर प्रवासी मजदूरों का आर्थिक योगदान सरकार के पास विदेशी मुद्रा के अतिरिक्त भंडार की वजह है, जो सरकार खुद मानती है।
विदेश में बसे हिन्दोस्तानियों को इन देशों की सरकार के हाथों नस्लवादी भेदभाव के खिलाफ़ लड़ना पड़ा है। पश्चिम एशिया के देशों में इन लोगों को दूसरे दर्जे के नागरिक समझा जाता है और इनके कोई अधिकार नहीं हैं। हिन्दोस्तानी सरकार इन लोगों पर हो रहे हमलों को न केवल नजरंदाज़ करती है बल्कि इन लोगों का राजनीतिक उत्पीड़न भी करती है।
जिन लोगों के राजनीतिक विचार सरकार के विचारों से भिन्न हैं, उन्हें सरकार वीसा देने से इंकार करती है। जो लोग हिन्दोस्तानी राज्य द्वारा मानव अधिकार के हनन के खिलाफ़ आवाज उठाते हैं, उन्हें भी सरकार वीसा देने से इंकार करती है। जो लोग यह मानते हैं कि केवल कम्युनिज्म ही हिन्दोस्तान को बचा सकता है, उन्हें भी सरकार वीसा देने से इंकार करती है। हिन्दोस्तान को किस तरीके से पुनर्गठित किया जाना चाहिए ताकि सभी लोगों और समुदायों को सुख और समृध्दि मिल सके, इस बारे में जो लोग अलग विचार रखते हैं, उन्हें भी सरकार वीसा देने से इंकार करती है। हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी की केंद्रीय समिति सरकार के इस रवैये को विदेशों में बसे हिन्दोस्तानी लोगों के अधिकारों के खिलाफ़ फासीवादी हमला मानती है, और यह स्वीकार नहीं किया जा सकता। हमारी पार्टी यह मानती है कि सभी हिन्दोस्तानियों को, वे चाहे किसी भी देश के नागरिक क्यों न हों, हिन्दोस्तान के विकास और खुशहाली के लिए काम करने का अधिकार और फ़र्ज़ है, और सभी को ज़मीर का अधिकार है। अपने से भिन्न या विपरीत सोच रखने वालों को वीसा देने से इंकार करके हिन्दोस्तानी राज्य उनके ज़मीर के अधिकार का उल्लंघन कर रहा है। हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी हिन्दोस्तानी राज्य द्वारा विदेश में बसे हिन्दोस्तानियों के मानव अधिकारों पर इस हमले की निंदा करती है।
हिन्दोस्तानी राज्य वीसा के मसले का इस्तेमाल विदेशों में बसे हिन्दोस्तानियों का शोषण करने के लिए करता है। हिन्दोस्तानी राज्य ने यह आदेश जारी किया है कि विदेशों में बसे हिन्दोस्तानियों को अपने हिन्दोस्तानी पासपोर्ट जमा करने होंगे और यदि ऐसा नहीं किया तो उन्हें भारी जुर्माना देना होगा। लाखों हिन्दोस्तानी जो पिछले कई दशकों पहले विदेश में जाकर बसे हैं, उनके पुराने पासपोर्ट खो चुके हैं। ऐसे पुराने पासपोर्ट मांगने का कोई तुक नहीं बनता है, सिवाय इसके कि सरकार इन प्रवासी लोगों का और उत्पीड़न करेगी तथा घूस और जुर्माने के जरिये पैसा बनाएगी।
हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी की केंद्रीय समिति सभी हिन्दोस्तानियों को राज्य द्वारा विदेशों में बसे हिन्दोस्तानियों के उत्पीड़न का एकजुट होकर विरोध करने का आह्वान करती है। हम यह मांग करते हैं कि सरकार विदेश में बसे हिन्दोस्तानियों का राजनीतिक उत्पीड़न तुरंत बंद करे!
लाल सिंह, महासचिव
हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी