मज़दूर एकता कमेटी के संवाददाता की रिपोर्ट
1 जून को दिल्ली की ट्रेड यूनियनों व मज़दूर संगठनों ने महिला संगठनों के साथ मिलकर, संसद मार्ग पर एक सभा की। इस सभा में बड़ी संख्या में नौजवान और छात्र शामिल हुए।
इस सभा का आयोजन, विरोध प्रदर्शन कर रहे पहलवानों के साथ एकजुटता व्यक्त करने और उन पर राज्य द्वारा की गई हिंसा की निंदा करने के लिए किया गया था। 28 मई को विरोध प्रदर्शन करने वाले पहलवानों को विरोध स्थल पर बेरहमी से घसीटा गया और पीटा गया, जबरन पुलिस वैन में भरकर उन्हें शहर के दूरदराज़ के विभिन्न पुलिस थानों में बंद कर दिया गया। उन्हें अलग-थलग करने, डराने और उनका मनोबल तोड़ने के इरादे से ऐसा किया गया था।
सभा को प्रतिबंधित करने के लिये पुलिस ने भारी बेरिकेड लगाकर बेहद सीमित क्षेत्र में समेट दिया। पुलिस ने पहले तो सभा की अनुमति देने से इनकार कर दिया, लेकिन वहां उपस्थित सैकड़ों लोगों के गुस्से और दृढ़ संकल्प ने एक सफल और साहसपूर्ण सभा का आयोजन सुनिश्चित किया।
प्रदर्शनकारियों ने बहादुरी से नारे लगाए – “संघर्षरत महिला पहलवानों पर हो रहे हमले मुर्दाबाद!”, “महिला पहलवानों के लिये न्याय के संघर्ष के समर्थन में एकजुट हों!”, “महिलाओं पर हिंसा मुर्दाबाद!”, “कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न पर रोक लगाआ!”, “हमारी रोज़ी-रोटी और अधिकारों पर हमले मुर्दाबाद!”, तथा इसी तरह के और भी नारे थे। उन्होंने और भी नारों के बैनर और प्लेकार्ड लिए हुए थे।
सभा में महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न के आरोपी भाजपा सांसद की तत्काल गिरफ़्तारी करके उस पर मुक़दमा चलाने की मांग की गई। 28 मई को जंतर-मंतर पर कर्फ्यू जैसी स्थिति बनाये जाने की सभा में कड़ी निंदा भी की गई। प्रदर्शनकारी पहलवानों और कई कार्यकर्ताओं के बचाव में होने वाली “महिला सम्मान महापंचायत” में मज़दूरों, किसानों, महिलाओं और नौजवानों के संगठनों को शामिल होने से रोका गया तथा उन्हें कई घंटे तक पुलिस की हिरासत में रखा गया। इस सभा को रोकने के राज्य के प्रयासों की भी निंदा की गई।
कार्यस्थल पर और समाज में महिलाओं के साथ होने वाले यौन उत्पीड़न और हिंसा के ख़िलाफ़ सभा में एक जुझारू आवाज़ बुलंद की गई।
सभा को संबोधित करने वाले प्रतिभागी संगठनों के प्रतिनिधियों ने हिन्दोस्तानी राज्य द्वारा मज़दूरों, किसानों, महिलाओं और नौजवानों की आजीविका और अधिकारों पर हो रहे चौतरफा हमलों की निंदा की। उन्होंने बताया कि राज्य के सभी संस्थान स्पष्ट रूप से सबसे बड़े इजारेदार पूंजीवादी कारपोरेट घरानों के हितों की रक्षा करते हैं। क़दम-क़दम पर लोगों के अधिकारों और हितों का हनन होता है। विरोध करने के अधिकार को कुचला जा रहा है।
सभा का समापन इस आह्वान के साथ हुआ कि – मौजूदा व्यवस्था में उत्पीड़ितों और शोषितों के सभी तबकों का एकजुट संघर्ष तथा मेहनतकशों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए एक नई व्यवस्था के निर्माण के दृष्टिकोण से किया जाने वाला एकजुट संघर्ष ही – आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता है।
जिन ट्रेड यूनियनों और मजदूर संगठनों ने रैली का आह्वान किया था, उनमें शामिल थे – मज़दूर एकता कमेटी (एम.ई.सी.), एटक, एच.एम.एस., सीटू, ए.आई.यू.टी.यू.सी., टी.यू.सी.सी., सेवा, ए.आई.सी.सी.टी.यू., एल.पी.एफ., यू.टी.यू.सी., आई.सी.टी.यू. और आई.एफ.टी.यू.।
जिन महिला संगठनों ने संयुक्त रूप से रैली का आह्वान किया था, उनमें शामिल थे – ए.आई.डी.डब्ल्यू.ए., एन.एफ.आई.डब्ल्यू, ए.आई.पी.डब्ल्यू.ए., पुरोगामी महिला संगठन, ए.आई.एम.एस.एस., सहेली, प्रगतिशील महिला संगठन, सी.एस.डब्ल्यू. और आई.सी.डब्ल्यू.एम.।