5 फरवरी, 2011 को नस्लवादी और फासीवादी संगठन इ.डी.एल. ने मुसलमान धर्म के लोगों को निशाना बनाते हुए लूटन में एक भड़काऊ कार्यक्रम आयोजित किया। लूटन में मुसलमान समुदाय के काफी लोग रहते हैं। यूनाइट अगेंस्ट फासिज्म (यू.ए.एफ.) ने इस भड़काऊ कार्यक्रम का विरोध करते हुए इसके खिलाफ़ प्रदर्शन आयोजित किया।
5 फरवरी, 2011 को नस्लवादी और फासीवादी संगठन इ.डी.एल. ने मुसलमान धर्म के लोगों को निशाना बनाते हुए लूटन में एक भड़काऊ कार्यक्रम आयोजित किया। लूटन में मुसलमान समुदाय के काफी लोग रहते हैं। यूनाइट अगेंस्ट फासिज्म (यू.ए.एफ.) ने इस भड़काऊ कार्यक्रम का विरोध करते हुए इसके खिलाफ़ प्रदर्शन आयोजित किया।
यू.ए.एफ. ने शहर के बीचों-बीच 2000 लोगों की एक रैली आयोजित की और साथ ही लूटन का मुसलमान बहुल इलाका बरी पार्क में 3000 लोगों को लामबंद किया ताकि इ.डी.एल. के संभावित हमलों के खिलाफ़ समुदाय की रक्षा की जा सके।
इस रैली में सैकड़ों की तादाद में फासीवाद और नस्लवाद विरोधी कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया और कई लोगों और संगठनों ने इसका समर्थन किया। तमाम वक्ताओं ने इ.डी.एल. और नस्लवादी ब्रिटिश नेशनल पार्टी (बी.एन.पी.) का विरोध प्रकट किया। उन्होंने कहा कि इस रैली में मेहनतकश लोग और सभी समुदायों के लोगों ने हिस्सा लिया है, यह इस बात का सबूत है कि हम सभी फासीवाद को बढ़ावा देने के खिलाफ़ और मेहनतकश लोगों पर हमलों के खिलाफ़ एकजुट हैं।
शहर के बीचों-बीच चारों ओर यूनाइट, यूनिसन, सी.डब्लू.यू., पी.सी.एस., टी.एस.एस.ए. और एन.यू.टी. और स्थानीय टे्रड काउंसिलों के बैनर लगे हुए थे। सिख अगेंस्ट इंग्लिश डिफेन्स लीग के बैनर सहित उनके प्रतिनिधिमंडल का लोगों ने जोरदार स्वागत किया, जो मुसलमान समुदाय के प्रति एकजुटता प्रकट करने आया था।
इजारेदार पूंजीवाद के चलते ब्रिटेन गहरे अप्रत्याशित आर्थिक संकट में फंसा हुआ है। संसद में बैठे इजारेदार पूंजीपतियों के नुमाइंदे पैसे न होने का बहाना बनाकर सार्वजनिक सेवाओं में कटौती कर रहे हैं और संकट का बोझ लोगों पर डाल रहे हैं। इसके साथ-साथ बड़े वित्तीय संस्थानों के मुनाफों को बढ़ाने के लिए अरबों पौंड इन संस्थानों को दिया जा रहा है। इजारेदार पूंजीवाद द्वारा संकट का बोझ लोगों पर डालने की इस कोशिश का लोग जबरदस्त प्रतिरोध कर रहे हैं। शिक्षा के लिए फीस में बढ़ोतरी के थोपे जाने के खिलाफ़ विद्यार्थी लड़ रहे हैं। मेहनतकश लोग राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा और अन्य सामाजिक सेवाओं के वापस लिए जाने के खिलाफ़ लड़ रहे हैं।
ब्रिटिश राज्य जो कि इजारेदार पूंजीपतियों के हितों में काम करता है, लोगों पर संकट का बोझ डालने के लिए और इससे उनका ध्यान हटाने के लिए नस्लवाद का इस्तेमाल करता है, और लोगों को एक-दूसरे के खिलाफ़ लड़ाता है। इस वक्त वह ख़ास तौर से मुसलमान धर्म के लोगों के खिलाफ़ निशाना साध रहा है। सरमायदारी मीडिया इ.डी.एल. और बी.एन.पी. जैसे नस्लवादी और फासीवादी संगठनों का बहुत प्रचार करता है, जो कि मुसलमान समुदाय के लोगों को आतंकवादी और रुढ़िवादी करार देकर उनके खिलाफ़ प्रचार करते हैं।
मुख्यधारा की मीडिया इन संगठनों के जहरीले प्रचार को फैलाता है। यह मीडिया इंसाफ के लिए एकजुट मेहनतकश लोगों के फासीवाद और नस्लवाद के खिलाफ़ संघर्ष को बहुत कम प्रसारित करता है। मीडिया लोगों के संघर्षों को दरकिनार करता है और इजारेदार पूंजीवाद के खिलाफ़ संघर्ष को कमजोर बनाने की कोशिश करता है।
सिख समुदाय के नौजवानों ने इ.डी.एल. के खिलाफ़ रैली में शान से हिस्सा लिया। ढोल बजाते हुए जब वे शहर के केंद्रीय चौक में आये, तो लोगों ने उनका जोरदार स्वागत किया। ब्रिटिश राज्य द्वारा इ.डी.एल. और बी.एन.पी. के जरिये सिखों और मुसलमानों को एक दूसरे के खिलाफ़ भड़काने की चाल को जबरदस्त धक्का लगा। सिख और मुसलमान भाई एक दूसरे के साथ गले मिले और एक दूसरे के प्रति लगाव उनकी आखों से छलक पड़ा, जो कि सदियों की आज़ादी के लिए और दमन के खिलाफ़ सांझे संघर्ष का नतीजा है।
सिख समुदाय की ओर से बात रखते हुए विरेन्द्र सिंह ने कहा कि मानव अधिकार और जमीर के हक की हिफ़ाजत करने की सिखों की दूसरे विश्वयुध्द के समय से गौरवशाली परंपरा रही है। यह कैसे हो सकता है कि सिख इ.डी.एल. के फासीवाद और नस्लवाद का विरोध न करे, उन्होंने पूछा।
विरेन्द्र सिंह ने कहा कि सिखों की ज़मीर के अधिकार समेत सभी मानव अधिकारों की हिमायत करने की गौरवपूर्ण परंपरा है। यह कैसे हो सकता है कि सिख मुसलमान समुदाय पर हो रहे हमलों का विरोध न करें?
उन्होंने कहा कि फासीवाद की चाल का पर्दाफाश किया, जिससे वह अलग-अलग समय पर मुसलमान, सिख और अन्य समुदायों पर हमला करता है, जैसे कि हिटलर ने जर्मनी में अपना नाज़ी शासन बनाने के लिए किया था।
उन्होंने उन फासीवादी गद्दारों की निंदा की जो इ.डी.एल. जैसे संगठनों में शामिल हो गए हैं और कहा कि ऐसे गद्दारों का पर्दाफाश किया जाना चाहिए और उन्हें सज़ा दी जानी चाहिए।
ग़दर इंटरनेशनल के सलविंदर ने रैली को संबोधित करते हुए कहा कि एक पर हमला मतलब सभी पर हमला है। उन्होंने कहा कि मुसलमान या किसी और समुदाय की मान और मर्यादा पर हमला यानि हम सभी पर हमला है। 1947 में ब्रिटिश उपनिवेशवादियों और उनके एजेंटों द्वारा हिन्दोस्तानी उपमहाद्वीप में आयोजित सांप्रदायिक कत्लेआम में 30 लाख से ज्यादा लोगों की जानें गयीं। लेकिन हम इ.डी.एल. और बी.एन.पी. और ब्रिटिश राज्य के अन्य एजेंटों को ब्रिटेन में अपना जहर फ़ैलाने और सांप्रदायिक टकराव पैदा करने नहीं देंगे। उन्होंने कहा कि हम नस्लवाद के खिलाफ़ कंधे से कंधे मिलाकर लड़ते हुए ब्रिटेन में एक नयी साँझी पहचान बना रहे हैं, और यह लड़ाई ब्रिटेन के सभी लोगों के लिए सुख और रोजगार के संघर्ष का हिस्सा है।
उन्होंने कहा कि ब्रिटिश पहचान एक साथ संघर्ष करते हुए ही मजबूत होगी, वह चाहे विद्यार्थियों पर अत्यधिक फीस थोपे जाने के खिलाफ़ संघर्ष हो, या नि:शुल्क सार्वजनिक सेवाओं, शिक्षा, आवास, साफ़ पर्यावरण और रोजगार की गारंटी का संघर्ष हो। सुख और सुरक्षा के साथ जीने का अधिकार हमारा मूलभूत अधिकार है और समाज-विरोधी हमलों के खिलाफ़ हम एकजुट होकर संघर्ष करेंगे।
उन्होंने कहा कि नस्लवाद के खिलाफ़ संघर्ष मजदूर वर्ग के संगठनों और स्थानीय संगठनों में निहित होना चाहिए। ब्रिटिश राज्य जो कि इजारेदार पूंजीपति वर्ग का राज्य है, आम लोगों की आर्थिक समस्याओं का हल नहीं कर सकता। मजदूर वर्ग इन समाज-विरोधी हमलों के खिलाफ़ एकजुट हो रहा है और स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर अभियान विकसित कर रहा है। लोगों की भलाई के लिए खर्च करना भविष्य के लिए निवेश करने जैसा है। लोगों द्वारा पैदा किये गये धन का सभी को सार्वजनिक सेवाएं देने के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए। हमें इस संघर्ष को एक नया समाज बनाने की दिशा में ले जाना चाहिए, जहाँ नस्लवाद ख़त्म हो जायेगा और सामाजिक समानता होगी। यह एक ऐसा समाज होगा, जहाँ लोगों द्वारा पैदा किये गये धन का इस्तेमाल सभी को सुख और सुरक्षा देने और लोगों का आर्थिक और सांस्कृतिक स्तर लगातार ऊँचा उठाने के लिए किया जाएगा। यह एक सच्चा लोकतंत्र होगा जहाँ लोग अपने जीवन पर असर डालने वाली नीतियों पर खुद फैसला करेंगे। हमें ऐसा समाज बनाने के लिए एक आन्दोलन खड़ा करना होगा।