मज़दूर एकता कमेटी के संवाददाता की रिपोर्ट
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने दिसंबर 2021 में तीन केंद्रीय कृषि क़ानूनों को वापस लेने के बारे में यह अंदाजा लगाया था कि इससे किसान आंदोलन ख़त्म हो जाएगा। फिर भी, किसानों ने अपनी आजीविका को सुरक्षित करने के अपने अधिकार के लिए लड़ाई जारी रखी है। उनके संघर्ष ने विभिन्न रूप धारण किए हैं जो हर राज्य और जिला स्तर पर चल रहे हैं।
30 अप्रैल, 2023 को दिल्ली में आयोजित संयुक्त किसान मोर्चा (एस.के.एम.) की राष्ट्रीय बैठक में देशभर के किसानों की यूनियनों के 200 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस बैठक में आने वाले महीनों में संघर्ष को तेज़ करने के कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। बैठक में निर्णय लिया गया कि 26 से 31 मई तक सभी राज्यों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन और आंदोलन आयोजित किए जाएंगे। इनके ज़रिये प्रमुख मुद्दों पर प्रकाश डाला जाएगा, जिनमें शामिल हैं :
- सभी कृषि उत्पादों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी देने वाला क़ानून
- क़र्ज़ माफ़ी
- किसानों और कृषि श्रमिकों के लिए पेंशन
- व्यापक फ़सल बीमा योजना लागू करना
- लखीमपुर खीरी में किसानों की हत्या के लिए ज़िम्मेदार केंद्रीय मंत्री के बेटे की गिरफ़्तारी
- किसानों के खि़लाफ़ झूठे मुक़दमे वापस लें
- आंदोलन में जान गंवाने वाले किसानों के परिवारों को मुआवज़ा देना
बैठक में निर्णय लिया गया कि किसान संगठन सभी सांसदों को उनके निर्वाचन क्षेत्रों में ज्ञापन सौंपेंगे, कि मई से जुलाई के महीनों के बीच पूरे देश में राज्य और जिला स्तर पर सम्मेलन आयोजित किये जायेंगे, ताकि और ज़्यादा लोगों को लामबन्ध किया जा सके। यह भी निर्णय लिया गया कि बड़े कारपोरेट घरानों के पक्ष में और मज़दूरों व किसानों के हितों की बलि चढ़ाने वाली केंद्र सरकार की नीतियों के खि़लाफ़, 1-15 अगस्त के बीच मज़दूर और किसान यूनियनों का संयुक्त रूप से लोगों को विरोध प्रदर्शन आयोजित किया जायेगा।
एस.के.एम. की राष्ट्रीय बैठक ने मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना सहित उन राज्यों पर ध्यान केंद्रित करते हुए सितंबर और नवंबर के बीच पूरे देश में सर्व हिन्द यात्राएं आयोजित करने का फ़ैसला किया, जहां विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। तीन अक्तूबर, जिस दिन लखीमपुर खीरी में किसानों की हत्या हुई थी, उस दिन पूरे देश में शहीदी दिवस आयोजित किया जाएगा। 26 नवंबर को सर्व हिन्द विजय दिवस मनाया जाएगा, जिस दिन 2020 में दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के ऐतिहासिक विरोध प्रदर्शन की शुरुआत हुई थी। सभी राज्यों की राजधानियों में कम से कम 3 दिनों के लिए दिन-रात के धरने आयोजित किए जाएंगे।
एस.के.एम. की राष्ट्रीय बैठक में निम्नलिखित संकल्प लिए गए :
(क) डब्ल्यू.एफ.आई. अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ़्तारी की मांग को लेकर जंतर-मंतर पर धरने पर बैठी महिला पहलवानों का समर्थन;
(ख) किसान आंदोलन और एस.के.एम. के दृढ़ समर्थक रहे पूर्व राज्यपाल सत्य पाल मलिक के खि़लाफ़ सी.बी.आई. जैसी केंद्रीय एजेंसियों के इस्तेमाल की निंदा;
(ग) केंद्र सरकार द्वारा दिल्ली की सीमाओं पर किसान आंदोलन को समर्थन देने और योगदान देने के लिए, हिन्दोस्तान के डाक मज़दूरों की सबसे पुरानी यूनियनों – नेशनल फेडरेशन ऑफ पोस्टल एम्प्लॉइज और ऑल इंडिया पोस्टल एम्प्लॉइज यूनियन – की मान्यता रद्द करने की निंदा, और
(घ) डाक मज़दूरों की यूनियनों के साथ एकजुटता व्यक्त करना।
हमारे देश में मज़दूरों और किसानों के लिए आगे का रास्ता है बड़े पूंजीपतियों और उनकी सरकार के खि़लाफ़ अपनी संघर्षरत एकता को मजबूत करने का रास्ता।
जीवन का अनुभव दिखाता है कि हमारी मांगें तब तक पूरी नहीं होंगी जब तक पूंजीपति वर्ग राज्य तंत्र और सरकार के सभी फ़ैसलों पर नियंत्रण रखेगा। अपनी तात्कालिक मांगों के लिए संघर्ष करने के सिलसिले में, हम मज़दूरों और किसानों को एक ऐसी राजनीतिक ताक़त बनना होगा जो पूंजीपति वर्ग को सत्ता से हटाने और हिन्दोस्तान की बागडोर को अपने हाथों में लेने में सक्षम हो।
मज़दूरों और किसानों की सत्ता कृषि और पूरे समाज को संकट से उबारने का रास्ता खोलेगी। मज़दूरों और किसानों की सरकार कृषि की लागत वस्तुओं की विश्वसनीय आपूर्ति, उनके वास्तविक मूल्यों पर करेगी और सभी कृषि उत्पादों की लाभकारी क़ीमतों पर सार्वजनिक ख़रीद की गारंटी देगी। यह सार्वजनिक ख़रीद प्रणाली को सार्वजनिक वितरण प्रणाली से जोड़ेगी, जो सभी के लिए उचित क़ीमतों पर उपभोग की सभी आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए उपयुक्त होगी।