कोरियाई प्रायद्वीप में अमरीका और दक्षिण कोरिया के सशस्त्र बलों को शामिल करते हुए एक विशाल सैन्य अभ्यास शुरू किया गया है। यह अभ्यास जल, थल और हवा में किए जा रहे हैं। इन अभ्यासों का लक्ष्य उत्तर कोरिया है, जिसे डेमोक्रेटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया (डी.पी.आर.के.) के नाम से भी जाना जाता है। इस साल के मार्च और अप्रैल में किये गये ये अभ्यास पिछले कई वर्षों के सबसे बड़े अभ्यासों में से एक है।
साल दर साल सैन्य अभ्यास का उद्देश्य दक्षिण कोरिया की रक्षा करना बताया जाता रहा है। इस साल यह दिखावा भी त्याग दिया गया है। खुली घोषणाएं की गई हैं कि उनका उद्देश्य डेमोक्रेटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया (डी.पी.आर.के.) के खि़लाफ़ युद्ध छेड़ना, उसकी राजधानी प्योंगयांग पर क़ब्ज़ा करना, डी.पी.आर.के. की सरकार को उखाड़ फेंकना और शासन परिवर्तन करना है।
अमरीका अपने परमाणु रणनीतिक बमवर्षकों, स्टेल्थ लड़ाकू विमानों और एक कैरियर स्ट्राइक ग्रुप का इस्तेमाल करके एक बेहद ख़तरनाक स्थिति पैदा कर रहा है। वर्तमान युद्ध अभ्यास इस प्रकार किया जा रहा है जैसे कि अमरीका द्वारा डी.पी.आर.के. पर एक चौतरफा आक्रमण किया जा रहा हो। रिपोर्टों के अनुसार, अमरीका ने ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया जैसे अपने सहयोगियों की विशेष युद्ध इकाइयों के साथ कोरियाई प्रायद्वीप में अपने सैन्य बलों को मजबूत किया है। अमरीका ने जापान और दक्षिण कोरिया के साथ एक संयुक्त नौसैनिक अभ्यास भी किया है।
अमरीका ने घोषणा की है कि वर्तमान युद्ध अभ्यास को जून 2023 में अब तक का सबसे बड़ा “संयुक्त गोलाबारी विनाश अभ्यास“ करने के लिए आगे बढ़ाया जाएगा।
अमरीकी साम्राज्यवाद वैश्विक मीडिया पर अपने प्रभुत्व का इस्तेमाल करके डी.पी.आर.के. की सरकार को कोरियाई प्रायद्वीप में युद्ध के स्रोत के रूप में चित्रित करता रहा है। यह प्रचार इस तथ्य पर प्रकाश डालता है कि उत्तर कोरिया के पास परमाणु हथियार हैं और उनका परीक्षण करता है। यह प्रचार इस तथ्य पर परदा डालता है कि अमरीकी साम्राज्यवाद के पास घातक परमाणु हथियारों का सबसे बड़ा भंडार है, जो दुनिया के बड़े हिस्से में बड़े पैमाने पर विनाश करने में सक्षम है। यह प्रचार इस तथ्य को भी छुपाता है कि अमरीका पिछले 70 वर्षों से डी.पी.आर.के. को परमाणु विनाश की धमकी देता आ रहा है। इस स्थिति को देखते हुए, उत्तर कोरिया को अमरीकी साम्राज्यवाद से अपनी भूमि और लोगों की रक्षा के लिए अपने खुद के परमाणु हथियारों को विकसित करने का पूरा अधिकार है।
कोरियाई लोग इतिहास के सबकों को नहीं भूले हैं। उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के अंत में अपने देश को जापानी क़ब्ज़ाकारी ताक़तों से मुक्त कराया था। हालांकि, अमरीकी साम्राज्यवाद नहीं चाहता था कि कोरियाई लोग अपना भविष्य खुद तय करें। जिसकी वजह से 1950 में कोरियाई युद्ध की शुरुआत हुई। 1953 तक चले इस युद्ध में, अमरीकी साम्राज्यवादियों और उसके सहयोगियों ने कोरियाई लोगों के खि़लाफ़ अनगिनत अपराध किए। तीस लाख से अधिक लोग मारे गए और देश का विभाजन हुआ, अमरीका ने दक्षिण कोरिया पर सैन्य क़ब्ज़ा कर लिया और वहां एक कठपुतली सत्ता स्थापित कर दी। अनुमान लगाया गया है अमरीका के 28,000 सैनिक अभी भी कोरियाई धरती पर तैनात हैं। कोरियाई राष्ट्र आज तक विभाजित है। कोरियाई युद्ध की समाप्ति के सत्तर साल बाद भी अमरीका ने डी.पी.आर.के. के साथ शांति संधि पर हस्ताक्षर करने से इनकार किया है।
उत्तरी और दक्षिणी कोरिया दोनों देशों के कोरियाई लोग अपने देश के शांतिपूर्ण पुनर्मिलन के लिए संघर्ष कर रहे हैं। वे उत्तर कोरिया के खि़लाफ़ अमरीका द्वारा आयोजित सैन्य उकसाहटों को समाप्त करने की मांग कर रहे हैं। हालांकि अमरीकी साम्राज्यवादी और उसके सहयोगी कोरिया के शांतिपूर्ण पुनर्मिलन के खि़लाफ़ हैं। अगर कोरियाई प्रायद्वीप में दोनों देशों का पुनः एकीकरण हो जायेगा तो अमरीकी साम्राज्यवाद के लिए अपने सशस्त्र बलों को लगातार तैनात रखने की सफ़ाई देना मुश्किल हो जायेगा। अमरीकी साम्राज्यवाद दक्षिण कोरिया और जापान में स्थित अपने सैनिक अड्डों का इस्तेमाल उत्तर कोरिया को निशाना बनाने के लिये और पूर्व से चीन को घेरने के लिए करना चाहता है।
अमरीका द्वारा कोरियाई प्रायद्वीप का बढ़ता सैन्यीकरण एशिया में उसकी युद्ध की तैयारियों का हिस्सा है। जिसका उद्देश्य है पूरे एशिया और दुनिया पर अपना निर्विवाद प्रभुत्व सुनिश्चित करना। यह शांति के लिए गंभीर ख़तरा है। कोरियाई प्रायद्वीप में और पूरी दुनिया में अमरीकी साम्राज्यवादी युद्ध की तैयारियों का सभी शांतिप्रिय लोगों द्वारा विरोध किया जाना चाहिए।