वर्कर्स यूनिटि मूवमेंट के संवाददाता की रिपोर्ट
1 मई, 2023 को हिन्दोस्तान में पहली बार मनाये गये मई दिवस के समारोह की शताब्दी को मनाया गया। ठीक सौ साल पहले, मज़दूरों ने चेन्नई (तब मद्रास के नाम से जाना जाता था) में लाल झंडा फहराया था। इसलिए, इस वर्ष के मई दिवस का मज़दूरों के लिए बहुत महत्व है। अपने अधिकारों के लिए हिन्दोस्तान के मज़दूर वर्ग के एकजुट संघर्ष को इस वर्ष के मई दिवस पर सौ साल पूरे होते हैं। यह संघर्ष पहले उपनिवेशवादी शासकों के खि़लाफ़ था और आज़ादी के बाद से हिन्दोस्तानी शासक वर्ग के खि़लाफ़ लगातार जारी है।
तमिलनाडु सरकार ने देशी और विदेशी पूंजीपतियों के कहने पर, काम के दिन के घंटों की अवधि को बढ़ाकर 12 घंटे करने का क़ानून पारित किया है। इस मज़दूर विरोधी-क़ानून के खि़लाफ़ मज़दूरों के सभी तबकों और सभी ट्रेड यूनियनों द्वारा किये गए ज़ोरदार विरोध ने सरकार को पीछे हटने और क़ानून को वापस लेने के लिए मजबूर कर दिया है। तमिलनाडु में मज़दूरों ने मई दिवस को बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाया। मज़दूरों ने अपने अधिकारों के लिए अपने एकजुट संघर्ष को और ज्यादा तेज़ करने का संकल्प लिया।
तोड़ीलालार ओट्ट्रूमई इयक्म (मज़दूर एकता आंदोलन) ने फैक्ट्रियों के गेटों पर, मज़दूरों की कालोनियों तथा मज़दूरों की सभाओं व प्रदर्शनों में, मई दिवस के आह्वान के पर्चे को वितरित किया।
दवा उद्योग, इंजीनियरिंग उद्योग, कपड़ा मिलों, बर्तन बनाने वाले कारख़ानों में, मज़दूरों के बीच इस पर्चे को वितरित किया गया। 12 घंटे के काम के दिन के विरोध में वूमन वर्कर्स यूनियन द्वारा आयोजित एक जनसभा में भी ये पर्चे वितरित किये गये। तमिलनाडु की सबसे पुरानी कंपनियों में से एक सिम्पसन कंपनी के मज़दूरों के बीच भी ये पर्चे वितरित किये गये।
पाडी में टी.वी.एस. समूह की कंपनियों – ब्रेक्स इंडिया, सुंदरम क्लेटन और सुंदरम फास्टनर्स – के मज़दूरों के बीच इन पर्चां को वितरित किया गया। इन कंपनियों में बहुत बड़ी संख्या में नौजवान मज़दूर है, जिन्हें अप्रेंटिस के तौर पर रखा गया है और उनका अत्याधिक शोषण किया जाता है। रॉयल इनफील्ड फैक्ट्री और यामाहा टेक्नोलॉजी पार्क के मज़दूरों के बीच भी तोड़ीलालार ओट्ट्रुमई इयक्म (मज़दूर एकता आंदोलन) के पर्चें वितरित किए गए। ऑटोमोबाइल उद्योग के लिए इलेक्ट्रिकल सर्किट बनाने वाली कंपनी याजाकी में बड़ी संख्या में नौजवान महिला और पुरुष मज़दूरों को काम पर रखा गया है, जिनमें से ज्यादातर को प्रशिक्षु के रूप में और अस्थायी तौर पर रखा जाता है, उस कंपनी के मज़दूरों के बीच भी ये पर्चे वितरित किए गए।
वर्तमान राज्य व्यवस्था के खि़लाफ़ हर जगह मज़दूरों के बीच व्याप्त गुस्सा बहुत ही स्पष्ट तौर पर देखा जा सकता है। वे इस वर्तमान व्यवस्था का विकल्प तलाश रहे हैं। वे मांग कर रहे हैं कि सभी मज़दूर संगठन एक मंच पर आकर, आगे का रास्ता दिखाएं।
मई दिवस के अवसर पर वी.एच.एस. अस्पताल के गेट पर आयोजित सभा में, मज़दूर एकता आंदोलन (डब्ल्यू.यू.एम.) के साथियों ने हिस्सा लिया। वी.एच.एस. वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष कॉमरेड रामकृष्णन, यूनियन के कार्यकर्ता कॉमरेड वेलू और डब्ल्यू.यू.एम. के कॉमरेड भास्कर ने सभी मज़दूरों का अभिवादन किया। उन्होंने मज़दूरों के पिछले संघर्षों को याद किया। उन्होंने मज़दूर-विरोधी श्रम संहिताओं और मज़दूरों के अधिकारों पर अन्य हमलों के बारे में बताया। उन्होंने मज़दूरों से इन हमलों के खि़लाफ़ लड़ने के लिए अपनी एकता बनाने और मजबूत करने का आह्वान किया।
मज़दूर एकता आंदोलन (डब्ल्यू.यू.एम.) के साथियों ने राणे इंजन वाल्व वर्कर्स यूनियन द्वारा अपनी यूनियन के कार्यालय में आयोजित की गई मई दिवस की सभा में भी भाग लिया।
ऑल इंडिया ए.एस.एल. नेशनल एविएशन वर्कर्स यूनियन द्वारा आयोजित मई दिवस की सभा में भी डब्ल्यू.यू.एम. के साथियों ने भाग लिया। लाल झंडा फहराने के बाद, यूनियन के सचिव कामरेड पी. रमेश ने एयर इंडिया और ए.टी.एस.एल. में वर्तमान हालातों के बारे में बताया। उन्होंने मज़दूरों की एकता को मजबूत करने की आवश्यकता की ओर इशारा किया। डब्ल्यू.यू.एम. के कामरेड भास्कर ने डब्ल्यू.यू.एम. के उद्देश्य के बारे में बताया और पूंजीवादी हमलों के खि़लाफ़ हिन्दोस्तान के सभी मज़दूरों की एकता बनाने की तत्काल आवश्यकता के बारे में बताया।
डब्ल्यू.यू.एम. के कार्यकर्ताओं ने चेंगलपेट में मई दिवस की रैली में भाग लिया और शाम को एटक और सीटू द्वारा आयोजित सभा में भाग लिया।
कई कारख़ानों में मज़दूरों ने 8 घंटे के काम के दिन को बढ़ाकर 12 घंटे के काम के दिन को करने के मज़दूर-विरोधी संशोधन के संबंध में अपनी चिंता व्यक्त की। उन्होंने सरकार द्वारा पूंजीपतियों के समर्थन में उठाये गये इस क़दम का पुरजोर विरोध किया। मज़दूरों के बीच पैदा किये गए बंटवारे का भी उन्होंने विरोध किया। उन्होंने पूरे मज़दूर वर्ग को एकजुट करने और सभी मज़दूर यूनियनों को एक-दूसरे के साथ काम करने तथा पूंजीपतियों और उनकी सरकारों के खि़लाफ़ अपनी सारी ऊर्जा केंद्रित करने की गहरी इच्छा व्यक्त की।
कई फ़ैक्टरी गेटों पर उन कंपनियों के प्रबंधन ने, डब्ल्यू.यू.एम. के कार्यकर्ताओं को उनकी फ़ैक्टरियों के मज़दूरों के साथ बात करने से रोकने की कोशिश की। सरकार द्वारा समर्थित पूंजीपति मालिक इस तरह से पेश आते हैं, जैसे कि पूरा देश उनकी निजी संपत्ति है। डब्ल्यू.यू.एम. के कार्यकर्ताओं ने बड़ी बहादुरी के साथ, इन धमकियों के बावजूद और उनका विरोध करते हुये फ़ैक्टरी गेटों पर अपने पर्चे वितरित किये।
पूंजीपतियों का ऐसा व्यवहार और अहंकार इस बात को सामने ला रहा है कि सभी ट्रेड यूनियनों और मज़दूर वर्ग के संगठनों को अपनी मजबूत एकता बनानी होगी। हमें अपने बीच की संकीर्ण सांप्रदायिक मानसिकता को हराना होगा, जो हमारे बीच में फूट डालने वाले और हमारे मूलभूत अधिकारों पर, मज़दूर वर्ग और उसके संगठनों पर, इस तरह के हमलों को और भी तेज़ करने में केवल पूंजीपतियों की ही मदद करता है। इन सभी हमलों का एकजुट होकर सामना करने की तत्काल आवश्यकता को हमारे सामने ला रहा है। हमें पूंजीपतियों की ऐसी धमकियों के खि़लाफ़, मज़दूर वर्ग और उसके अधिकारों की रक्षा के लिए, पर्चे निकालने और उन्हें हर फैक्ट्री में व्यापक रूप से वितरित करने के बारे में सोचना चाहिए और करना चाहिए। मज़दूर एकता आंदोलन, पूरे मज़दूर वर्ग और उसके संगठनों को पूंजीपति वर्ग के खि़लाफ़ एकजुट करने के उद्देश्य से काम कर रहा है।
होसुर में कंसाई नेरोलैक वर्कर्स यूनियन ने पहल की और मावा फार्मा वर्कर्स यूनियन, टेरेक्स एम्प्लॉइज यूनियन, वेघ इंडस्ट्रीज वर्कर्स यूनियन और जीई एम्प्लॉइज यूनियन के साथ मिलकर मई दिवस की रैली और सभा का आयोजन किया। रैली में उन्होंने काम के दिन को 12 घंटे का करने के श्रम क़ानून संशोधन को और चार श्रम संहिताओं को पूरी तरह से वापस लेने की मांग की। उन्होंने ठेका मज़दूरी को समाप्त करने और अस्थायी तौर पर रखे गए प्रशिक्षु मज़दूरों आदि के रूप में रखे गए सभी मज़दूरों को स्थायी नौकरी पर रखने की मांग की। अशोक लेलैंड कर्मचारी संघ के द्रविड़ वर्कर्स यूनियन सहित मई दिवस के कार्यक्रम में भाग लेने वाले सभी ट्रेड यूनियनों के नेताओं ने पूरे देश में मज़दूर वर्ग की एकता को बनाने और मजबूत करने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।
कोयंबटूर में सी.ओ.आई.टी.यू., 108 एम्बुलेंस मज़दूर यूनियन और सी.डब्ल्यू.पी. ने मई दिवस की रैली और सभा का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में मज़दूरों ने बड़ी संख्या में हिस्सा लिया। मज़दूरों ने मांग की कि सरकार मज़दूर-विरोधी 12 घंटे के काम के दिन के संशोधन और नई श्रम संहिताओं को वापस ले, सभी अस्थायी और ठेका मज़दूरों के लिए स्थायीकरण, 108 एम्बुलेंस मज़दूरों सहित सभी चिकित्सा कर्मचारियों के लिए उचित वेतन आदि मांगें पेश कीं। बैठक में मज़दूरों की एक जुझारू एकता बनाने का आह्वान किया गया।
चेन्नई, कोयम्बटूर, मदुरै और जिला मुख्यालयों जैसे शहरों के अलावा, ग्रामीण क्षेत्रों सहित पूरे तमिलनाडु में औद्योगिक और कृषि मज़दूरों की उत्साहपूर्ण भागीदारी के साथ, कई स्थानों पर मई दिवस के समारोह आयोजित किए गए।
तुतीकुड़ी जिले में, तुतीकुड़ी-थिरुचेंदूर राजमार्ग पर उप्पुवयल तोड़ीलार आवासीय क्षेत्र में मई दिवस का समारोह आयोजित किया गया था। यह असंगठित मज़दूरों की फेडरेशन (यू.डब्ल्यू.एफ.) द्वारा आयोजित किया गया था। यू.डब्ल्यू.एफ. के नेताओं में से एक, कॉमरेड कृष्णमूर्ति ने इस सभा की अध्यक्षता और संचालन किया। मई दिवस की सभा में कई नमक क्षेत्रों से जुड़े मज़दूरों और स्थानीय कामकाजी लोगों ने भाग लिया। इस सभा में तमिलनाडु विवसाईगल संगम के कॉमरेड सरवानन मुथुवेल ने भी भाग लिया। वक्ताओं ने मई दिवस के इतिहास के बारे में बात रखी और कामरेड सिंगारवेलर सहित मज़दूर वर्ग के उन शहीदों को सम्मानपूर्वक याद किया, जिन्होंने 1923 में चेन्नई में हिन्दोस्तान में पहली बार मई दिवस की सभा का आयोजन किया था। वक्ताओं ने नई श्रम संहिताओं को और काम के दिन को 12 घंटे का करने वाले संशोधन को वापस लेने की भी मांग की। मज़दूरों ने अपने अधिकारों के संघर्ष को तेज़ करने का दृढ़ संकल्प लिया।