एयर इंडिया के पायलटों ने काम करने की नई परिस्थितियों का विरोध किया

एयर इंडिया के पायलटों की दो यूनियनों – इंडियन कमर्शियल पायलट्स एसोसिएशन (आई.सी.पी.ए.) और इंडियन पायलट्स गिल्ड (आई.पी.जी.) ने नए वेतन ढांचे का और टाटा समूह के प्रबंधन द्वारा उन पर थोपे जा रहे काम के नियमों व शर्तों का विरोध किया है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि नए कार्य-अनुबंध के समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए, उन्हें मजबूर किया जाता है तो वे हड़ताल पर चले जाएंगे। उन्होंने इस अनुबंध को ’क्रूर’ करार दिया है।

17 अप्रैल को एयर इंडिया के प्रबंधन ने अपने कर्मचारियों को आंतरिक संचार के ज़रिये सूचित करके, पायलटों के वेतन, काम के नियमों और शर्तों में संशोधन के बारे में बताया था, जो अप्रैल 2023 से लागू होगा। नये नियमों, काम की शर्तां तथा नये वेतन ढांचे के अनुबंध के पत्र को पायलटों और केबिन-क्रू को व्यक्तिगत रूप से भेजा गया था।

प्रबंधन ने नई शर्तों को लेकर पायलटों की यूनियनों के साथ कोई गंभीर चर्चा या बातचीत नहीं की थी। पायलटों के अनुसार, कर्मचारियों के साथ एक वर्चुअल मीटिंग की गई थी जिसका आयोजन प्रबंधन ने नए नियमों और शर्तों की घोषणा करने के लिए किया था। यह प्रबंधन द्वारा किया गया “एकतरफा संवाद“ था। प्रबंधन ने बड़े-बड़े दावे किए कि कैसे ये नई शर्तें पायलटों के लाभ के लिए हैं। लेकिन वर्चुअल चैट में पोस्ट किए गए स्पष्ट और प्रासंगिक सवालों के सीधा-सीधा जवाब किसी ने भी नहीं दिया।

आई.सी.पी.ए. और आई.पी.जी. दोनों मिलकर एयर इंडिया के लगभग 1,700 पायलटों का प्रतिनिधित्व करते हैं। एयर इंडिया के मुख्य मानव संसाधन अधिकारी को 19 अप्रैल को भेजे गये एक संयुक्त पत्र में उन्होंने कहा है कि “… नियम और शर्तें हमें स्वीकार्य नहीं हैं और हम इस उपहास का मुक़ाबला, हमारे पास उपलब्ध सभी तरीक़ों से करेंगे। हमारे सदस्य पायलट नौकरी और भत्तों की इन एकतरफ़ा संशोधित शर्तों पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे।” इसके अलावा, पत्र में कहा गया है कि : “इन क्रूर शर्तों और भत्तों पर हस्ताक्षर करवाने के लिए, हमारे सदस्य पायलटों के खि़लाफ़ कंपनी द्वारा उठाये गये किसी भी कठोर क़दम या उत्पीड़न से औद्योगिक अशांति पैदा होगी।“

पायलटों ने पत्र में यह भी कहा है कि “…एयर इंडिया की सेवा शर्तों में कोई भी बदलाव औद्योगिक क़ानून की रूपरेखा के अनुसार किया जाना चाहिए … एकतरफ़ा रूप से सेवा शर्तों को बदलने और हमारी सदस्यता पर नए नियमों और शर्तों को थोपने की कार्रवाई पूरी तरह से अवैध है। शेयर ख़रीदने के समझौते में एकतरफा बदलाव भी उतना ही अनैतिक और अवैध है, जितना कि छुट्टी और छुट्टी के नकदीकरण को नियंत्रित करने वाली शर्तों में एकतरफा बदलाव।“

एयर इंडिया में टाटा समूह के नए प्रबंधन ने इसके जवाब में कहा है कि एयर इंडिया में कोई मान्यता प्राप्त यूनियन नहीं है। उसने आई.सी.पी.ए. और आई.पी.जी. को मान्यता देने से इंकार कर दिया है। उसने यूनियनों के पत्र को स्वीकार करने से इनकार कर दिया है।

पायलट नए नियमों व शर्तों का विरोध क्यों कर रहे हैं?

इस नये अनुबंध में 40 घंटे की उड़ान समय के लिए एक निश्चित वेतन की पेशकश की गई है। जबकि यह पहले के 70 घंटे की उड़ान के समय में कटौती है, जिसके लिये महामारी से पहले वेतन मिलता था। नई शर्तों से एयर इंडिया, विस्तारा और एयर एशिया के 3,000 पायलट प्रभावित होने वाले हैं।

पायलटों का कहना है कि जब भी कोई पायलट छुट्टी पर होगा या प्रशिक्षण आवश्यकताओं और लाइसेंस के नवीनीकरण के कारण ड्यूटी पर नहीं आ सकेगा, तो इन सबके लिये उसके वेतन में कटौती की जायेगी।

पायलटों ने अनुबंध में दिये गये एक अनुच्छेद का भी विरोध किया है, जिसके मुताबिक पायलटों का ’मज़दूर’ का दर्ज़ा ख़त्म कर दिया जाएगा। दूसरे शब्दों में, पायलटों को अपनी यूनियन बनाने, अपनी मांगों को उठाने या प्रबंधन की नीतियों का विरोध करने के लिए, विरोध प्रदर्शन या हड़ताल में शामिल होने से रोक दिया जाएगा।

पायलट नए अनुबंध में इस शर्त का विरोध कर रहे हैं कि ज़रूरत पड़ने पर पायलटों को ’स्टेंडबाय ड्यूटी’ के लिए हमेशा उपलब्ध रहना होगा। विमान कंपनी का प्रबंधन अब पायलटों को एक निश्चित समय सारणी (रोस्टर) नहीं देगा। जिसके बिना वे अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी को व्यवस्थित नहीं कर पायेंगे। विमान कंपनी के प्रबंधन ने कहा कि “पायलटों से उम्मीद की जाती है कि वे ‘कारोबार की ज़रूरत’ के लिये, अब सातों दिन, चौबिसों घंटे बुलावे पर रहेंगे, यानी कि प्रभावी रूप से स्थायी स्टेंडबाय ड्यूटी पर रहेंगे।” उन्हें लगता है कि इस तरह की नीति से उनके सामाजिक और पारिवारिक जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने बताया है कि पायलट पहले से ही अपने उड़ान कार्यक्रम में दैनिक और प्रति घंटा परिवर्तन की वजह से और साथ ही साथ तत्काल आवश्यकता पड़ने पर भी छुट्टी देने से इनकार किये जाने के कारण बहुत तनाव में हैं। पायलटों का कहना है कि नया प्रबंधन इसे नया मानक बनाना चाहता है।

टाटा समूह ने जनवरी 2022 में एयर इंडिया का अधिग्रहण किया था और हाल ही में उसने अपने बेड़े और नेटवर्क के लिए बड़े पैमाने पर विस्तार करने की योजनाओं की घोषणा की है। उसने दावा किया है कि वह घाटे में चल रही कंपनी को मुनाफ़े में बदल देगा। उसने कप्तानों और प्रशिक्षकों सहित 1,000 से अधिक पायलटों को नियुक्त करने की घोषणा की है। उस विमान कंपनी ने जिसके पास वर्तमान में 1,800 से अधिक पायलट हैं। उसने बोइंग और एयरबस के साथ 470 विमानों की ख़रीद के ऑर्डर दिए हैं जिसमें चौड़े आकार के विमान भी शामिल हैं।

जाहिर है कि पायलटों और अन्य कर्मचारियों के शोषण को काफी हद तक बढ़ाकर टाटा समूह के मुनाफे़ को बढ़ाया जायेगा।

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