हमारी पार्टी के केन्द्रीय समिति के आह्वान पर महाराष्ट्र इलाका समीति ने 12-13 फरवरी को एक कम्युनिस्ट पाठशाला आयोजित की। पार्टी के सदस्यों तथा मित्रों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया। उन्होंने बीते अक्तूबर में हुये, पार्टी के चौथे महाअधिवेशन के कुछ अहम विषयों का अध्ययन किया व उन पर चर्चा की।
हमारी पार्टी के केन्द्रीय समिति के आह्वान पर महाराष्ट्र इलाका समीति ने 12-13 फरवरी को एक कम्युनिस्ट पाठशाला आयोजित की। पार्टी के सदस्यों तथा मित्रों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया। उन्होंने बीते अक्तूबर में हुये, पार्टी के चौथे महाअधिवेशन के कुछ अहम विषयों का अध्ययन किया व उन पर चर्चा की।
प्रथम सत्र में हिन्दोस्तान की वर्तमान आर्थिक व्यवस्था पर प्रस्तुति की गई। यह साफ-साफ दिखाया गया कि हालांकि देश में तरह-तरह के उत्पादन के सम्बंध हैं, परन्तु हिन्दोस्तानी अर्थव्यवस्था का चालक पूंजीवाद है। मेहनतकश जनसमुदाय का सबसे बड़ा हिस्सा मजदूर वर्ग है, जिसमें विनिर्माण, निर्माण, कृषि और सेवा क्षेत्र के विभिन्ना स्तरों के मजदूर, ''स्थाई'' और ठेका मजदूर, निजी कंपनियों व सार्वजनिक क्षेत्र के मजदूर, आदि शामिल हैं। यह मजदूर वर्ग सकल घरेलू उत्पाद का सबसे बड़ा हिस्सा पैदा करता है। शासक वर्ग राज्य की पूरी मदद के साथ मजदूर वर्ग का बेरहम शोषण कर रहा है। यह शोषण दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। हिन्दोस्तानी शासक वर्ग के साम्राज्यवादी मंसूबे हैं और वह इन्हें पूरा करने की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। वह मजदूरों का शोषण जारी रखने और इस शोषण की व्यवस्था को बरकरार रखने के उद्देश्य से, दूसरे देशों के साम्राज्यवादियों के साथ सहयोग और स्पर्धा, दोनों ही करता है। साथ ही साथ, पूंजीवादी कंपनियां किसानों का शोषण भी कर रही हैं और हिन्दोस्तानी कृषि क्षेत्र पर अपने शिकंजे कस रही हैं, जिससे किसानों की हालत बिगड़ती जा रही है।
दूसरी प्रस्तुति हिन्दोस्तानी मजदूर वर्ग आन्दोलन के सामने चुनौतियों पर थी। इसमें हिन्दोस्तानी कम्युनिस्ट आंदोलन के अंदर गलत धाराओं के परिणाम पर चर्चा हुई। इन गलत धाराओं की वजह से, मजदूर वर्ग पूंजीवाद को खत्म करने और समाजवाद व कम्युनिज्म स्थापित करने के अपने ऐतिहासिक लक्ष्य को हासिल करने में सभी शोषित-पीड़ितों का नेता होने के बजाय, बंटा हुआ, भटका हुआ और राजनीतिक तौर पर दरकिनार रह गया है। आज यह वक्त की जरूरत है कि सभी विचारधारात्मक और राजनीतिक अन्तरों पर काबू पाया जाये और मजदूर वर्ग का क्रांतिकारी केन्द्र स्थापित करने की दिशा में काम किया जाये।
अगले दिन के सत्रों में कम्युनिस्ट आंदोलन की उन दो मुख्य संशोधनवादी धाराओं के परिणाम का अध्ययन किया गया, जिनकी वजह से हमारे देश तथा अन्य देशों के मजदूर वर्ग को ऐतिहासिक तौर पर शक्तिहीन किया गया है। क्रुश्चेववादी संसोधनवाद और उसकी संसदीय रास्ते की हिमायत के तबाहकारी परिणामों पर विस्तारपूर्वक बात हुई। माओ त्से तुंग विचारधारा और हिन्दोस्तानी कम्युनिस्ट आंदोलन पर उसके खतरनाक असर पर भी चर्चा हुई।
पाठशाला में भाग लेने वाले सभी सदस्यों ने पार्टी की लाइन और कार्यक्रम पर सक्रियता से चर्चा की। क्रांति और समाजवाद के रास्ते पर सभी शोषितों को अगुवाई देने के लिये मजदूर वर्ग को तैयार करने के इस काम में सभी समान विचार रखने वाले व्यक्तियों को शामिल करने की हिन्दोस्तान की कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी की कोशिशों को सभी ने सराहा।