ब्रिटेन में हड़तालों की लहर

इस साल मार्च के महीने में, सरकार के स्प्रिंग बजट की प्रस्तुति के दिन, ब्रिटेन में अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों के लाखों-लाखों मज़दूरों ने हड़तालों और विरोध प्रदर्शनों का आयोजन किया।

15 मार्च को कम से कम 40,000 मज़दूरों ने मध्य लंदन से जुलूस निकाला। ट्राफलगर स्क्वायर पर एक विशाल विरोध प्रदर्शन में हड़ताली मज़दूरों के विभिन्न समूह एकत्रित हुए।

Demonstration_ in_Britain_London_Trafalgar_square15 और 16 मार्च को नेशनल एजुकेशन यूनियन (एन.ई.यू.) के बैनर तले लगभग 1,00,000 शिक्षकों ने काम बंद कर दिया। 2010 के बाद से उनकी वास्तविक आय में हुई 23 प्रतिशत की गिरावट और बढ़ती महंगाई को देखते हुए, उन्होंने वेतन वृद्धि की मांग की है। शिक्षकों ने मांग की है कि अधिक नई भर्तियां हों, कार्यभार में कमी की जाये, स्कूलों की तत्काल मरम्मत हो और उनमें सुधार किया जाये, नौकरी की सुरक्षा हो और विशेष शैक्षिक आवश्यकताओं की पूर्ति की जाये। ब्रिटेन के शिक्षक बच्चों और युवाओं के बेहतर भविष्य को सुनिश्चित करने के लिए, राज्य द्वारा दिये गये पर्याप्त धन से चलने वाली एक आधुनिक शिक्षा प्रणाली की मांग को लेकर, कई वर्षों से लगातार संघर्ष कर रहे हैं।

ब्रिटिश सरकार ने यह शर्त रखी है कि वेतन और फंडिंग बढ़ाने के लिए, शिक्षकों के साथ किसी भी तरह की बातचीत से पहले, उन्हें हड़ताल वापस लेनी होगी। हड़ताली शिक्षकों ने सरकार के इस रवैये की कड़ी निंदा की है।

पूरे ब्रिटेन में 150 विश्वविद्यालयों के लगभग 70,000 कर्मचारी पिछले 18 दिनों से हड़ताल पर हैं। इनमें विश्वविद्यालयों के शिक्षक, पुस्तकालयों के अध्यक्ष और अन्य कर्मचारी शामिल हैं। उन्होंने बताया है कि विश्वविद्यालय के कर्मचारी प्रति सप्ताह औसतन दो दिन का अतिरिक्त अवैतनिक कार्य करते हैं, जबकि एक तिहाई शैक्षणिक कर्मचारी अस्थायी अनुबंधों पर काम करने के लिए मजबूर हैं। वे बढ़ती महंगाई से निपटने के लिए पर्याप्त वेतन वृद्धि की मांग कर रहे हैं, साथ ही असुरक्षित नौकरी अनुबंधों और अत्यधिक कार्यभार को ख़त्म करने की मांग कर रहे हैं। वे सरकार से मांग कर रहे हैं कि पिछले साल पेंशन में की गई कटौती को रद्द किया जाये और सभी पेंशन लाभों को बहाल किया जाये। उन्होंने बताया कि इस पेंशन कटौती की वजह से विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त कर्मचारियों की गारंटीकृत पेंशन से होने वाली आय में 35 प्रतिशत की कमी हुई है। उन्होंने अपनी मांगों पर ज़ोर देते हुए बताया कि उच्च शिक्षा में शिक्षक और अन्य कर्मचारी अनुसंधान में योगदान करते हैं, जिससे वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति होती है और भविष्य को कुशल वैज्ञानिक और इंजीनियर मिलते हैं।

लगभग 50,000 जूनियर डॉक्टरों ने 13-15 मार्च तक 72 घंटे की अभूतपूर्व हड़ताल की। ये जूनियर डॉक्टर कुल स्वास्थ्य कर्मचारियों की संख्या का 45 प्रतिशत हिस्सा हैं, जिनमें 10 साल के अनुभव वाले हाल के स्नातक विद्यार्थी भी शामिल हैं। वे 35 प्रतिशत वेतन वृद्धि, कार्यकाल की सुरक्षा और कार्यभार में कमी की मांग कर रहे हैं। ब्रिटिश मेडिकल एसोसिएशन (बी.एम.ए.) ने जूनियर डॉक्टरों की मांगों को सरकार के सामने रखा है, लेकिन सरकार हड़ताली डॉक्टरों से बातचीत करने को तैयार नहीं है।

कर्मचारियों की छंटनी, पेंशन में कटौती और कामकाज की बिगड़ती परिस्थितियों के ख़िलाफ़़ लंदन अंडरग्राउंड मेट्रो के कर्मचारियों और ड्राइवरों ने 15, 16 और 18 मार्च को हड़ताल की। पूरे ब्रिटेन में 14 ट्रेन कंपनियों के रेलवे कर्मचारी वेतन वृद्धि की मांग को लेकर और टिकट कार्यालयों को बंद किये जाने तथा अन्य सेवाओं में की जा रही कटौती की वजह से हजारों लोगों की नौकरी चली गई है। जिसके विरोध में एक ही समय में सभी कंपनियों के कर्मचारी हड़ताल पर चले गए।

15 मार्च को लगभग 1,33,000 सरकारी कर्मचारियों ने वेतन वृद्धि की मांग को लेकर काम बंद कर दिया। कैबिनेट कार्यालय, शिक्षा विभाग, होम आफिस, परिवहन विभाग, कार्य और पेंशन विभाग, राष्ट्रीय राजमार्ग, यूके स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी, राजस्व और सीमा शुल्क विभाग, चालक व वाहन लाइसेंसिंग एजेंसी, सीमा सुरक्षा, हवाई अड्डों और समुद्री बंदरगाहों सहित 124 सरकारी विभागों और सेवाओं के कर्मचारी हड़ताल पर थे।

15-16 मार्च को मीडियाकर्मियों ने बीबीसी के विभिन्न स्थानीय स्टूडियो और कार्यालयों में 24 घंटे की हड़ताल की। नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स (एन.यू.जे.), ने हड़ताल का नेतृत्व किया। ब्रिटिश सरकार द्वारा धन में कटौती करने और ब्रिटेन में रहने वाले विविध लोगों की चिंताओं के बारे में बात करने वाले रेडियो चैनलों को बंद करने की सरकार की योजना का विरोध कर रहे हैं। मीडियाकर्मी बीबीसी की बहुप्रचारित डिजिटल फर्स्ट रणनीति का विरोध कर रहे हैं, जिसके बारे में उन्हें डर है कि कामकाजी लोगों से जुड़ी ख़बरों को बंद कर दिया जाएगा। सरकार द्वारा अनुमोदित समाचारों और विचारों को प्रचारित करने के लिये पत्रकारों पर डाले जा रहे दबाव का वे विरोध कर रहे हैं। जबकि सरमायदारों द्वारा अनुमोदित  समाचार और विचार लोगों की वास्तविक चिंताओं को उजागर नहीं करते हैं।

अधिक वेतन और काम की बेहतर परिस्थिति की मांग को लेकर कोवेंट्री में अमेजॅन के कर्मचारी मार्च के मध्य में एक सप्ताह की हड़ताल पर चले गए।

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